सच सुनकर कान से आने लगा खून! लश्कर-जैश के सवाल पर लाइव डिबेट छोड़कर भागी हिना रब्बानी खर- VIDEO
पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने एक लाइव टीवी डिबेट में उस वक्त तीखी बहस की जब उनसे पाकिस्तान की आतंकवाद नीति और सेना के राजनीतिक दखल पर सवाल किए गए. यह बहस यूके टीवी होस्ट पियर्स मॉर्गन के शो 'Uncensored' में हुई, जहां भारतीय पत्रकार बरखा दत्त भी मौजूद थीं. भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच यह चर्चा और अधिक संवेदनशील बन गई.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच एक इंटरनेशनल टीवी डिबेट में पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार उस वक़्त लाइव शो से निकल गईं जब उनसे सीधे तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर सवाल पूछा गया. Piers Morgan के शो ‘Uncensored’ में हुई इस बहस में भारतीय पत्रकार बरखा दत्त भी मौजूद थीं. जैसे ही बरखा ने हिना से इन आतंकी संगठनों की भूमिका और पाकिस्तान में आर्मी की दखलअंदाज़ी को लेकर सवाल पूछे, हिना झल्ला उठीं.
बरखा ने हिना से पूछा कि क्या वो लश्कर और जैश को आतंकवादी संगठन मानती हैं? इस पर हिना ने जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, 'आप 20 साल पुरानी स्क्रिप्ट दोहरा रहे हैं. मैं इसका जवाब नहीं दूंगी.' इसके बाद डिबेट में माहौल गरमा गया, और थोड़ी ही देर में हिना रब्बानी की स्क्रीन फीड अचानक गायब हो गई. साफ था कि पाकिस्तान की सच्चाई सामने आने पर वे सवालों से बचना चाह रही थीं.
बरखा दत्त ने बाद में इस क्लिप को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, 'मैंने पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री से लश्कर, जैश और आर्मी के सवाल पूछे. वो सच नहीं झेल सकीं और डिबेट से भाग गईं.' बरखा ने पाकिस्तान की राजनीति में आर्मी के दखल को उजागर करते हुए कहा, 'भारत में नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुने गए प्रधानमंत्री हैं, लेकिन पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. या तो आर्मी हटवा देती है, जेल भेज देती है या देश से बाहर कर देती है.' उन्होंने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस बयान की भी याद दिलाई जिसमें उन्होंने खुद कबूला था कि 'पाकिस्तान ने आतंकवाद को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया.'
गौरतलब है कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिकी मध्यस्थता से एक संघर्ष विराम तय हुआ था, लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तान की सेना ने इसे तोड़ते हुए फिर से एलओसी पर गोलीबारी और ड्रोन हमले शुरू कर दिए. इससे ये साफ हो गया कि पाकिस्तान की सरकार चाहे कुछ भी कहे, असली सत्ता अभी भी रावलपिंडी के हाथ में है.
1947 के बाद से अब तक पाकिस्तान में 30 से अधिक वर्षों तक सीधे सेना का शासन रहा है. तीन बार वहां तख्तापलट हो चुका है, और अब भी सेना की मर्जी के बिना कोई प्रधानमंत्री सत्ता में नहीं टिक पाता. यही कारण है कि पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद के दलदल में फंसता जा रहा है, और दुनिया की नजरों में लगातार बेनकाब हो रहा है.