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दिल्ली-मणिपुर में इस्तीफा देकर भी बने रहेंगे कार्यवाहक CM, जानें कितनी अलग होती है यह जिम्मेदारी

मणिपुर और राजधानी दिल्ली में राज्यपाल ने मुख्यमंत्रियों को कार्यवाहक CM की जिम्मेदारी सौंप दी है. आम आदमी पार्टी चुनाव हारी तो आतिशी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. वहीं मणिपुर में चल रही हिंसा और विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना एन. बिरेन सिंह के इस्तीफे का कारण बना. ऐसे में आखिर कार्यवाहक CM क्या होता है? कितना अहम होता है. आइए जानते हैं.

दिल्ली-मणिपुर में इस्तीफा देकर भी बने रहेंगे कार्यवाहक CM, जानें कितनी अलग होती है यह जिम्मेदारी
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 10 Feb 2025 2:27 PM

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने रविवार को CM पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा है. वहीं उधर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन राज्यपाल ने उन्हें कार्यवाहक सीएम की जिम्मेदारी दी. यही हाल मणिपुर का भी है. भले ही एन बिरेन सिंह ने इस्तीफा सौंपा हो लेकिन उन्हें कार्यवाहक सीएम की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

अब क्योंकी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कार्यवाहक CM की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है, तो क्या ऐसे में उनके पास वहीं शक्तियां रहेंगी? या फिर उससे कुछ अलग होने वाला है. आज इसी सवालों के जवाब देने हम आए हैं. आइए जानते हैं कि आखिर स्थायी सीएम से कितना अलग होता है कार्यवाहक सीएम.

किसे कहा जाता कार्यवाहक CM?

सबसे पहले जान लेते हैं कि जिन दो राज्यों में कार्यवाहक सीएम की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वो होता क्या है. किसे कार्यवाहक CM कहा जाता है. किसी भी राज्य में अगर कोई मुख्यमंत्री इस्तीफा दे तो राज्यपाल के पास कार्यवाहक CM चुनने का अधिकार होता है. अब इस्तीफा देने का कारण कुछ भी हो सकता है. चाहे चुनाव में जीत न हासिल कर पाना, विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने जैसे कारण इस्तीफे में शामिल हो सकते हैं.

अब ऐसी स्थिती में मुख्यमंत्री के पास इस्तीफा देने का विकल्प अगर रहता है और इस्तीफा सौंपता है तो राज्यपाल नए मुख्यमंत्री बनने तक उन्हें ही कार्यवाहक CM पद की जिम्मेदारी संभालने को कहते हैं. हालांकि यह जिम्मेदारी तब तक के लिए ही सौंपी जाती है जब तक राज्यों को उनका अगला मुख्यमंत्री नहीं मिल जाता और मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले लेता. उस समय तक CM पद की जिम्मेदारी संभालने वाले को ही कार्यवाहक CM कहा जाता है.

कैसे और क्या होता है रोल?

अब CM और कार्यवाहक सीएम दोनों की जिम्मेदारी अलग-अलग होती हैं. जैसे की कुछ समय के लिए सौंपी गई जिम्मेदारियों में भी निर्णय लेने का अधिकार सीमित होता है. इसमें कार्यवाहक CM नई नियुक्तियां, नई योजना बनाने का फैसला नहीं कर सकते हैं. हालांकि CM यह सब कार्य कर सकता है. उनके पास नई योजना और नई नियुक्तियां करने का अधिकार होता है. लेकिन कार्यवाहक CM का कर्तव्य है कि वह कानून व्यवस्था को बनाए रखे और उनकी निगरानी भी कर सके. यदि इस बीच राष्ट्रपति शासन लग जाता है तो पूरी जिम्मेदारी राष्ट्रपति के पास जाती है और कार्यवाहक CM की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है.

मणिपुर और दिल्ली में ऐसी स्थिती

वहीं अब ऐसी ही स्थिति दोनों राज्यों में देखी गई. पहला दिल्ली और दूसरा मणिपुर. कारण दोनों के भले ही अलग-अलग है. लेकिन जिम्मेदारी दोनों ही बराबर है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के चुनाव हार जाने के बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और मणिपुर में सीएम एन बिरेन सिंह के खिलाफ विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई जा रही थी. इसलिए उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया. लेकिन दोनों ही राज्यों के राज्यपालों ने कार्यवाहक CM की जिम्मेदारी दी है.

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