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Ganderbal Terror Attack: सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती बनता आतंकी संगठन TRF, पहले भी कई हमलों को दे चुका है अंजाम

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) आतंकी संगठन का नाम इस समय गांदरबल जिले में हमले को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में शुमार है. इस हमले में 7 लोगों के मौत की जानकारी सामने आई है. यह पहली बार नहीं जब इस आतंकी संगठन ने किसी को निशाना बनाया. इससे पहले भी दर्जनों हमले को TRF अंजाम दे चुका है.

Ganderbal Terror Attack: सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती बनता आतंकी संगठन TRF, पहले भी कई हमलों को दे चुका है अंजाम
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( Image Source:  Freepik: Representative Image )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 21 Oct 2024 2:06 PM IST

आतंकी संगठन TRF ने रविवार देर रात को गांदरबल जिले के सोनमार्ग में आतंकी हमले को अंजाम दिया. इस हमले में अब तक 7 लोगों के मौत की जानकारी सामने आ चुकी है. इनमें एक डॉक्टर और गैर कश्मीरी मजदूर समेत 7 लोग शामिल थे. इस हमले में 5 अन्य लोगों के घायल होने की खबर सामने आई थी. इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली है.

वहीं ऐसा पहली बार नहीं जब TRF ने ऐसी आतंकी घटना को अंजमा दिया है. इससे पहले भी कई बार इस संगठन ने माइग्रेंट्स को अपना निशाना बनाया है. ये संगठन कश्मीर में इस समय सबसे ज्यादा एक्टिव है. कहा जाता है कि इस समय इस संगठन का नेतृत्व लश्कर से जुड़ा गुट साजिद जट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी कर रहे हैं.

कब हुआ इस आतंकी संगठन की शुरुआत

TRF यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट इस समय जम्मू और कश्मीर में काफी एक्टिव है. इसे लश्कर-ए-तैयबा की ब्रांच माना जाता है. बताया जाता है कि इसकी शुरुआत ऑनलाइन उस समय हुई थी. जब J&K से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था. उस समय ऑनलाइन इसकी शुरुआत हुई थी. इसके पीछे का मकसद भी साफ है. आतंकी हमलों को अंजाम देना. साथ ही लश्कर जैसे संगठनों के लिए ढाल बनकर काम करना. वहीं पाकिस्तान की सेना और ISI नहीं खुलकर नहीं लेकिन इस समूह का पूरा सहयोग करती रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकी अधिक्तर लश्कर के फंडिंग चैनलों का इस्तेमाल करता है.

यह तो साफ कि भारत में होते आ रहे आतंकी हमलों में पाकिस्तान का सीधे तौर पर हाथ होता है. इसी आरोप से बचने के लिए पाकिस्तान इस संगठन का सहारा लेता है. ताकी जो इलजाम हमले के बाद पाक पर लगते हैं. उससे बचा जाए और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ब्लैक लिस्ट में उसका नाम न आए. गृह मंत्रालय की ओर से भी पहले बताया जा चुका है TRF आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है.

हमला करे और न भी आए

अब इसी संगठन की आड़ में पाकिस्तान हमला तो करता है. लेकिन सीधे तौर पर उसका नाम न आए. ऐसा तब भी देखने को मिला था. जब साल 2019 में 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में पाकिस्तान का नाम सामने आया था. सभी जानते थे कि इस नापाक हरकत के पीछे किसका हाथ है. दुनियाभर में हमले को लेकर पाक पर दबाव बढ़ने लगा. इसी के बाद से ही ऐसे संगठन को तैयार किया. जिसकी सहायता से वह हमला तो करे लेकिन सीधे उसपर आरोप न लगाया जाए.

TRF का निशाना होते हैं माइग्रेंट्स

वैसे तो मुख्य तौर पर माइग्रेंट्स इस संगठन के निशाना होते हैं. इनमें यदि गैर कश्मीरी लोग होते हैं. उन्हें सबसे ज्यादा निशाने पर रखा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकी बाहर से जम्मू-कश्मीर पहुंच रहे लोगों के बीच खौफ फैला रहे, और यहां न आएं. लेकिन इसका नाम सबसे ज्यादा उस समय सुर्खियों में आया था. जब 2020 में बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या कर दी थी.

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