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रेस्टोरेंट खोलने का कर रहे प्‍लान तो पहले जान लें यह नियम, रजिस्ट्रेशन के समय ही देनी होगी वेज-Non-Veg डिश की जानकारी

Non-Veg Dishes Registration: FSSAI के नए नियम के अनुसार, अगर किसी होटल या रेस्टोरेंट्स में नॉनवेज परोसा जा रहा है तो सरकार को बताना होगा कि क्या वे बीफ या पोर्क जैसे नॉनवेज परोसने वाले हैं. जिससे खाने से जुड़ी पारदर्शिता बढ़ सके और सांस्कृतिक एवं खाद्य प्रवृत्तियों का सम्मान हो सके.

रेस्टोरेंट खोलने का कर रहे प्‍लान तो पहले जान लें यह नियम, रजिस्ट्रेशन के समय ही देनी होगी वेज-Non-Veg डिश की जानकारी
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( Image Source:  canava )

Non-Veg Dishes Registration: भारत का फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने देश भर के होटल और रेस्टोरेंट्स के लाइसेंस नियमों को लेकर बदलाव करने की तैयारी में है. अब होटल चलाने के लिए सरकार के सख्त नियमों का पालन करना होगा. अब होटल मालिकों को रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस रिन्यू के लिए अप्लाई करके समय मेनू शाकाहारी है या मांसाहारी ये बताना होगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए नियम के तहत अगर किसी होटल या रेस्टोरेंट्स में नॉनवेज परोसा जा रहा है तो सरकार को बताना होगा कि क्या वे बीफ या पोर्क जैसे नॉनवेज परोसने वाले हैं. इसी तरह शाकाहारी रैस्टोरेंट्स को भी अपना मेनू कार्ड आवेदन में साफ-साफ बताना होगा.

क्या होगा बदलाव?

होटल से जुड़ा यह नियम स्टेट लेवल पर लागू किया जाएगा और अगर कोई शाकाहारी रैस्टोरेंट बाद में नॉनवेज मेनू पर जाना चाहे तो उसे पहले नया लाइसेंस लेना होगा. यह पहल फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी ने भुवनेश्वर में बैठक के दौरान सुझाई थी, जिससे खाने से जुड़ी पारदर्शिता बढ़ सके और सांस्कृतिक एवं खाद्य प्रवृत्तियों का सम्मान हो सके.

इस नए नियम के लागू होने पर एक राष्ट्रीय स्तर पर वेज और नॉनवेज रेस्टोरेंट्स की सूची तैयार की जा सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिल सके और एफएसओ (फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर) उच्च जोखिम वाले रेस्टोरेंट्स पर ठीक से निगरानी रख सकें.

पहले पनीर को लेकर दिया था निर्देश

इससे पहले FSSAI ने होटलों और रेस्टोरेंट के लिए पनीर से बनी चीजों को लेकर गाइडलाइंस जारी की थी. कई बार ग्राहकों को नकली पनीर परोसने के मामले भी सामने आते हैं. ऐसी संभावना को देखते हुए, मंत्रालय ने निर्देश दिया था कि अब होटल मालिकों को बताना होगा कि वे ग्राहकों को परोसे जाने वाले व्यंजनों में एनालॉग पनीर (वेजिटेबल ऑयल से बना पनीर) का उपयोग करते हैं या पारंपरिक दूध से बना पनीर है.

मंत्रालय एनालॉग पनीर पर नॉन-डेयरी लेबल लगाना पहले ही अनिवार्य कर दिया था. इस तरह का पनीर देखने और स्वाद में पारंपरिक पनीर जैसा यानी दूध से बना ही लगता है, लेकिन यह पनीर नहीं होता. ये सस्ता होता है. होटलों और रेस्टोरेंट में ग्राहकों को ये कभी नहीं बताया जाता कि उन्हें कौन का पनीर परोसा जा रहा है. सस्ते पनीर को महंगे दामों पर बेचा जाता है. इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया था.

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