अब भारत में लागू होगा चार दिन का वर्क वीक, लेकिन माननी पड़ेंगी ये शर्ते, लेबर मिनिस्ट्री ने समझाई पूरी कहानी
भारत में चार दिन का वर्क वीक फिर से चर्चा में आ गया है, और इस बार श्रम मंत्रालय की हालिया स्पष्टीकरण ने इसे और चर्चित बना दिया है. सवाल आम है कि क्या भारतीय कर्मचारी सच में सिर्फ चार दिन काम करके पूरे हफ्ते की तनख्वाह ले सकते हैं? जवाब हां हो सकता है, लेकिन केवल तब जब नई श्रम संहिताओं के नियमों का पालन किया जाए.
भारत में अब चार दिन का वर्क वीक सिर्फ एक आइडिया नहीं, बल्कि नए श्रम कानून के तहत कर्मचारियों और कंपनियों के लिए मुमकिन हो गया है. हालांकि, इसे अपनाने के लिए कुछ जरूरी शर्तें पूरी करनी होंगी. श्रम मंत्रालय ने हाल ही में साफ किया कि चार दिन में काम करना मतलब यह नहीं कि कुल काम के घंटे कम हो जाएंगे. बल्कि तरीका बदल दिया गया है. बता दें कि दरअसल 21 नवंबर 2025 को केंद्र सरकार ने पुराने 29 श्रम कानूनों को चार नए लेबर कोड्स में बदल दिया.
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इस नए सिस्टम के जरिए कर्मचारियों को काम करने में लचीलापन मिलेगा, जबकि कंपनियों को शेड्यूल बनाने में सुविधा. आइए जानते हैं इस पूरे बदलाव की कहानी और उन शर्तों को, जिन्हें फॉलो करना जरूरी है.
चार दिन का वर्क वीक: नियम और शर्तें
एक्स पर पोस्ट कर मंत्रालय ने साफ किया है कि नई श्रम संहिताओं के तहत कर्मचारियों के लिए लचीलापन है. एक हफ्ते में चार दिन काम किया जा सकता है, लेकिन कुल काम के घंटे 48 से ज्यादा नहीं हो सकते है. इसका मतलब यह है कि:
- कर्मचारी एक दिन में 12 घंटे तक काम कर सकते हैं और बाकी तीन दिन को वे पेड हॉलिडे ले सकते हैं.
- यदि किसी दिन 12 घंटे से ज्यादा काम होता है, तो अतिरिक्त समय को ओवरटाइम माना जाएगा और इसे सामान्य वेतन के दोगुने दर पर भुगतान करना होगा.
- 12 घंटे का मतलब लगातार काम नहीं है; इसमें ब्रेक और शिफ्ट के बीच का समय शामिल होता है. इस लचीलापन का मकसद कर्मचारियों को लंबे और बिना भुगतान वाले काम से बचाना है और कंपनियों को शेड्यूल प्लानिंग में सुविधा देना है.
कंपनियों की पसंद और सभी के लिए जरूरी नहीं
चार दिन का वर्क वीक हर जगह लागू नहीं है. यह केवल उन कर्मचारियों और कंपनियों के लिए ऑप्शन है, जो इसे अपनाने का निर्णय लें. कुछ कंपनियां अभी भी पांच या छह दिन का काम जारी रख सकती हैं, जबकि अन्य चार लंबे दिन चुन सकते हैं. यह निर्भर करेगा कंपनी की नीति, राज्य नियमों और काम के प्रकार पर.
कर्मचारियों को दी जा रही फ्लेक्सिबिलिटी
मंत्रालय की स्पष्टीकरण ने साफ कर दिया है कि भारत में कुल काम के घंटे कम नहीं हो रहे हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के तरीके में लचीलापन दिया जा रहा है. अब यह कंपनियों और कर्मचारियों पर निर्भर करेगा कि वे इस लचीलापन का उपयोग कैसे करते हैं और क्या आने वाले वर्षों में चार दिन का वर्क वीक व्यापक रूप से अपनाया जाएगा.





