'अमेरिका से 487 और भारतीयों को वापस भेजा जा सकता है...', विदेश सचिव का बड़ा बयान
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि 487 और भारतीयों को अमेरिका से भारत वापस भेजा जा सकता है. इसस पहले, 104 भारतीयों को अमेरिका सैन्य विमान से पंजाब के अमृतसर भेजा गया है. इस दौरान लोगों के हाथ और पैर बंधे हुए थे, जिसे लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. वहीं, विदेश मंत्री ने सरकार के रुख का बचाव किया.

Indian Migrants Deporting From US: अमेरिका से अभी 487 भारतीय प्रवासियों को भारत भेजा जाएगा, जो अवैध तरीके से वहां पहुंचे हैं. यह जानकारी केंद्र सरकार ने दी. इससे पहले, 104 भारतीय नागरिकों को अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 से भारत भेजा गया था. इस दौरान उनके हाथ और पैर बंधे हुथे. इसे लेकर केंद्र सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में गैर कानूनी तरीके से प्रवेश करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसी कड़ी में 104 भारतीयों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि हमें बताया गया है कि 487 संभावित भारतीय नागरिकों को अमेरिका से भारत भेजा जाएगा. जहां तक अमेरिकी न्याय प्रणाली में उनकी कानूनी स्थिति और दर्जे का सवाल है, हमारे पास संबंधित आप्रवासियों की संख्या के बारे में कुछ जानकारी है. हमें जो संख्याएं उपलब्ध कराई गई हैं, हम उनके आधार पर काम कर रहे हैं.
भारतीयों को लाने के लिए अमेरिका द्वारा सैन्य विमानों के इस्तेमाल पर विदेश सचिव ने कहा कि यह विशेष निर्वासन पहले की उड़ानों की तुलना में कुछ अलग है. अमेरिकी प्रणाली में इसे राष्ट्रीय सुरक्षा अभियान बताया गया था.
विपक्ष ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
अमेरिका से जिस तरीके से भारतीयों को भारत भेजा गया, उससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. विपक्ष ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उसने सवाल किया है कि केंद्र ने अपनी शर्तों पर उन्हें वापस लाने के लिए हस्तक्षेप क्यों नहीं किया. वहीं, केंद्र ने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का हवाला देते हुए अपनी स्थिति का बचाव किया, लेकिन विपक्षी नेताओं ने बताया कि भारत सरकार ने पहले भी संकटग्रस्त क्षेत्रों से अपने नागरिकों को निकालने के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था की थी.
विदेश मंत्री ने सरकार के रुख का किया बचाव
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 6 फरवरी को राज्यसभा में बोलते हुए सरकार के रुख का बचाव किया. उन्होंने तर्क दिया कि हर देश का दायित्व है कि अगर उसके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रहते हुए पाए जाते हैं तो उन्हें वापस बुलाए. उन्होंने यह भी कहा कि निर्वासन की कार्रवाई अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) द्वारा 2012 से लागू मानक प्रक्रियाओं के तहत की गई थी.
जयशंकर ने कहा कि सरकार अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासितों के साथ दुर्व्यवहार न हो. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारा हमेशा से जोर रहा है कि लोगों के साथ सही व्यवहार हो. हम अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार एक नया कानून बनाने पर विचार कर रही है , जिससे एक ऐसा ढांचा स्थापित किया जा सके, जो विदेश में रोजगार के लिए सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास को बढ़ावा देगा. 'प्रवासी गतिशीलता (सुविधा और कल्याण) विधेयक, 2024' शीर्षक वाला यह विधेयक सोमवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति द्वारा लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट से सामने आया.
अमेरिका ने सैन्य विमान भेजने के फैसले पर क्या कहा?
संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रवासियों को सी-17 सैन्य विमान से भेजने के अपने निर्णय का बचाव किया. भारत स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, "मैं उड़ान के बारे में और अधिक विस्तार से नहीं बता सकता. मैं यह बता सकता हूं कि अमेरिका के आव्रजन कानूनों को लागू करना हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति अवैध तरीके से देश में प्रवेश करने वाले विदेशियों के खिलाफ आव्रजन कानूनों का ईमानदारी से पालन करना है."