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तेजस क्रैश में शहीद हुए विंग कमांडर नमांश स्याल को आखिरी सैल्यूट, पत्नी ने भरी आंखों से सलाम किया- रुला देने वाला वीडियो आया सामने

तेजस क्रैश में शहीद हुए विंग कमांडर नमांश स्याल को आखिरी सैल्यूट, पत्नी ने भरी आंखों से सलाम किया- रुला देने वाला वीडियो आया सामने
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( Image Source:  Social Media )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 23 Nov 2025 6:17 PM

तेजस फाइटर जेट हादसे में शहीद हुए भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर नमांश स्याल को आज उनके पैतृक गांव कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के पटीयालकर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. दुबई एयर शो के दौरान शुक्रवार को हुए इस दुखद क्रैश ने न सिर्फ वायुसेना बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया है. उनका पार्थिव शरीर रविवार को गांव पहुंचा, जहां परिवार, रिश्तेदार, साथी अफसरों और हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उनकी पत्नी और वायुसेना अधिकारी विंग कमांडर अफशां अपने आंसुओं को रोकते हुए पति को सलामी देती नजर आईं- यह नजारा हर किसी की आंखें नम कर गया.

पत्नी अफशां और पांच वर्षीय बेटी को छोड़कर गए नमांश

विंग कमांडर नमांश स्याल अपने पीछे पत्नी अफशां और पांच साल की बेटी को छोड़ गए हैं. अंतिम संस्कार के दौरान अफशां का साहस और दृढ़ता लोगों को गहराई से भावुक कर गया. भारतीय वायुसेना ने नमांश स्याल को याद करते हुए बयान जारी किया कि 'एक समर्पित फाइटर पायलट और बेहतरीन प्रोफ़ेशनल, विंग कमांडर स्याल ने अटल प्रतिबद्धता, असाधारण कौशल और अदम्य कर्तव्यभाव के साथ राष्ट्र की सेवा की.

IAF ने आगे कहा कि 'उनकी गरिमामयी व्यक्तित्व ने उन्हें अपार सम्मान दिलाया… भारतीय वायुसेना इस गहन शोक की घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़ी है और उनके साहस, समर्पण और सम्मान की विरासत को नमन करती है. उनकी सेवाओं को सदैव कृतज्ञता के साथ याद किया जाए.'

ग्रामीणों की आंखें नम-'हमारा रत्न खो गया'

गांव पटीयालकर में विंग कमांडर नमांश के अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी. हर कोई अपनी भावनाओं को संभाल नहीं पा रहा था. सैनिक स्कूल सुजानपुर तिरा के पूर्व छात्र पंकज चड्ढा ने कहा कि 'मैं भी नमनश के ही स्कूल में पढ़ा हूं… हमने अपने अनमोल रत्नों में से एक को खो दिया है. वह हमारे स्कूल का गौरव था.' गांव के ही संदीप कुमार बोले कि 'हमारे गांव का हर व्यक्ति दुखी है. वह हमारे छोटे भाई जैसा था… हम 3-4 महीने पहले उससे मिले थे जब वह गांव आया था.' हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू ने भी दुख व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने “एक बहादुर सपूत बहुत जल्दी खो दिया.”

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