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पहले आंसू गैस के गोले और फिर बरसाए फूल! किसानों का 'दिल्ली मार्च' पोस्टपोन; पढ़ें LATEST UPDATE

Farmers 'Delhi Chalo' protest: केंद्र सरकार से बातचीत न होने की वजह से आज 101 किसान दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर कूच करने लगे. उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने उनके ऊपर आंसू गैस के गोले दागे. पुलिस का कहना है कि पहले हम किसानों की पहचान करेंगे, फिर उन्हें जाने देंगे.

पहले आंसू गैस के गोले और फिर बरसाए फूल! किसानों का दिल्ली मार्च पोस्टपोन; पढ़ें LATEST UPDATE
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Farmers 'Delhi Chalo' protest
( Image Source:  ANI )

Farmers 'Delhi Chalo' protest: पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर शंभू में हरियाणा पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले दागे जाने से 8 किसानों के घायल होने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने अपना 'दिल्ली चलो' मार्च पोस्टपोन कर दिया है. पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि कम से कम आठ किसान घायल हो गए, जिनमें से एक को चंडीगढ़ के पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) में ले जाया गया.

पुलिस ने पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर किसानों पर फूल बरसाए, जो आज अपना 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.

पुलिस ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया और उन्हें शंभू बॉर्डर पर ही रोक दिया. हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि हम पहले उनकी पहचान करेंगे और फिर उन्हें आगे जाने देंगे. पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमारे पास 101 किसानों के नामों की लिस्ट है. ये किसान वे लोग नहीं हैं. वे हमें अपनी पहचान नहीं करने दे रहे हैं. वे भीड़ के रूप में आगे बढ़ रहे हैं.

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि हमारे 101 किसानों और मजदूरों का 'जत्था' पहुंच चुका है. हमने पहले ही लिस्ट जारी कर दी है, अगर पुलिस ने तय किया है कि वे हमें आगे बढ़ने देने से पहले आईडी की जांच करेंगे, तो उन्हें हमें बताना चाहिए. हम इसमें सहयोग करेंगे.

सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि हमने अनुशासन दिखाया है और आगे भी दिखाते रहेंगे... वे आज आंसू गैस का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि हवा का रुख हमारी ओर है. हम किसी भी तरह की कुर्बानी के लिए तैयार हैं... हमारी समस्याओं का समाधान प्रधानमंत्री के पास है, या तो वे ऐसा करें या हमें दिल्ली मार्च करने दें.

बता दें कि किसानों ने आज 'दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करने की घोषणा की थी. उन्हें रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड्स लगाने के साथ ही कीलें भी लगाई हैं. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने किसानों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए कहा कि हमने कोई कानून नहीं तोड़ा है. हम आज दोपहर 12 बजे 101 लोगों के साथ दिल्ली रवाना होंगे. उन्होंने सवाल किया कि किसानों के साथ क्रूरता क्यों की जा रही है. हमें भूख हड़ताल करते हुए 12 दिन हो गए हैं. आज 13वां दिन है. हमारा 101 किसानों का समूह शांतिपूर्वक चलेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी नियम का उल्लंघन न हो.

'केंद्र सरकार अड़ी हुई है'

किसान नेता ने कहा कि किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध 301वें दिन पर पहुंच गया है. फिर भी केंद्र सरकार अड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि हमने एक और बड़ी घोषणा की है कि हम पंजाब में बीजेपी नेताओं के आने का विरोध करेंगे. हमें यकीन नहीं है लेकिन हमने सुना है कि हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी और केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी अमृतसर जा रहे हैं. हम पंजाब केक किसानों से राज्य में उनके प्रवेश का विरोध करने का आह्वान करते हैं.

'केंंद्र ने समिति के सुझावों को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया'

इस बीच, तमिलनाडु के संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रदेश अध्यक्ष अय्याकन्नू ने कहा कि पिछले साल हजारों किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (NSP) और ऋण के अधिकार की मांग को लेकर दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया था. इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने इन मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति गठित की थी. समिति ने 22 नवंबर, 2024 को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. समिति की रिपोर्ट में MSP, ऋण का अधिकार, मुफ्त बिजली तक पहुंच और कृषि उत्पादों को बेचने के लिए नामित दुकानों की स्थापना से संबंधित सिफारिशें शामिल थीं, लेकिन अब तक इन सुझावों को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.

'किसानों के लिए एमएसपी बहुत महत्वपूर्ण है'

अय्याकन्नू ने कहा कि किसानों के लिए एमएसपी बहुत महत्वपूर्ण है. 1970 में गन्ने का मूल्य 90 रुपये प्रति टन था, जो उस समय एक शिक्षक का वेतन भी था. आज शिक्षक लगभग 1,20,000 रुपये कमाते हैं, जबकि हमें केवल 310 रुपये प्रति टन मिल रहे हैं. 1970 में 60 किलो धान और गेहूं का मूल्य केवल 40 रुपये था. उस समय एक स्टेट बैंक मैनेजर 154 रुपये कमाता था. अब उस पद का वेतन लगभग 1,50,000 रुपये है, जबकि हमें केवल 1,260 रुपये मिल रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यूपीए शासन में एमएस स्वामीनाथन ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें सिफारिश की गई थी कि किसानों को उत्पादन लागत से 50% अधिक मूल्य मिले. हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस सिफारिश को लागू करने में विफल रही है.

'अंत तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे'

अय्याकन्नू ने कहा कि पूरे भारत में किसानों ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन किया. हमने भाजपा का समर्थन किया. हमें लगा कि वे हमारे लिए कुछ करेंगे, लेकिन पिछले दस सालों से उन्होंने हमें कुछ नहीं दिया है. यही कारण है कि किसान दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हम और तमिलनाडु के किसान भी दिल्ली जाएंगे और अंत तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि 16 तारीख को हमने तमिलनाडु में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया है, जो रेलवे स्टेशनों के सामने होगा. उसके बाद, हम विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली भी जाएंगे.

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