अलकायदा से कर दी RSS की तुलना! बोलते-बोलते हद पार कर गए कांग्रेस सांसद, आपसी कलह आई सामने; आखिर नेताओं ने क्या कहा?
कांग्रेस में बयानबाज़ी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. दिग्विजय सिंह के संगठनात्मक टिप्पणी वाले पोस्ट के बाद लोकसभा सांसद Manickam Tagore ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से कर दी, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई. भाजपा ने इस बयान की कड़ी निंदा की और कांग्रेस नेतृत्व से स्पष्ट रुख की मांग की. वहीं Digvijaya Singh ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने विचारधारा नहीं, संगठनात्मक मजबूती की बात की थी. इस विवाद ने कांग्रेस के भीतर भाषा, अनुशासन और रणनीति पर नई बहस छेड़ दी है.
कांग्रेस के भीतर चल रही वैचारिक बेचैनी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई, जब बयानबाज़ी की सीमा पार होती दिखी. दिग्विजय सिंह के एक सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ मामला अब इतना बढ़ गया कि लोकसभा सांसद मणिक्कम टैगोर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना अल कायदा जैसे आतंकी संगठन से कर दी. राजनीति में बयान आम बात है, लेकिन इस बार शब्दों ने बहस नहीं, बल्कि सियासी तूफान खड़ा कर दिया.
यह विवाद सिर्फ आरएसएस या कांग्रेस पर टिप्पणी तक सीमित नहीं है. असल सवाल यह है कि क्या कांग्रेस अपने भीतर संगठन की मजबूती की बात भी बिना विवाद के कर सकती है? और क्या वैचारिक विरोध जताने के नाम पर भाषा की मर्यादा टूटती जा रही है? इसी टकराव ने इस पूरे घटनाक्रम को ज्यादा संवेदनशील बना दिया है.
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दिग्विजय सिंह के पोस्ट से कैसे शुरू हुआ विवाद?
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री Digvijaya Singh ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा की. उन्होंने लिखा कि कैसे आरएसएस का एक जमीनी स्वयंसेवक संगठन की ताकत के दम पर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बना. यह पोस्ट संगठनात्मक मजबूती की बात कर रहा था, लेकिन कांग्रेस के भीतर ही इसे असहज नजरों से देखा गया.
मणिक्कम टैगोर की टिप्पणी ने बदला पूरा एंगल
इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद Manickam Tagore ने आरएसएस की तुलना अल कायदा से कर दी. उन्होंने कहा कि दोनों का काम नफरत फैलाना है और कांग्रेस गांधी की पार्टी है, जो मोहब्बत की बात करती है. यहीं से यह मामला सामान्य राजनीतिक बहस से निकलकर बेहद तीखे टकराव में बदल गया.
‘सीखने की बात’ पर भावनात्मक फिसलन
टैगोर दरअसल दिग्विजय सिंह के उस संदर्भ पर बोल रहे थे, जिसमें संगठन से “सीखने” की बात कही गई थी. लेकिन विरोध जताते-जताते तुलना आतंकवादी संगठन से कर देना ऐसा कदम था, जिसने कांग्रेस को रक्षात्मक स्थिति में ला खड़ा किया. आलोचकों का कहना है कि वैचारिक विरोध और उग्र तुलना में फर्क होना चाहिए.
बीजेपी का पलटवार और कांग्रेस से सवाल
बीजेपी की ओर से Nalin Kohli ने इस बयान को निंदनीय बताया और सवाल उठाया कि क्या आरएसएस की तुलना जिहादी संगठन से की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व, खासकर Rahul Gandhi और सोनिया गांधी को इस पर अपना रुख साफ करना चाहिए.
दिग्विजय सिंह की सफाई: ‘मैंने संगठन की बात की’
विवाद बढ़ता देख दिग्विजय सिंह ने खुद सामने आकर सफाई दी. उन्होंने कहा कि उन्होंने आरएसएस या पीएम मोदी की विचारधारा की तारीफ नहीं की, बल्कि संगठन की संरचना की बात की थी. उन्होंने दोहराया कि वे आरएसएस और भाजपा की नीतियों के कट्टर विरोधी हैं और यह बात वे पार्टी फोरम में भी कह चुके हैं.
कांग्रेस में पहले भी हो चुकी है ऐसी तुलना
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस नेताओं की ओर से आरएसएस की तुलना चरमपंथी संगठनों से की गई हो. कर्नाटक के मुख्यमंत्री Siddaramaiah के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया पहले तालिबान जैसी तुलना कर चुके हैं, जिसके बाद कानूनी और राजनीतिक विवाद खड़े हुए थे.
शशि थरूर की संयमित राय
कांग्रेस नेता Shashi Tharoor ने इस पूरे विवाद पर संतुलित प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की बात को पूरे संदर्भ में देखा जाना चाहिए और पार्टी में अनुशासन जरूरी है. उनका जोर संगठन को मजबूत करने पर था, न कि किसी विरोधी विचारधारा की प्रशंसा पर.
भाषा या विचार, किस पर लगाम लगे?
इस पूरे घटनाक्रम ने कांग्रेस के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. क्या पार्टी संगठनात्मक आत्ममंथन करना चाहती है या हर ऐसी कोशिश बयानबाज़ी में उलझकर रह जाएगी? दिग्विजय सिंह का मुद्दा संगठन था, मणिक्कम टैगोर का गुस्सा विचारधारा पर था, लेकिन राजनीति में शब्द जब सीमा पार करते हैं, तो नुकसान पूरे दल को उठाना पड़ता है.





