कांग्रेस में हाईकमान अध्यक्ष नहीं तो कोई भूत है क्या? अब CM की कुर्सी पर बैठेंगे शिवकुमार! किधर जाएंगे सिद्धारमैया
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कांग्रेस में सियासी उबाल एक बार फिर तेज हो गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान 'यह हाईकमान के हाथ में है' ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या खुद अध्यक्ष ही हाईकमान नहीं हैं? भाजपा ने इसे लेकर तंज कसते हुए पूछा, 'अगर अध्यक्ष नहीं, तो क्या हाईकमान कोई भूत है?' इस बीच, डीके शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं, जबकि सिद्धारमैया की कुर्सी पर संकट गहराता दिख रहा है.

कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर सत्ता के शिखर पर बदलाव की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है. मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सियासी हलचल के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बयान "सब कुछ पार्टी हाईकमान के हाथ में है, अब खुद उनके लिए सिरदर्द बनता दिख रहा है. दरअसल, खरगे के इस बयान के बाद बीजेपी ने जोरदार हमला बोला है और चुटकी लेते हुए पूछा अगर कांग्रेस अध्यक्ष ही हाईकमान नहीं हैं, तो फिर कांग्रेस का असली हाईकमान कौन है? इस सवाल के साथ ही एक बार फिर नेतृत्व को लेकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं.
सत्ता का 'आधा-आधा' फॉर्मूला?
कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनाव जीतने के बाद सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया था. तब से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि यह 'ढाई-ढाई साल का समझौता' है. यानी पहले ढाई साल सिद्धारमैया और अगले ढाई साल शिवकुमार मुख्यमंत्री रहेंगे. अब जबकि सरकार के ढाई साल पूरे हो चुके हैं, शिवकुमार खेमे की बेचैनी और सक्रियता दोनों बढ़ गई हैं. तीन महीने पहले ही पार्टी के एक नेता ने 'शपथ' लेकर कहा था कि तीन महीने बाद शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे.
क्या फिर से होगा 'खेल'?
खड़गे का यह कहना कि 'यह निर्णय हाईकमान करेगा' साफ संकेत देता है कि कांग्रेस नेतृत्व बदलाव पर विचार कर रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि हाईकमान कौन है? क्या राहुल गांधी? क्या सोनिया गांधी? या फिर एक ऐसा साया जो पर्दे के पीछे से पार्टी की बागडोर संभाल रहा है? बीजेपी ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया. उसने कहा कि कांग्रेस में एक अदृश्य हाईकमान है, जो लोकतंत्र की जगह दरबारी संस्कृति में विश्वास करता है. अगर अध्यक्ष ही फैसला नहीं ले सकते तो फिर उनकी भूमिका महज दिखावटी है.
भाजपा का तंज- “हाईकमान कोई भूत है क्या?”
खड़गे के इस बयान को लपकते हुए भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने सवाल उठाया, 'अगर कांग्रेस अध्यक्ष ही हाईकमान नहीं हैं, तो फिर यह ‘अनदेखा और अनसुना’ हाईकमान आखिर है कौन? उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा, कांग्रेस हाईकमान एक भूत की तरह है. नज़र नहीं आता, सुनाई नहीं देता, लेकिन हर जगह मौजूद रहता है. यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष, जिसे लोग हाईकमान समझते थे, भी इसकी चर्चा फुसफुसाकर करता है और कहता है कि वह नहीं है. कितना रहस्यमय है!'
भाजपा विधायक और कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने खड़गे पर निशाना साधते हुए उन्हें 'एक और दुर्घटनावश बने कांग्रेस अध्यक्ष' बताया. उन्होंने लिखा, अब यह श्री मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो खुद स्वीकार करते हैं कि उन्हें भी नहीं पता कि हाईकमान क्या सोच रहा है. कांग्रेस की राजनीति में यह नेतृत्व भी संयोगवश ही मिला है. कांग्रेस में हाईकमान शब्द का उपयोग पिछले कुछ महीनों से एक ढाल की तरह हो रहा है, खासकर तब जब सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बहस चलती रही. फरवरी में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी कुछ ऐसा ही कहा था कि 'यह हाईकमान का निर्णय होगा.'
अप्रैल में कांग्रेस विधायक बसवराज शिवगंगा, जो शिवकुमार के करीबी माने जाते हैं, ने सार्वजनिक रूप से यह मांग रखी कि दिसंबर तक सिद्धारमैया को हटाया जाए. यह बयान इस बात को पुख्ता करता है कि कांग्रेस की कर्नाटक इकाई में अंदरुनी कलह अब भी जारी है, जबकि पार्टी हाईकमान ने किसी भी प्रकार की सार्वजनिक असहमति पर रोक लगा रखी है. स्थिति को संभालने के लिए कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला बेंगलुरु पहुंचे हैं, जहां वे करीब 100 विधायकों के साथ व्यक्तिगत मुलाकातें कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, यह कवायद पार्टी के भीतर गहराते मतभेदों को सुलझाने और आगामी राजनीतिक संकट को टालने के लिए की जा रही है.