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स्कूल स्टाफ ने दिखाया था छात्रा को पोर्न वीडियो, मामले में फंस गए प्रिंसिपल, अब बॉम्बे HC ने सुनाया ये फैसला...

Bombay High Court: नंदुरबार में एक स्कूल में कक्षा 5वीं की छात्रा को सफाई कर्मचारी ने अश्लील वीडियो दिखाई. बॉम्बे हाई कोर्ट मामले की सुनवाई की और प्रिंसिपल और ट्रस्ट के सचिव के खिलाफ आरोप को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हर मामले में रिपोर्ट न करना अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक कि इसके पीछे कोई गलत इरादा न हो. चूंकि एफआईआर दर्ज कराने के लिए माता-पिता खुद पुलिस स्टेशन गए थे, इसलिए कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया.

स्कूल स्टाफ ने दिखाया था छात्रा को पोर्न वीडियो, मामले में फंस गए प्रिंसिपल, अब बॉम्बे HC ने सुनाया ये फैसला...
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( Image Source:  canava )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Published on: 8 April 2025 11:58 AM

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट में एक स्कूल प्रिंसिपल और एक मेडिकल प्रैक्टिशनर के खिलाफ दर्ज एफआईआर और कानूनी कार्यवाही को रद्द कर दिया है. स्कूल के स्टाफ पर बच्ची को जबरन पोर्न वीडियो दिखाने का आरोप था. बच्ची के परिजन ने आरोपी समेत इनके खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई थी. कोर्ट ने कहा कि हर मामले में रिपोर्ट न करना अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक कि इसके पीछे कोई गलत इरादा न हो.

हाई कोर्ट के जस्टिस विभा कंकणवाडी और संजय ए देशमुख की बेंच ने मामले की सुनवाई की. बच्ची की मां ने पुलिस ने प्रिंसिपल और ट्रस्ट के सचिव के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21(2) के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया कि उन्हें घटना की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इसकी रिपोर्ट नहीं की.

छात्रा को दिखाया पोर्न

नंदुरबार में एक स्कूल में कक्षा 5वीं की छात्रा को सफाई कर्मचारी ने अश्लील वीडियो दिखाई. यह मामला पिछले साल 27 अगस्त का है. बच्ची के अनुसार, वह सुबह स्कूल के मैदान में खड़ी थी, तब सफाईकर्मी ने उसे लाइब्रेरी में जाकर देखने को कहा कि कोई टीचर वहां मौजूद है या नहीं. जब वह लाइब्रेरी पहुंची ने वह भी आ गया. उसने बच्ची से अपने मोबाइल पर इंटरनेट चल रहा है या नहीं. यह चेक करने को कहा. इसके बाद सफाईकर्मी ने उसे पॉर्न वीडियो दिखाए.

बच्ची ने मां को बताया सच

स्कूल से घर जाने के बच्ची ने अपने साथ हुई शर्मनाक हरकत के बारे में अपनी मां को बताया. बच्ची की मां ने उससे पूछा कि क्या सफाईकर्मी ने उसके साथ कुछ गलत किया, तो बच्ची ने इनकार कर दिया. स्कूल का समय खत्म हो चुका था, वह एक पड़ोस में रहने वाली टीचर के पास गई और उसे घटना के बारे में बताया. टीचर ने तुरंत स्कूल के प्रिंसिपल को इस बारे में जानकारी दी. प्रिंसिपल ने बच्ची की मां को स्कूल की सीसीटीवी फुटेज देखने की अनुमति दी और कहा कि वे इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं. साथ ही कहा कि स्कूल आरोपी को नौकरी से निकाल देगा.

शिकायत दर्ज कराने से रोका

छात्रा के माता-पिता ने आरोप लगाया गया कि स्कूल ट्रस्ट के सचिव ने उन्हें मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कराने से रोका था. साथ ही कहा कि इससे उनका नाम अखबार में आ सकता है और उनकी बदनामी हो सकती है. हालांकि सचिव और सचिव की याचिका का विरोध किया और कहा कि उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से माता-पिता को रोका था. इसके बाद उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की.

कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय देशमुख की बेंच ने कहा कि FIR में यह स्पष्ट नहीं है कि प्रिंसिपल और सचिव ने जानबूझकर घटना को छुपाया या FIR दर्ज करने से रोका. कोर्ट ने माना कि छोटे बच्चों को ऐसी घटनाएं पहले मां से शेयर करने में सहजता होती है, और स्कूल में किसी टीचर को तुरंत न बताना असामान्य नहीं है. अदालत ने कहा कि जब तक स्कूल प्रबंधन खुद पक्के तौर पर घटना की सच्चाई को न समझ ले, तब तक उनके ऊपर रिपोर्ट दर्ज करने का कानूनी दबाव नहीं डाला जा सकता.

प्रिंसिपल ने साफ कहा था कि सीसीटीवी फुटेज को मिटाया नहीं गया है और ऐसा करने का कोई इरादा भी नहीं था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, हर बार रिपोर्ट न करने को अपराध नहीं माना जा सकता. इरादा सबसे महत्वपूर्ण होता है. चूंकि एफआईआर दर्ज कराने के लिए माता-पिता खुद पुलिस स्टेशन गए थे, इसलिए कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया.

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