क्या भारत के पैसों से अमीर हुआ ब्रिटेन, 135 साल के राज में कितनी दौलत ले गए थे अंग्रेज?
औपनिवेशिक काल के दौरान अंग्रेजों ने भारत को बुरी तरह लूटा. 1765 से 1900 के बीच, उन्होंने भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर (यानी 5611 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति लूट ली. यह खुलासा ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक नई रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, इस लूट में से 33.8 ट्रिलियन डॉलर की राशि सिर्फ 10% अंग्रेजों में बांटी गई.

ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट 'टेकर्स, नॉट मेकर्स' को विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया. इस रिपोर्ट से पता चला कि अमीर और अमीर बन गया और गरीब और गरीब. किस तरह ब्रिटेन यानी अंग्रेजों ने भारत में संसाधनों की सुनियोजित लूट की और उद्योगों का दमन किया. अंग्रेजों ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद किया, बल्कि औपनिवेशिक शक्तियों की समृद्धि को भी बढ़ावा दिया.
औपनिवेशिक काल के दौरान अंग्रेजों ने भारत को बुरी तरह लूटा. 1765 से 1900 के बीच, उन्होंने भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर (यानी 5611 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति लूट ली. यह खुलासा ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक नई रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, इस लूट में से 33.8 ट्रिलियन डॉलर की राशि सिर्फ 10% अंग्रेजों में बांटी गई. आइये जानते हैं इन चीजों से भारत को क्या क्या नुकसान हुआ?
औद्योगिक उत्पादन को पहुंचा नुकसान
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार, इस आर्थिक लूट का असर भारत के औद्योगिक उत्पादन पर पड़ा. 1750 में वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% थी, जो 1900 तक घटकर केवल 2% रह गई. इसका कारण ब्रिटिश नीतियां थीं, जो भारतीय कपड़ा उद्योग के खिलाफ कठोर थीं. इन नीतियों ने भारत के औद्योगिक उत्पादन को तबाह कर दिया. मात्र 135 साल की इस लूट ने ब्रिटेन में कई पीढ़ियों को अमीर बना दिया.
भारत के पैसों ने चार बार ढंक सकता है लंदन
अगर भारत से लूटी गई कुल संपत्ति को 50 पाउंड के नोटों में बांटकर जमीन पर बिछाया जाए, तो इन नोटों से पूरे लंदन शहर को चार बार ढका जा सकता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इस संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा 10% अंग्रेजों के पास पहुंचा, जबकि ब्रिटेन के मध्यम वर्ग ने भी इसका फायदा उठाया. लगभग 32% धन मध्यम वर्ग तक पहुंचा.
क्रूरता से हुई करोड़ों मौतें
रिपोर्ट में अंग्रेजों की क्रूरता का भी उल्लेख है. 1891 से 1920 के बीच, औपनिवेशिक नीतियों के कारण भारत में अकाल, बीमारियों और गरीबी का सामना करना पड़ा, जिस वजह से 5.9 करोड़ मौतें हुईं. 1943 के बंगाल अकाल में स्थिति और भी भयावह हो गई, जहां लगभग 30 लाख लोग मारे गए.
वैश्विक असमानता का पर्दाफाश
ऑक्सफैम की रिपोर्ट ने वैश्विक असमानता को भी उजागर किया है. इसमें कहा गया कि ग्लोबल साउथ के श्रमिकों की मजदूरी, ग्लोबल नॉर्थ के मुकाबले समान कार्य के लिए 87-95% तक कम है. रिपोर्ट के अनुसार, उपनिवेशवाद ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को जन्म दिया, जो आज भी ग्लोबल साउथ में आर्थिक शोषण कर रही हैं. इन कंपनियों का नियंत्रण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर है. ये सस्ते श्रम का उपयोग कर मुनाफे को ग्लोबल नॉर्थ की ओर स्थानांतरित करती हैं.