'भारत माता की जय' नारा नफरत फैलाने वाला नहीं, कर्नाटक HC का फैसला
कर्नाटक पुलिस ने इस साल जून में 'भारत माता की जय' बोलकर दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए पांच लोगों पर मामला दर्ज किया था. हालांकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अब यह कहते हुए FIR को रद्द कर दिया है कि 'भारत माता की जय' बोलना नफरत फैलाने वाले भाषण के अंतर्गत नहीं आता है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A के तहत पांच लोगों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करते हुए ये टिप्पणियां कीं.

हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A के तहत पांच लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि 'भारत माता की जय' का नारा नफरत फैलाने वाला भाषण नहीं है और इसे किसी भी प्रकार से धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाला नहीं माना जा सकता.
जज एम नागप्रसन्ना ने इस मामले में पांच आरोपियों को राहत दी, जिन पर विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाने और साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के आरोप थे. अदालत ने FIR खारिज करते हुए कहा कि 'भारत माता की जय' के नारे की जांच करना, धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के रूप में नहीं देखा जा सकता.
क्या है मामला?
यह घटना जून 2023 की है, जब पांच लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के जश्न से लौट रहे थे. कर्नाटक के उल्लाल तालुक के इन पांच निवासियों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था. आरोप है कि जब ये लोग 'भारत माता की जय' का नारा लगा रहे थे, तो एक समूह ने उन पर चाकू से हमला कर दिया.
हमले के बाद जब पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तो पुलिस ने उल्टा शिकायतकर्ताओं के खिलाफ IPC की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की, जिसमें धारा 153A भी शामिल थी. यह धारा धर्म, जाति और जन्मस्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए लगाई जाती है. शिकायत एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा की गई थी, जिसने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ताओं ने उसे धमकी दी थी.
हाईकोर्ट की टिप्पणी
जज एम नागप्रसन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में धारा 153A लागू नहीं होती. उन्होंने कहा, "इस मामले की जांच की अनुमति देना ऐसा होगा जैसे 'भारत माता की जय' के नारे की जांच की जाए, जो किसी भी प्रकार से धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा नहीं दे सकता."
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यह घटना याचिकाकर्ताओं के खिलाफ शिकायत का जवाबी हमला प्रतीत होता है, और पुलिस की कार्रवाई इसी मामले में की गई है.