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Bengaluru Stampede: पुलिस की सलाह मान लेते तो बच जातीं 11 जानें, रविवार को होनी थी विक्ट्री परेड; सरकार ने नहीं मानी बात

बेंगलुरु में आरसीबी की जीत का जश्न मातम में बदल गया जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने पहले ही कार्यक्रम स्थगित करने की सिफारिश की थी, लेकिन कर्नाटक सरकार और आरसीबी प्रबंधन ने इसे नजरअंदाज किया. सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में गंभीर चूक की अब जांच की मांग उठ रही है.

Bengaluru Stampede: पुलिस की सलाह मान लेते तो बच जातीं 11 जानें, रविवार को होनी थी विक्ट्री परेड; सरकार ने नहीं मानी बात
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 5 Jun 2025 2:55 PM IST

बेंगलुरु पुलिस ने आरसीबी के विजय जश्न के लिए रविवार का दिन सुझाया था, ताकि यातायात, भीड़ और सुरक्षा को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके. पुलिस का मानना था कि गैर-कार्य दिवस होने से बैरिकेडिंग और सुरक्षा व्यवस्था का बेहतर इंतजाम किया जा सकता था. लेकिन कर्नाटक सरकार ने पुलिस की आपत्ति और सुझाव के बावजूद अगले दिन ही यानी बुधवार को समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया.

4 जून को जैसे ही आरसीबी के खिलाड़ी ट्रॉफी लेकर बेंगलुरु पहुंचे, एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में ताबड़तोड़ तैयारी के साथ विजय समारोह आयोजित किया गया. इसी बीच बाहर जमा हजारों की भीड़ ने व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. स्टेडियम के बाहर अफरातफरी मच गई, भगदड़ में कम से कम 11 लोगों की जान चली गई. यह तब हुआ जब पुलिस ने पहले ही आयोजन को स्थगित करने की अपील की थी.

क्यों सरकार ने चुना बुधवार?

सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक सरकार पर राजनीतिक दबाव भी था और वह आरसीबी की जीत का श्रेय लेना चाहती थी. आरसीबी प्रबंधन ने भी तर्क दिया कि उनके विदेशी खिलाड़ी भारत में अधिक समय तक नहीं रुक सकते, इसलिए जल्द से जल्द आयोजन जरूरी है. सरकार ने प्रशंसकों की सुरक्षा से ज़्यादा प्राथमिकता राजनीतिक लाभ को दी.

लगातार ड्यूटी कर थक चुकी थी पुलिस फोर्स

आरसीबी की जीत के बाद पुलिस बल 3 और 4 जून की दरम्यानी रात को भीड़ नियंत्रित करने में व्यस्त रहा. कुछ जवान तो सुबह 4 बजे तक तैनात थे. थकी हुई फोर्स को अगले ही दिन फिर एक बड़े समारोह की जिम्मेदारी सौंप दी गई, जिससे पुलिस प्रशासन में भारी असंतोष था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह पूरी तरह से पागलपन था."

अफसरों ने जताई थी चिंता, किया गया नजरअंदाज

पुलिस अफसरों ने सरकार और आरसीबी को सलाह दी थी कि बिना जुलूस के केवल स्टेडियम के अंदर एक नियंत्रित समारोह हो, और वह भी कुछ दिनों बाद. उन्होंने यहां तक कहा था कि एक दिन का अंतर लोगों की भावनाओं को शांत करेगा, और तब व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी. लेकिन न तो सरकार और न ही टीम मैनेजमेंट ने इन सुझावों पर अमल किया.

अब सवालों के घेरे में आरसीबी और सरकार

इस हादसे ने प्रशासनिक लापरवाही और भीड़ प्रबंधन की विफलता को उजागर कर दिया है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक ट्रॉफी के जश्न के लिए इतने लोगों की जान लेना जरूरी था? पुलिस की स्पष्ट चेतावनी और थके हुए अमले की अनदेखी ने एक जश्न को मातम में बदल दिया. आरसीबी और राज्य सरकार, दोनों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.

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