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क्या है 'मध्यस्थता कानून'? जिसमें संशोधन के लिए मसौदा विधेयक हुआ पेश, 'आपातकालीन मध्यस्थता' को किया गया शामिल

Arbitration Law: भारत सरकार ने संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ाने और अदालत की भागीदारी को कम करने के उद्देश्य से एक मसौदा विधेयक पेश किया है, जिसमें 'आपातकालीन मध्यस्थता' का प्रस्ताव है और 'आपातकालीन मध्यस्थों' की नियुक्ति को सक्षम बनाया गया है.

क्या है मध्यस्थता कानून? जिसमें संशोधन के लिए मसौदा विधेयक हुआ पेश, आपातकालीन मध्यस्थता को किया गया शामिल
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Arbitration Law
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Published on: 27 Oct 2024 5:24 PM

Arbitration Law: संस्थागत मध्यस्थता को और बढ़ावा देने और ऐसे मामलों में अदालती हस्तक्षेप को कम करने के लिए सरकार ने प्रस्तावित संशोधनों पर राय मांगने के लिए एक मसौदा विधेयक पेश किया है. कानून मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग ने मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2024 के मसौदे पर अपनी प्रतिक्रिया के लिए आमंत्रित किया है. विधेयक में अधिसूचनाओं के लिए संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता सहित कुछ खंड हटा दिए गए हैं. इससे लोगों को कुछ प्रक्रियाओं से छुट्टी मिल जाएगी.

मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) में कहा गया है कि इसका उद्देश्य संस्थागत मध्यस्थता को और बढ़ावा देना, मध्यस्थता में अदालती हस्तक्षेप को कम करना और मध्यस्थता कार्यवाही का समय परिणाम सुनिश्चित करना है. मसौदा विधेयक पूर्व कानून सचिव और पूर्व लोकसभा महासचिव टीके विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति इस पर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी थी. इसमें खास बात ये है कि मसौदा विधेयक में 'आपातकालीन मध्यस्थता' की अवधारणा का प्रस्ताव किया गया है.

जोड़ा गया 'आपातकालीन मध्यस्थता'

प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि मध्यस्थ संस्थाएं अंतरिम उपाय प्रदान करने के उद्देश्य से मध्यस्थ न्यायाधिकरण के गठन से पहले 'आपातकालीन मध्यस्थ' की नियुक्ति का प्रावधान कर सकती हैं. नियुक्त किया गया आपातकालीन मध्यस्थ (मध्यस्थता) परिषद कार्यवाही का संचालन करेगा, जो बेहद अलग होगा.

'मध्यस्थता कानून' के बारे में-

दिल्ली हाई कोर्ट के वकील आशिष सिंह ने स्टेट मिरर को बताया कि 'मध्यस्थता कानून' के लिए हर कोर्ट में एक ऐसा सेंटर बनाया गया है, जहां लोग बातचीत के जरिए अपना समाधान ढूंढते हैं. इसे अल्टरनेट डिस्पियूट रिजोल्यूशन भी कहा जाता है. इसमें दोनों पक्ष कोर्ट की लंबी कार्यवाही से बचा सकता है. इसमें नेशनल, स्टेट और इंटरनेशनल मध्यस्थता केंद्र होता है, जो अपने-अपने क्षेत्र समाधान को पूरा करता है. मध्यस्थता, सुलह और मध्यस्थता आदि जैसे विवाद के समाधान के लिए बेहतर और समय पर समाधान प्रदान करते हैं.

इसमें दोनों पक्षों की सहमती और समझौता बेहद जरूरी होती है. इससे अदालती कार्यवाही से पक्ष को छुट्टी मिलती है. धारा 89 मध्यस्थता, सुलह, मध्यस्थता और लोक अदालत के माध्यम से निपटान सहित न्यायिक निपटान को मान्यता देती है. इंटरनेशनल मध्यस्थता केंद्र अधिकांश वाणिज्यिक केंद्रों - पेरिस, सिंगापुर, हांगकांग, लंदन, न्यूयॉर्क और स्टॉकहोम में मौजूद हैं.

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