बला की खूबसूरत पेशे से थी डॉक्टर, ऐशोआराम भरी लाइफ छोड़ बनी साध्वी! जानिए कौन है स्पेन की यह हसीना
इस महिला ने हाल ही में एक वीडियो के ज़रिए अपनी जिंदगी की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि वे एक सामान्य स्पेनिश परिवार से आती हैं और उनके परिवार में ज़्यादातर लोग डॉक्टर हैं. उन्होंने भी MBBS की पढ़ाई की, और सिर व गर्दन के रोगों की विशेषज्ञ बनी.
आज के समय में जब ज़्यादातर लोग अपने जीवन का उद्देश्य केवल पैसा कमाना, ऊंचा स्टेटस पाना और ऐशोआराम की ज़िंदगी जीना मानते हैं, ऐसे में एक स्पेनिश महिला की कहानी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है. यह महिला पेशे से डॉक्टर थी एक सफल, सुंदर और आरामदायक जीवन जी रही थी. लेकिन जब उनके मन ने असली शांति की खोज शुरू की, तो उन्होंने सब कुछ पीछे छोड़ दिया महंगे कपड़े, गाड़ियां, पार्टियां, दोस्तों का साथ और भारत आकर सनातन धर्म की राह चुन ली. आज वे एक साध्वी हैं, भगवा वस्त्र पहनती हैं, संयमित जीवन जीती हैं और अपने दिन सेवा, साधना और ध्यान में बिताती हैं.
डॉक्टर से साध्वी तक का सफर
इस महिला ने हाल ही में एक वीडियो के ज़रिए अपनी जिंदगी की कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि वे एक सामान्य स्पेनिश परिवार से आती हैं और उनके परिवार में ज़्यादातर लोग डॉक्टर हैं. उन्होंने भी MBBS की पढ़ाई की, और सिर व गर्दन के रोगों की विशेषज्ञ बनी. डॉक्टरी की डिग्री लेने के बाद उनका जीवन सपनों जैसा था. अच्छी कमाई, आरामदायक घर, घूमने-फिरने की आज़ादी, बहुत से दोस्त. लेकिन फिर भी उन्हें कुछ अधूरा सा लगता था, एक खालीपन था जिसे कोई चीज़ भर नहीं पा रही थी.
वे कहती हैं, 'जब मैं 23 साल की थी, तभी मुझे एहसास हुआ कि जीवन का असली सुख और आत्मिक संतोष किसी आलीशान चीज़ में नहीं है. मैं अकसर अपनी मां के साथ चर्च तो जाती थी, लेकिन जब मैं भारत आई और एक मंदिर में गई, वहां के माहौल, हवन और मंत्रोच्चारण ने मेरे दिल को छू लिया. मैंने महसूस किया कि मुझे वही शांति मिल रही है जिसकी मुझे सालों से तलाश थी.
22 साल से भगवा जीवन में लीन
आज वे 45 साल की हैं और पिछले 22 सालों से साध्वी के रूप में जीवन बिता रही हैं. उन्होंने न सिर्फ अपने कपड़े बदले बल्कि अपने विचार, अपनी लाइफस्टाईल और सोच को भी पूरी तरह बदल लिया. वे दिनचर्या का सख्ती से पालन करती हैं सुबह जल्दी उठना, ध्यान लगाना, पूजा करना, सत्संग सुनना और ज़रूरतमंदों की सेवा करना. उनके अनुसार, 'सनातन धर्म सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि एक गहन विज्ञान और जीवन जीने की कला है.' वे बताती हैं कि योग, ध्यान और वेदों की बातें सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्हें अपनाने से जीवन में मानसिक संतुलन, शारीरिक ऊर्जा और आत्मिक स्थिरता आती है. उनके मुताबिक, सनातन धर्म इंसान को केवल भगवान से जोड़ता ही नहीं, बल्कि उसे खुद से भी जोड़ता है.
पूरी दुनिया में बढ़ रही सनातन धर्म की ओर
यह महिला अकेली नहीं हैं जो इस राह पर चली हैं। आज पूरी दुनिया में लाखों लोग भारत की आध्यात्मिक परंपराओं और सनातन जीवनशैली की ओर आकर्षित हो रहे हैं. अमेरिका, रूस, ब्राजील, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा हर जगह योग केंद्र, ध्यान शिविर, वेदांत स्कूल और गीता क्लासेस तेजी से बढ़ रहे हैं. लोग आधुनिक जीवन की भागदौड़ और मानसिक तनाव से निकलकर शांति की खोज में सनातन धर्म को अपना रहे हैं. रूस में हजारों लोग ISKCON से जुड़कर भक्ति मार्ग अपना चुके हैं. अमेरिका में कई फिल्मी सितारे और अमीर लोग अब हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार जीवन जीने लगे हैं. इंडोनेशिया का बाली द्वीप तो पूरी तरह हिंदू संस्कृति से सराबोर है. जापान में भी वैदिक ज्ञान को पढ़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.





