कौन थे असली 'धुरंधर' Major Mohit Sharma? जिनसे इंस्पायर्ड भूमिका निभा रहे हैं Ranveer Singh!
मेजर साहब सबसे आगे थे. आतंकवादियों ने भारी हथियारों से फायरिंग की. मेजर को कई गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. घायल होने के बावजूद वे लगातार लड़ते रहे. उन्होंने अपने दो जांबाज़ साथियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया और खुद चार आतंकवादियों को मार गिराया.
रणवीर सिंह स्टारर 'धुरंधर' (Dhurandhar) 6 दिसंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है. जब से फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ है. लोगों का मनना है कि यह फिल्म शाहिद मेजर मोहित शर्मा (Mohit Sharma) पर बेस्ड है. जो भारतीय सेना अधिकारी थे और पकिस्तान में एक सीक्रेट एजेंट के तौर पर आंतकी संघठन को जड़ से उखाड़ने के लिए गए थे. हालांकि उन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान की और उन्हें भारत देश के लिए शहादत हासिल हुई. फैंस का अंदाजा है कि रणवीर फिल्म में मजेर मोहित शर्मा की भूमिका निभा रहे हैं. जिसके बाद सोशल मीडिया पर शहिद शर्मा सुर्ख़ियों में बने हुए तो आइये जानते हैं कि आखिर कौन थे मेजर शर्मा जिनकी छवि और दमदार कहानी हम सभी को सिल्वर स्क्रीन पर जानने को मौका मिलेगा.
कौन थे मेजर मोहित शर्मा?
मेजर मोहित शर्मा (अशोक चक्र, शौर्य चक्र) भारतीय सेना के उन बहुत ही खास और बहादुर अफसरों में से एक थे, जिनकी जिंदगी और बलिदान सुनकर लगता है कि कोई फिल्मी कहानी सच हो गई हो. उनकी जिंदगी इतनी इंट्रेस्टिंग, डेरिंग और इंस्पिरेशनल है कि लोग आज भी हैरान रह जाते हैं. मेजर मोहित शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1978 को हरियाणा के रोहतक जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था. बचपन से ही वे बहुत अनुशासित, मेहनती और देशभक्त थे. स्कूल-कॉलेज में भी हमेशा अच्छे नंबर लाते थे और खेलकूद में भी आगे रहते थे. उन्होंने पहले नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में दाखिला लिया, फिर भारतीय सैन्य एकेडमी (IMA) से ट्रेनिंग पूरी की. साल 1999 में वे भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट कमीशन हुए और 5 मद्रास रेजिमेंट में शामिल हुए. बहुत जल्दी उनका सिलेक्शन भारत की सबसे खतरनाक और बेहतरीन कमांडो यूनिट 1 पैरा स्पेशल फोर्सेज में हो गया. ये वही यूनिट है जो सबसे मुश्किल और गुप्त ऑपरेशन करती है.
शर्मा से बने थे 'इफ्तिखार भट्ट'
साल 2004-2005 के आसपास मेजर मोहित शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में एक ऐसा सीक्रेट मिशन किया जो आज तक लोग हैरानी से याद करते हैं. उन्होंने अपना नाम बदलकर 'इफ्तिखार भट्ट' रख लिया, दाढ़ी बढ़ाई, कश्मीरी कपड़े पहने और आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के बीच में घुस गए. महीनों तक वे आतंकवादियों के साथ ही रहे, उनका भरोसा जीता, उनकी मीटिंग्स में शामिल हुए और बहुत कीमती खुफिया जानकारी भारतीय सेना को पहुंचाते रहे. ये काम इतना खतरनाक था कि एक गलती से जान जा सकती थी, लेकिन मेजर साहब ने बिना डरे यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया.
फिर आया 21 मार्च 2009 का वह दिन
कुपवाड़ा के हफरुदा जंगल में खुफिया जानकारी मिली कि कुछ खतरनाक आतंकवादी छिपे हैं. मेजर मोहित शर्मा अपनी 1 पैरा (SF) की टीम लेकर सर्च ऑपरेशन पर निकले. अचानक आतंकवादियों ने घेर लिया और भयंकर गोलीबारी शुरू हो गई. मेजर साहब सबसे आगे थे. आतंकवादियों ने भारी हथियारों से फायरिंग की. मेजर को कई गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. घायल होने के बावजूद वे लगातार लड़ते रहे. उन्होंने अपने दो जांबाज़ साथियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया और खुद चार आतंकवादियों को मार गिराया. आखिरकार बहुत ज्यादा खून बह जाने की वजह से वे शहीद हो गए.
देश पर कुर्बान हो गए मेजर मोहित शर्मा
मेजर साहब सबसे आगे थे. आतंकवादियों ने भारी हथियारों से फायरिंग की. मेजर को कई गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. घायल होने के बावजूद वे लगातार लड़ते रहे. उन्होंने अपने दो जांबाज़ साथियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया और खुद चार आतंकवादियों को मार गिराया. आखिरकार बहुत ज्यादा खून बह जाने की वजह से वे शहीद हो गए. फिर फिल्म के निर्देशक आदित्य धर को साफ-साफ कहना पड़ा कि 'धुरंधर' पूरी तरह से काल्पनिक कहानी है, यह मेजर मोहित शर्मा की जिंदगी पर आधारित नहीं है. लोगों का प्यार और उत्साह देखकर लगता है कि मेजर मोहित शर्मा जैसे वीर सिपाहियों की कहानी को देश कभी नहीं भूल सकता. उनकी बहादुरी, उनका त्याग और उनकी देशभक्ति आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी.





