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करियर पीक पर एक्टिंग छोड़कर जब इस एक्टर ने खड़ा किया अपना 3300 करोड़ का बिजनेस

महज 21 साल की उम्र में स्टारडम का स्वाद चखने वाले पैन इंडिया एक्टर अरविंद स्वामी की जिंदगी में एक दौर आया जब उन्हें एक्टिंग छोड़कर अपना बिजनेस स्टैब्लिश करना पड़ा. कई लोगों का मानना ​​था कि 2000 में आई 'राजा को रानी से प्यार हो गया' उनकी आखिरी फिल्म थी. हालांकि रीढ़ की हड्डी में लगी चोट ने उनकी लाइफ में एक ट्रनिंग पॉइंट लाकर खड़ा कर दिया था.

करियर पीक पर एक्टिंग छोड़कर जब इस एक्टर ने खड़ा किया अपना 3300 करोड़ का बिजनेस
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( Image Source:  Image Source X )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 21 Oct 2024 6:01 PM

जाने-माने डायरेक्टर मणिरत्न की फिल्म से डेब्यू करने वाले अरविंद स्वामी (Arvind Swamy) को महज 21 साल की उम्र में वो स्टारडम मिला जिसे उन्हें रजनीकांत और ममूटी के बराबर खड़ा कर दिया. 'रोजा','बॉम्बे' जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते अरविंद पूरे भारत में सफलता हासिल करने के बावजूद पैरालिसिस जूझते हुए, फिल्मों से दूरी बनाने के बाद एक सफल बिजनेसमैन बनने में भी कामयाब रहे.

अरविंद के पिता वीडी स्वामी पेशे से बिजनेसमैन और मां वसंता भरतनाट्यम डांसर हैं. मणि ने उन्हें एक विज्ञापन में देखा और 1991 में रजनीकांत और ममूटी के साथ फिल्म 'थलपति' में एक भूमिका के लिए ऑडिशन देने के लिए बुलाया. जो साल 1991 में आई थी. लेकिन इस फिल्म से अरविंद को कोई खास पहचान नहीं मिली और फिर वह मणि के साथ उनकी 1992 की फिल्म 'रोजा' और 1995 की फिल्म 'बॉम्बे' में नजर आए. जिससे उन्हें पैन इंडिया लेवल पर पहचान मिली.

इस फिल्म से खत्म से करियर

पैन इंडिया स्टारडम के चलते उन्हें साल 1998 में जूही चावला के साथ प्रियदर्शन की हिंदी फिल्म 'सात रंग के सपने' में काम करने का मौका मिला. लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही और यहीं से उनके करियर खत्म होते हुए दिखाई दिया. कई लोगों का मानना ​​था कि 2000 की 'राजा को रानी से प्यार हो गया', जो कई देरी के बाद रिलीज़ हुई थी, उनकी आखिरी फिल्म थी. जिसमें उनके साथ मनीषा कोराईला नजर आईं.

पिता की जगह संभाला बिजनेस

चेन्नई के लोयोला कॉलेज में कमर्सिअल और नार्थ कैरोलिना में वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई करने वाले अरविंद ने बिना किसी डर के अपने दिवंगत पिता के व्यवसाय, वीडी स्वामी एंड कंपनी को चलाने का जिम्मा खुद ले लिया जो स्टील एक्सपोर्ट करती थी. रेडिफ़ ने 2003 में बताया कि अरविंद ने पेरोल प्रोसेसिंग कंपनी, प्रोलीज़ इंडिया के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया. 2005 तक, उन्होंने अपनी खुद की कंपनी, टैलेंट मैक्सिमस की स्टैब्लिश की. News18 और DNA ने बताया कि, RocketReach के मुताबिक 2022 में कंपनी का रेवेन्यू $418 मिलियन ( ₹3300 करोड़) था.

पैरालिसिस हो गए थे अरविंद स्वामी

लेकिन फिर उनकी लाइफ में एक ऐसा ट्रनिंग पॉइंट आया जहां सब कुछ बदल गया. 2000-13 के बीच रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से अरविंद स्वामी पैरालिसिस हो गए और सालों तक असहनीय दर्द में थे. जैसा कि अरविंद ने इस महीने की शुरुआत में गल्फ न्यूज को बताया था, 'मुझे रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी. मैं कुछ सालों तक बिस्तर पर था. कई अन्य चोटों के अलावा, मेरे पैर का आंशिक पैरालिसिस हो गया था.

सिल्वर स्क्रीन पर वापसी

जिस तरह मणि ने शुरुआत में अरविंद को फिल्मों में आने के लिए प्रेरित किया उसी तरह उन्होंने उनकी वापसी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2013 में, अपनी चोट से उभरने के बाद एक्टर ने 'कादल' के साथ सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की. इस फिल्म की रिलीज के दौरान एक्टर ने कहा था कि इस फिल्म को करना मेरे लिए एक चुनौती थी. लेकिन इस फिल्म के जरिए मुझे एक अच्छे स्वास्थ में आने का मौका मिला.

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