कभी दिल्ली की सरोजनी में मेकअप प्रोडक्ट बेचती थीं Smriti Irani, तुलसी वीरानी बनकर चमकाई किस्मत
स्मृति कई जगह टीवी शो के लिए ऑडिशन देती रही और फिर उन्हें साल 2000 एकता कपूर का पहला शो 'कविता' मिला. जिसमें राम कपूर उनके ऑपोजिट राम कपूर थे. लेकिन स्मृति के की किस्मत में तो चमकना लिखा था.

टीवी एक्ट्रेस से पॉलिटिशियन बनी स्मृति ईरानी भले ही केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री पद पर हैं. लेकिन आज भी लोग उन्हें एक सफल पॉलिटिशियन से पहले बतौर तुलसी उन्हें जानते हैं. स्मृति ईरानी जिन्होंने एकता कपूर के कल्ट शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' से अपना करियर शुरू किया. उन्हें घर घर में तुलसी वीरानी के लिए व्यापक पहचान मिली. स्मृति ईरानी ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी. वह एक मॉडल के रूप में कई फैशन शो और विज्ञापनों में काम करती थी.
उन्होंने 'मिस इंडिया' कंटेस्टेंट (1998) में भी भाग लिया था, हालांकि वह इस विनर नहीं बन पाईं. स्मृति का जन्म 23 मार्च 1976 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता पंजाबी और मां बंगाली थी. माता पिता की लव मैरिज थी लेकिन ज्यादा समय तक चल नहीं पाई. स्मृति के माता-पिता अपनी तनाव भरी शादी से अलग हो गए और स्मृति भी अपनी मां के साथ अपने नाना के घर चली गई.
सरोजनी में बेचती थी मेकअप प्रोडक्ट
स्मृति जो आज किसी पहचान की मोहताज नहीं कभी उन्हें अपना नाम और पहचान बनाने में काफी कुछ करना पड़ा. एक समय था जब स्मृति अपनी पिता का हाथ बटाने के लिए सरोजनी नगर में मेकअप प्रोडक्ट बेचती थी. इस बात का जिक्र खुद स्मृति ने नीलेश मिश्रा के साथ इंटरव्यू में किया है. सिर्फ इतना ही नहीं जिंदगी में कुछ करने के जूनून में वह NDTV चैनल तक पहुंची जहां नौकरी करना चाहती थी. लेकिन यहां नौकरी तो दूर गार्ड ने उन्हें अंदर भी किसी ने आने नहीं दिया था.
'मिस इंडिया' कंटेस्टेंट' में आजमाया हाथ
पूर्व एक्ट्रेस और पॉलिटिशियन की लाइफ काफी उतार चढाव वाली रही, लेकिन जिंदगी के हालातों को देखकर उनका जज्बा कभी नहीं कम नहीं हुआ. स्मृति ने साल 1998 में 'मिस इंडिया' कंटेस्टेंट' में हाथ आजमाया, पिता बेटी के इस फैसले के खिलाफ ने वह जल्द से जल्द उनकी शादी कराना चाहते थे. हालांकि इस मामले में स्मृति की मां ने उनका साथ दिया स्मृति कॉन्टेस्ट के फाइनल तक पहुंचीं, लेकिन जीत नहीं पाईं. अपने होसंले को लेकर मुंबई पहुंची स्मृति के जेब में पैसे खत्म हो चुके थे. उन्होंने मदद के लिए पिता को फोन लगाया था. वहीं पिता प्रदेश में बैठी बेटी को पैसा देने के लिए तो तैयार हो गए लेकिन सामने रख दी एक शर्त.
मिले कई रिजेक्शन
पूर्व एक्ट्रेस के मुताबिक उनके पिता ने कहा, 'मैं पैसे एक शर्त पर दूंगा अगर एक साल में तुम कुछ नहीं कर पाई तो तुम्हें मेरे ढूंढे हुए लड़के से शादी करनी होगी. स्मृति को भी कुछ समझ नहीं आया और उन्होंने पिता की शर्त मान ली और जूट गई काम की तलाश में.' स्मृति ने काम की तलाश में कई जगह हाथ पैर मारे उन्होंने जेट एयरवेज में फ्लाइट अटेंडेंट के पोस्ट के लिए अप्लाई किया, लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ. उन्हें कई मॉडलिंग ऑडिशन में भी रिजेक्ट कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने प्राइवेट जॉब की.
पंडित ने की भविष्यवाड़ी
स्मृति कई जगह टीवी शो के लिए ऑडिशन देती रही और फिर उन्हें साल 2000 एकता कपूर का पहला शो 'कविता' मिला. जिसमें राम कपूर उनके ऑपोजिट राम कपूर थे. लेकिन स्मृति के की किस्मत में तो चमकना लिखा था. एकता कपूर 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के लिए तुलसी वीरानी को ढूढ़ रही थी. तभी किसी ने स्मृति को उनसे मिलने को कहा. स्मृति एकता कपूर तक तो पहुंच गई लेकिन बाला जी प्रोडक्शन को वह कुछ जमी नहीं. प्रोडक्शन ने और निर्माता ने उन्हें देखते ही अनुमान लगाया कि स्मृति इस शो में रही तो यह फ्लॉप हो जाएगा. स्मृति को यहां भी निराशा हाथ लगी. तभी एक जाने-माने पंडित ने एकता को सलाह दी कि इस लड़की में कुछ तो बात है और इसकी वजह से शो हिट होगा. फिर क्या था एकता ने तुलसी वीरानी के लिए स्मृति को साइन कर लिया और यह इतना हिट हुआ कि कई सालों तक इसकी टीआरपी का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाया.
राजनीति में एंट्री
स्मृति ईरानी ने 2003 में राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ी. उन्होंने 2004 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के नेता सोनिया गांधी को चुनौती दी, हालांकि वह हार गईं. इसके बाद, उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराया और संसद में अपनी जगह बनाई. इसके बावजूद मोदी ने उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री बनाया। वर्तमान में वे केंद्रीय कपड़ा मंत्री हैं.