आइटम सॉन्ग गाने से कोई सस्ता नहीं हो जाता! Rekha Bhardwaj ने 'नमक इश्क का' को लेकर किया खुलासा
एक इंटरव्यू में रेखा ने बताया कि 'नमक इश्क का' गाने से पहले का दौर उनके लिए बेहद स्ट्रगलिंग रहा था. उन्हें लंबे समय से कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं मिल रहा था और उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी भी महसूस होने लगी थी.

मशहूर प्लेबैक सिंगर रेखा भारद्वाज ने हाल ही में अपने फेमस सॉन्ग ‘नमक इश्क का’ को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं. यह गाना 2006 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘ओमकारा’ का हिस्सा था, जिसे उनके पति और फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज ने निर्देशित किया था. 'नमक इश्क का' को आज भी एक बोल्ड और प्रभावशाली आइटम सॉन्ग के तौर पर याद किया जाता है, लेकिन इसके पीछे की कहानी कहीं ज़्यादा गहराई लिए हुए है.
News18 को दिए एक इंटरव्यू में रेखा ने बताया कि 'नमक इश्क का' गाने से पहले का दौर उनके लिए बेहद स्ट्रगलिंग रहा था. उन्हें लंबे समय से कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं मिल रहा था और उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी भी महसूस होने लगी थी. उन्होंने कहा, 'जब मुझे 'नमक इश्क का' गाने का मौका मिला, तब मैं खुद को लेकर बहुत असहज महसूस कर रही थी. मुझे लगने लगा था कि मैं शायद अब प्लेबैक सिंगिंग के लिए फिट नहीं हूं.
मैंने ऐसे गानों से परहेज नहीं किया
रेखा बताती हैं कि उन्होंने अपने करियर में कभी भी किसी भी प्रकार के गाने गाने से परहेज़ नहीं किया, चाहे वो रोमांटिक हो, क्लासिकल हो या फिर कोई आइटम नंबर. उन्होंने इस गाने के ज़रिए अपने अंदर छिपे शरारती और नटखट पक्ष को फिर से खोजा. रेखा जिन्हें 'दिल्ली' 6 में 'ससुराल गेंदा फूल', 'बर्फी' से 'फिर ले आया दिल', 'रावण' में 'रांझा रांझा' जैसे गानों के लिए जाना जाता है.
विशाल भारद्वाज का भरोसा बना संबल
रेखा ने कहा कि जब विशाल भारद्वाज ने पहली बार उन्हें यह गाना सुनाया और कहा कि "केवल तुम ही इसे गा सकती हो, 'तो यही वो पल था जिसने उन्हें गहरे सेल्फ डाउट से निकालकर कॉन्फिडेंस से भर दिया. विशाल ने रात को मुझे स्टूडियो में बुलाया और जब मैंने उन्हें रिकॉर्डिंग गाते सुना, तब मुझे एहसास हुआ कि मैं यह गाना निभा सकती हूं. उनकी बातों ने मुझे वह प्रेरणा दी जिसकी मुझे ज़रूरत थी.'
आइटम गानों पर रेखा का नजरिया
आइटम सॉन्ग गाने पर रेखा ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा, 'आइटम गाना गाने का मतलब ये नहीं कि मैं सस्ती हो गई हूं. ये भी हमारी कल्चरल एक्सप्रेशन का हिस्सा हैं। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि गाने को कैसे पेश किया गया है.' उन्होंने आगे कहा कि एक गाना एरोटिक (कामुक) होते हुए भी डिग्निफ़िएड हो सकता है, और इसके उदाहरण के तौर पर लता मंगेशकर के फेमस गाना ‘आ जाने जान’ का जिक्र किया. लताजी ने भी कई ऐसे गाने गाए जो रोमांटिक और दिल को छू लेने वाले थे, लेकिन उनमें कभी अश्लीलता नहीं थी. हां, अगर कोई गाना बेहद भड़कीला है तो मैं उसे गाना नहीं चाहती।'