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मां को गलत तरह से दिखाया गया है.... शाह बानो की बेटी ने फिल्म 'Haq' पर लगाई रोक की मांग, HC में दायर याचिका

शाह बानो की कहानी समझते हैं. वह इंदौर शहर में रहती थी, साल 1978 में उनके पति मोहम्मद अहमद खान, जो खुद एक वकील थे, ने उनसे तलाक ले लिया. तलाक के बाद शाह बानो के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने पूर्व पति के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया. उन्होंने गुजारा भत्ता मांगा. यह लड़ाई कई साल चली.

मां को गलत तरह से दिखाया गया है.... शाह बानो की बेटी ने फिल्म Haq पर लगाई रोक की मांग, HC में दायर याचिका
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( Image Source:  Instagram : yamigautam )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 4 Nov 2025 11:39 AM IST

शाह बानो बेगम की बेटी सिद्दीका बेगम खान ने एक बहादुर महिला की तरह अपनी मां की याद में लड़ाई लड़ी है. उन्होंने अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता (यानी जीवन चलाने के लिए पैसे) पाने के लिए लंबी कानूनी जंग की थी. अब वही बेटी हिंदी फिल्म 'हक' (Haq) को रुकवाने के लिए मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में गई हैं. उनका कहना है कि यह फिल्म उनकी मां के निजी जीवन को गलत और झूठी तरीके से दिखाती है, जो बिल्कुल ठीक नहीं है.

यह फिल्म शुक्रवार को, यानी 7 नवंबर को सिनेमाघरों में आने वाली है. इसे निर्देशक सुपर्ण एस वर्मा ने बनाया है. फिल्म की कहानी शाह बानो बेगम के प्रसिद्ध मामले से प्रेरित है. साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत बड़ा फैसला दिया था. उसमें कहा गया था कि तलाक के बाद मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं. यह फैसला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था.

शाह बानो के जीवन को गलत तरह से पेश करती है फिल्म

फिल्म में इमरान हाशमी और यामी गौतम धर लीड रोल निभा रहे हैं. इमरान पति का रोल कर रहे हैं, जो एक वकील है, और यामी पत्नी का रोल, जो न्याय के लिए लड़ती है. लेकिन शाह बानो की बेटी सिद्दीका बेगम खान को यह पसंद नहीं आया. उन्होंने इंदौर की उच्च न्यायालय की पीठ में याचिका दाखिल की. उन्होंने कहा कि फिल्म उनके परिवार की इजाजत के बिना बनी है और उनकी मां, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, के जीवन को गलत तरीके से पेश करती है. उनके वकील तौसीफ वारसी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सोमवार को अदालत में इस मामले की पहली सुनवाई हुई. दोनों पक्षों के वकील वहां मौजूद थे. सुनवाई थोड़ी देर चली और फिर जज ने अगली तारीख मंगलवार, यानी 4 नवंबर को तय कर दी. अब सबको इंतजार है कि अदालत क्या फैसला लेगी.

1978 में हुआ था तलाक

अब थोड़ा पीछे चलते हैं और शाह बानो की कहानी समझते हैं. वह इंदौर शहर में रहती थी, साल 1978 में उनके पति मोहम्मद अहमद खान, जो खुद एक वकील थे, ने उनसे तलाक ले लिया. तलाक के बाद शाह बानो के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने पूर्व पति के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया. उन्होंने गुजारा भत्ता मांगा. यह लड़ाई कई साल चली. आखिरकार 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं भी भारत के सामान्य कानून के तहत गुजारा भत्ता पा सकती हैं. लेकिन इस फैसले से कुछ मुस्लिम समूह नाराज हो गए. उन्होंने बहुत विरोध किया. फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में एक नया कानून बनाया. इसका नाम था 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम'. इस कानून ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया, यानी मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता के नियम अलग कर दिए गए. शाह बानो बेगम का साल 1992 में निधन हो गया.

'बानो: भारत की बेटी' किताब पर बनी फिल्म

अब आते हैं फिल्म 'हक' पर यह फिल्म उसी पुराने मामले मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम से प्रेरित है. फिल्म में दिखाया गया है कि एक मुस्लिम महिला अपने भरण-पोषण के अधिकार के लिए कैसे कानूनी लड़ाई लड़ती है. यह फिल्म एक पत्रकार जिग्ना वोरा की किताब 'बानो: भारत की बेटी' पर आधारित है. किताब और फिल्म दोनों ही उस मामले के कानूनी, भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं को दिखाते हैं. फिल्म में यामी गौतम धर शाज़िया बानो का किरदार निभा रही हैं. शाज़िया एक मजबूत महिला है जो अदालत में न्याय मांगती है. इमरान हाशमी उनके पति अब्बास खान का रोल कर रहे हैं, जो वकील हैं. निर्देशक सुपर्ण वर्मा कहते हैं कि 'हक' आस्था, समानता और साहस की कहानी है. वे मानते हैं कि ये मुद्दे आज भी उतने ही जरुरी हैं जितने 40 साल पहले थे.

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