कौन थी 'तमाशा क्वीन' विथाबाई नारायणगांवकर? Sharaddha Kapoor निभाएंगी किरदार, शुरू हुई शूटिंग
इस साल श्रद्धा की कोई फिल्म सिनेमाघरों में नहीं आई, फिर भी वे बहुत पॉपुलर हैं. इसका कारण है उनकी सोशल मीडिया पर मजबूत मौजूदगी. लेकिन अब वह अपनी अपकमिंग फिल्म 'ईथा' की शूटिंग को लेकर चर्चा में हैं. 'ईथा' महाराष्ट्र की 'तमाशा क्वीन' विथाबाई नारायणगांवकर की बायोपिक है.
  श्रद्धा कपूर (Sharaddha Kapoor) ने महाराष्ट्र की मशहूर तमाशा कलाकार विथाबाई नारायणगांवकर (Vithabai Narayangaonkar) की जिंदगी पर बनी फिल्म 'ईथा' की शूटिंग शुरू कर दी है. यह खबर एक क्लैपबोर्ड की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद फैली. उस तस्वीर में फिल्म का नाम 'ईथा' लिखा हुआ था. इससे फैंस में बहुत एक्साइटमेंट है. फिल्म को लक्ष्मण उटेकर डायरेक्ट कर रहे हैं. यह श्रद्धा और लक्ष्मण की पहली साथ की फिल्म है. इसका निर्माण दिनेश विजान की कंपनी मैडॉक फिल्म्स कर रही है.
अभी तक कोई ऑफिशियल ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन खबरों के मुताबिक, मशहूर म्यूजिक कंपोजर अजय-अतुल इस फिल्म का गाना तैयार करेंगे. 'ईथा' में श्रद्धा को अब तक की उनकी सबसे सीरियस और एक्टिंग वाली बड़ी भूमिका मिलने वाली है. आखिरी बार वे फिल्म 'स्त्री 2: सरकटे का आतंक' (2024) में नजर आई थी. इन दिनों श्रद्धा अपने प्रोजेक्ट्स को बहुत सोच-समझकर चुन रही हैं. वे ऐसी कहानियां पसंद कर रही हैं जो उन्हें अलग-अलग तरह के किरदार निभाने का मौका दें.
कौन थी विथाबाई?
विथाबाई मराठी लोक नाटक यानी तमाशा की बहुत बड़ी कलाकार थी.तमाशा एक ऐसा परफॉर्मेंस है जिसमें गाना, डांस और कहानी को मिलाकर प्रेजेंट किया जाता है. विथाबाई को उनके इस काम के लिए बहुत याद किया जाता है. उनकी जिंदगी में कला की बहुत ताकत थी और साथ ही कई मुश्किलें भी थी. उनकी कहानी आज भी नई जनरेशन के कलाकारों को प्रेरणा देती है. उनका जन्म साल 1923 में एक महाराष्ट्र के एक गरीब परिवार में हुआ जहां गुजरा भी मुश्किल से होता था. इस वजह से विथाबाई को अपने घर की आर्थिक स्तिथि संभालने के लिए आगे आना पड़ा.
पद्मश्री से हुई थी सम्मानित
घर के खराब हालात को देखते हुए उन्होंने 12 साल की उम्र में ही तमाशा पार्टी में काम करने लगी. तमाशा महाराष्ट्र का पारंपरिक लोक नाटक है. इसमें गाना, डांस, डायलॉग, हास्य और ड्रामा सब कुछ होता है. खासकर लावणी गीत इसमें बहुत लोकप्रिय होते हैं. विथाबाई ने यही लावणी को नई ऊंचाई दी. लावणी पहले सिर्फ मनोरंजन के लिए गाई जाती थी, लेकिन विथाबाई ने इसमें समाज की सच्चाई, औरतों की पीड़ा, प्यार और संघर्ष की बातें जोड़ीं. उनकी लावणी सुनकर लोग हंसते भी थे और रोते भी थे. उन्हें (1986) में पद्मश्री मिला. महाराष्ट्र सरकार ने 'महाराष्ट्र भूषण' और कई अन्य सम्मान दिए. साल 2002 में 79 की उम्र में अलविदा कह दिया.
श्रद्धा की पॉपुलैरिटी
इस साल श्रद्धा की कोई फिल्म सिनेमाघरों में नहीं आई, फिर भी वे बहुत पॉपुलर हैं. इसका कारण है उनकी सोशल मीडिया पर मजबूत मौजूदगी. इंस्टाग्राम पर उनके 94 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. वे अक्सर भावुक पोस्ट डालकर फैंस से जुड़ती हैं. हाल ही में उन्होंने भारत की महिला क्रिकेट टीम की ICC विश्व कप 2025 की जीत पर पोस्ट लिखा. उन्होंने कहा, 'हम अपने मम्मी-पापा से 1983 की विश्व कप जीत की कहानियां सुनते थे. अब हमें भी वह खुशी का पल मिला, इसके लिए टीम को शुक्रिया.'





