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4 घंटे में मिले 25 लाख रुपये, आखिर क्यों Saif Ali Khan के कैशलेस ट्रीटमेंट पर छिड़ा विवाद?

Saif Ali Khan पर 16 जनवरी की रात हमला हुआ था, जिसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. अब सैफ के ट्रीटमेंट को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जहां एएमसी ने शिकायत कर उनके 4 घंटे में 25 लाख रुपये के कैशलेस ट्रीटमेंट पर सवाल उठाए हैं.

4 घंटे में मिले 25 लाख रुपये, आखिर क्यों Saif Ali Khan के कैशलेस ट्रीटमेंट पर  छिड़ा विवाद?
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( Image Source:  Instagram/saifalikhanpataudiworld )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 26 Jan 2025 12:17 PM IST

सैफ अली खान को हमले के बाद मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अब इस मामले में एक नया विवाद खड़ा हो गया है. जहां अब 14 हजार सदस्यों वाले एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स ने एक्टर के कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए 25 लाख रुपये की तुरंत मंजूरी के बारे में शिकायत की है. एसोसिएशन ने इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट को लेटर लिखा है.

AMC ने अपने लेटर में कहा कि यह आम पॉलिसी होल्डर को मिलने वाले बेनेफिट्स की तुलना में सेलिब्रिटी के लिए प्रीफ्रेंशियल ट्रीटमेंट दिखाता है. इस मामले में एक सीनियर सर्जन ने दावा किया कि सैफ को 4 घंटे के भीतर अस्पताल ने 25 लाख की मंजूरी दी.

5 हजार रुपये की मिलती है मंजूरी

इस मामले में डॉक्टर ने कहा कि हेल्थ केयर इंडस्ट्री में इतनी बड़ी मंजूरी और इतनी जल्दी शायद ही कभी देखने को मिलती है. इसके आगे उन्होंने कहा कि ज्यादातर पॉलिसी होल्डर को 5 हजार रुपये की शुरुआती मंजूरी मिलती है. एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि मेडिकल लीगल केस में बीमा मंजूरी में लंबा समय लगता है, लेकिन सैफ के केस में ऐसा नहीं हुआ.

आम लोगों के लिए नहीं है नियम

एएमसी पत्र के मुताबिक, सैफ अली खान का बीमा दावा एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति दिखाता है, जहां मशहूर हस्तियों और हाई-प्रोफाइल लोगों और कॉर्पोरेट पॉलिसी वाले मरीजों को अनुकूल शर्तें और हाई कैशलेस ट्रीटमेंट मिलता है, जबकि आम लोग कम कवरेज और लो रीइंबर्समेंट रेट्स से जूझते हैं. इस तरह की चीजें असामनता पैदा करती हैं. साथ ही, समान स्वास्थ्य सेवा पहुंच के सिद्धांत को कमजोर करती हैं.

होनी चाहिए घटना की जांच

एएमसी के मेडिको-लीगल सेल के प्रमुख डॉ. सुधीर नाइक ने कहा कि 'हम कॉर्पोरेट अस्पतालों या मशहूर हस्तियों के खिलाफ नहीं हैं, हम नर्सिंग होम में जाने वाले आम रोगियों के लिए भी यही ट्रीटमेंट चाहते हैं. उन्होंने एएमसी की मांगों को दोहराते हुए कहा कि आईआरडीए को इस घटना की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पॉलिसी होल्डर्स के साथ, उनकी सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना, समान व्यवहार किया जाए.

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