Randeep Hooda को 'बॉयकॉट कल्चर' से नहीं पड़ता कोई फर्क, कहा- कोई भी पॉपुलैरिटी अच्छी पॉपुलैरिटी होती है
हाल ही में रणदीप हुडा ने बॉलीवुड में चल रहे 'बॉयकॉट कल्चर' के बारें में बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें 'बॉयकॉट कल्चर' से कोई फर्क नहीं पड़ता है. हां, बस सोशल मीडिया पर आपके बारें में सनसनी नहीं होनी चाहिए.

बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से 'बॉयकॉट कल्चर' चला आ रहा है. 'लाल सिंह चड्डा','पद्मावत' और 'पीके' समेत कई फिल्मों को बॉयकॉट किया गया. जिसके बाद बॉलीवुड में यह गंभीर मुद्दा बना और इसका असर कुछ हद तक फिल्मों पर भी पड़ा है. अब इसपर बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुडा ने बात की है. रणदीप हुडा (Randeep Hooda) ने हाल ही में 'बॉयकॉट कल्चर' पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इंडिया टुडे माइंड रॉक्स 2024 यूथ समिट में रणदीप ने कहा कि उन्हें 'बॉयकॉट कल्चर' से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
दरअसल यूथ समिट के दौरान रणदीप से पूछा गया कि क्या फिल्मों पर 'बॉयकॉट कल्चर' का प्रभाव पड़ता है?. जिसके जवाब में एक्टर ने कहा, 'मुझे लगता है कि कोई भी पॉपुलैरिटी अच्छी पॉपुलैरिटी होती है और इससे शोबिज रन करता है. हां, समस्या तब पैदा होती है जब कोई आपके बारें में बात नहीं कर रहा होता. लेकिन यह सिर्फ सनसनी फैलाने का मामला भी नहीं होना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि 'बॉयकॉट कल्चर' एक सोशल मीडिया धोखा है. रणदीप का कहना है कि अगर आप सोशल मीडिया पर किसी फिल्म का बॉयकॉट देखते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि लोग फिल्म नहीं देखेंगे. अगर लोग फिल्म नहीं देख रहे हैं तो इसकी वजह यह है कि उन्हें ट्रेलर पसंद नहीं आया. लोग फ़िल्म इसलिए देखते हैं क्योंकि उन्हें फिल्म का ट्रेलर या उसमें एक्टर पसंद आता है. इसका इस बॉयकॉट कल्चर से कोई लेना-देना नहीं है. मुझे इसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं है.
बता दें कि रणदीप ने साल 2001 में आई मीरा नायर की फिल्म 'मानसून वेडिंग' से डेब्यू किया था. इसके अलावा उन्हें 'वन्स अपॉन आ टाइम इन मुंबई', 'जन्नत' 2 और 'कॉकटेल' समेत अन्य फिल्मों में देखा गया है. हाल ही में रणदीप को 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' में देखा गया.जिसे डायरेक्ट और प्रोड्यूस्ड खुद एक्टर ने किया है.हाल ही में रणदीप हुडा ने बॉलीवुड में चल रहे 'बॉयकॉट कल्चर' के बारें में बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें 'बॉयकॉट कल्चर' से कोई फर्क नहीं पड़ता है. हां, बस सोशल मीडिया पर आपके बारें में सनसनी नहीं होनी चाहिए