Pratik Gandhi और Patralekhaa स्टारर फिल्म Phule को लेकर हंगामा है क्यों बरपा? टालनी पड़ी रिलीज डेट
अनंत महादेवन की निर्देशित फुले' समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने समानता और शिक्षा को जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए.

प्रतिक गांधी और पत्रलेखा की अपकमिंग फिल्म 'फुले' को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. अब नई अपडेट में पता चला है कि फिल्म की रिलीज डेट पोस्टपोन कर दी गई है. इस फिल्म से ब्राह्मण समुदाय सबसे ज्यादा नाराज है. फिल्म पर जातिवाद को बढ़ावा देना का आरोप लगाया गया है, जिसकी वजह से फिल्म की रिलीज डेट पोस्टपोन कर दी गई है.
अनंत महादेवन की निर्देशित फुले' समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने समानता और शिक्षा को जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए. फिल्म में प्रतीक गांधी ने ज्योतिराव फुले की भूमिका निभाई है, जिन्हें महात्मा फुले के नाम से भी जाना जाता है और पत्रलेखा ने सावित्रीबाई फुले की भूमिका निभाई है. जहां यह फिल्म 11 अप्रैल 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी, अब यह फिल्म आगे बढ़कर 25 अप्रैल 2025 हो गई है.
क्यों हो रहा विवाद
ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष आनंद दवे ने पहले फिल्म का ट्रेलर देखा और फिल्म पर जातिवाद का आरोप लगाते हुए रिलीज पर आपत्ति जताई. उन्होंने यह भी मांग की कि 'फुले' की सहायता करने में 'काले ब्राह्मण' समुदाय के योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए. विवाद के बीच, पूर्व राज्य मंत्री छगन भुजबल ने विवाद को सुलझाने के लिए निर्देशक अनंत महादेवन और निर्माताओं से मुलाकात की. इस बीच, सीबीएफसी (CBFC) ने निर्माताओं से फिल्म में कई बदलाव करने को कहा है, जिसमें जाति व्यवस्था का संदर्भ देने वाले वॉयसओवर को हटाना भी शामिल है. CBFC का आदेश है कि फिल्म में से 'महार', 'मांग', 'पेशवाई' और 'जाति की मानुस व्यवस्था' जैसे शब्दों को हटाया जाए.
क्या बोले निर्देशक
अब 'फुले' के निर्देशक ने न्यूज 18 शोशा से बात करते हुए कहा, 'मैं केवल उनके दिमाग में मौजूद इन छोटे-मोटे जालों को साफ करना चाहता हूं. हालांकि यह फिल्म को जज करने का सही तरीका नहीं है. उन्होंने फिल्म की हो रही आलोचना पर कहा, 'आजकल यह बहुत मुश्किल है. कोई भी किसी भी बात से नाराज हो जाता है. आज के समय में, खासकर सोशल मीडिया के युग में आप कभी अंदाजा नहीं लगा सकते. लोगों के पास कुछ भी करने और कुछ भी कहने की ताकत है और इस ताकत का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. निडर होना ही इसका एकमात्र जवाब है.