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'आतंकी स्वीडन से नहीं आए थे...' इस इवेंट में Javed Akhtar के बयान से फैल गया था सन्नाटा, यूं दिखाया था पाक को आईना

हाल ही में जावेद अख्तर ने एक इवेंट में पकिस्तान के लाहौर से एक किस्सा याद किया जब एक पाक पत्रकार ने उनसे विवादित सवाल पूछा था. जिसने कहा गया था कि हर भारतीय पाकिस्तानियों को आतंकी क्यों समझा जाता है?. जिसके बाद जावेद साहब ने उस पत्रकार को बड़ा ही करारा जवाब दिया जिससे वहां मौजूद बैठे लोगों के बीच सन्नाटा पसर गया था.

आतंकी स्वीडन से नहीं आए थे... इस इवेंट में Javed Akhtar के बयान से फैल गया था सन्नाटा, यूं दिखाया था पाक को आईना
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 2 May 2025 1:54 PM

मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने हाल ही में मुंबई में एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान अपने लाहौर दौरे का एक तीखा और भावनात्मक अनुभव शेयर किया, जिसने काफी चर्चा बटोरी है. उन्होंने खुलासा किया कि कैसे एक पाकिस्तानी महिला पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल पर उन्होंने उसे करारा जवाब दिया और भारत पर आतंकी हमलों को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर खुलकर बात की.

जब लाहौर में जावेद अख्तर से पूछा गया था भारतीय पाकिस्तानियों को आतंकवाद की नजर से क्यों देखते हैं?. जावेद अख्तर ने बताया कि वह कुछ समय पहले लाहौर में एक साहित्य फेस्टिवल में शामिल होने गए थे. वहां बातचीत के दौरान एक महिला पत्रकार ने उनसे पूछा, 'भारतीय हमें आतंकवादी क्यों समझते हैं?.'

आपके शहर में खुलेआम घूम रहे हैं

इस सवाल ने अख्तर को झकझोर दिया. उन्होंने बिना झिझक जवाब दिया, 'मैं मुंबई का रहने वाला हूं और मैंने अपने शहर को जलते हुए देखा है. जो लोग इसे जलाने आए थे, वे स्वीडन या मिस्र से नहीं आए थे. वे यहीं से पाकिस्तान आए थे और आज भी वे लोग आपके शहरों में खुलेआम घूमते हैं. आप हमें कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि हम सबकुछ भूल जाएं और सामान्य व्यवहार करें?.' उनका यह बयान सुनकर वहां मौजूद लोगों में सन्नाटा छा गया. अख्तर ने स्पष्ट किया कि 26/11 जैसे आतंकी हमले, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए, भारतीयों के दिल में अब भी ताजा हैं और भारत के नागरिकों के लिए यह एक दर्दनाक याद है.

लता मंगेशकर को कभी ट्रिब्यूट दी?

जावेद अख्तर ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए भारत और पाकिस्तान के सांस्कृतिक दृष्टिकोण के अंतर को भी उजागर किया. उन्होंने ने कहा, 'हमने नुसरत फतेह अली खान, मेहदी हसन और फैज़ अहमद फैज़ को सिर आंखों पर बिठाया. यहां तक कि उनके लिए स्पेशल इवेंट ऑर्गनाइज किए गए. लेकिन क्या आपने कभी लता मंगेशकर जैसी महान गायिका के लिए कोई ट्रिब्यूट दी? कभी उन्हें पीटीवी पर दिखाया? नहीं.'

बयान से मची हलचल

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज पाकिस्तानी कला और साहित्य को हमेशा सराहता रहा है, लेकिन पाकिस्तान में भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों को राजनीतिक कारणों से हाशिये पर डाल दिया गया. अख्तर ने हंसते हुए बताया कि उनके इस जवाब ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी थी और वह अगली सुबह ही भारत लौट आए. उन्होंने स्वीकार किया कि वहां के राजनीतिक माहौल को देखते हुए यह बयान देना जोखिम भरा हो सकता था, लेकिन सच बोलना ज़रूरी था.

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