मनी लॉन्ड्रिंग केस में नया मोड़, Raj Kundra के पास 150 करोड़ से ज़्यादा के 285 बिटकॉइन, जानबूझकर छुपाया ईडी से सबूत!
राज कुंद्रा का कहना है कि वह इस लेन-देन में केवल बिचौलिया थे. लेकिन ईडी ने उनके इस तर्क को नकार दिया. यह पूरा मामला उस क्रिप्टो पोंजी स्कीम से जुड़ा है, जिसे अमित भारद्वाज और उनके परिवार ने चलाया था. 'वेरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड' नाम की कंपनी के जरिए इन्वेस्टर्स से पैसे जुटाए गए थे.

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ बिटकॉइन घोटाले के मामले में आरोपपत्र दायर किया है. एजेंसी का दावा है कि कुंद्रा सिर्फ एक 'बीच के आदमी' नहीं थे, बल्कि इस पूरे लेन-देन में असली बेनेफिशियल ओनर थे. ईडी की जांच में सामने आया है कि कुंद्रा के पास 285 बिटकॉइन थे, जिन्हें उन्होंने कथित रूप से दिवंगत क्रिप्टो स्कैम मास्टरमाइंड अमित भारद्वाज से हासिल किया था. इन बिटकॉइन की मौजूदा कीमत लगभग 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
एजेंसी का कहना है कि कुंद्रा ने न केवल इन बिटकॉइन को छुपाया, बल्कि उनके वॉलेट एड्रेस और बाकी अहम जानकारी भी जानबूझकर शेयर नहीं की. इससे पहले भी उन्हें कई मौके दिए गए, लेकिन वे ईडी को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. इतना ही नहीं, कुंद्रा पर आरोप है कि उन्होंने इन बिटकॉइन को अपराध से कमाई गई रकम (Proceeds of Crime) की तरह इस्तेमाल किया. साथ ही, शिल्पा शेट्टी के साथ मिलकर कुछ लेन-देन भी किए, जिनकी कीमत बाज़ार दर से बहुत कम रखी गई. ईडी का मानना है कि यह सब पैसों के असली सोर्स को छिपाने और मनी लॉन्ड्रिंग को वैध दिखाने के लिए किया गया.
घोटाले की जड़ क्या है?
यह पूरा मामला उस क्रिप्टो पोंजी स्कीम से जुड़ा है, जिसे अमित भारद्वाज और उनके परिवार ने चलाया था. 'वेरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड' नाम की कंपनी के जरिए इन्वेस्टर्स से पैसे जुटाए गए थे. वादा किया गया था कि बिटकॉइन माइनिंग करके उन्हें मोटा मुनाफा मिलेगा, लेकिन असल में लोगों को धोखा दिया गया और बिटकॉइन को गुप्त वॉलेट्स में छिपा दिया गया. ईडी का दावा है कि इसी घोटाले से कुंद्रा ने 285 बिटकॉइन पाए थे, जिन्हें बाद में उन्होंने यूक्रेन में बिटकॉइन माइनिंग फार्म शुरू करने के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी. हालांकि यह प्रोजेक्ट कभी पूरा नहीं हुआ, लेकिन बिटकॉइन आज भी उनके पास हैं.
राज का बचाव और ईडी का पलटवार
राज कुंद्रा का कहना है कि वह इस लेन-देन में केवल बिचौलिया थे. लेकिन ईडी ने उनके इस तर्क को नकार दिया. चार्जशीट में खुलासा हुआ कि उनके और महेंद्र भारद्वाज (अमित भारद्वाज के पिता) के बीच 'टर्म शीट' नाम का समझौता भी हुआ था. इससे साबित होता है कि कुंद्रा सीधे तौर पर इसमें शामिल थे और बिटकॉइन उनके नाम पर थे. एजेंसी का कहना है कि अगर वह सिर्फ बिचौलिया होते, तो न तो बिटकॉइन की सही गिनती याद रखते और न ही सात साल बाद तक उनके पास यह संपत्ति बनी रहती.
कौन-कौन फंसे?
एक और चौंकाने वाली बात यह रही कि जब उनसे वॉलेट एड्रेस और बाकी तकनीकी डिटेल मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि उनका iPhone X खराब हो गया था, और सारी जानकारी उसी में थी. ईडी ने इसे सबूत मिटाने और मामले को उलझाने की 'जानबूझकर की गई कोशिश' करार दिया. इस केस में सिर्फ राज कुंद्रा ही नहीं, बल्कि कारोबारी राजेश सतीजा का नाम भी शामिल है. अब यह मामला विशेष पीएमएलए कोर्ट में चल रहा है और आने वाले दिनों में साफ होगा कि कुंद्रा को राहत मिलती है या उनकी कानूनी मुश्किलें और गहराती हैं.