Raj Kapoor के एक तरफा प्यार में पागल Nargis Dutt ने गवां दी थी अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट तक, होती थी घर में पिटाई
नरगिस के लिए यह रिश्ता सिर्फ प्रोफेशनल नहीं रहा, वो इसमें पूरी तरह डूब गई थी. लेकिन राज कपूर कभी अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. नरगिस ने न सिर्फ अपना समय, बल्कि अपने करियर के कई सुनहरे मौके भी खो दिए.

जब राज कपूर ने पहली बार नरगिस को देखा, तो उन्हें लगा जैसे कोई परी सामने आ गई हो। वह सिर्फ 22 साल के थे और नरगिस 16 की। नरगिस का चेहरा, उनका मुस्कुराना, और बालों को चेहरे से हटाने का अंदाज़ सब कुछ राज को किसी फिल्मी सीन जैसा लगा. उसी पल उन्होंने तय कर लिया कि नरगिस को अपनी पहली फिल्म आग (1948) में लेना है. यहीं से उनके रिश्ते की शुरुआत हुई, जो धीरे-धीरे दोस्ती से प्यार और फिर एक दर्दनाक मोहब्बत में बदल गया.
हालाँकि राज कपूर पहले से शादीशुदा थे, फिर भी नरगिस उनके प्यार में पूरी तरह डूब गई थी. उन्होंने राज के साथ काम करने के लिए अपने कई करियर के मौके छोड़ दिए. 'आग' फिल्म के लिए नरगिस की मां जद्दनबाई से बात कर राज ने उन्हें 5000 रुपये की फीस देने की पेशकश की, लेकिन नरगिस के भाई ने यह बढ़ाकर 40000 रुपये करवा लिया. इसके बाद, नरगिस ने राज के साथ दिल से काम किया, भले ही उन्हें कम पैसे मिले हों.
एक दूसरे के करीब आ गए थे दोनों
'आग' से राज कपूर ने निर्देशक के रूप में करियर शुरू किया और नरगिस उनके साथ रही. फिल्म ज्यादा नहीं चली, लेकिन दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री सबको पसंद आई. इसके बाद उन्होंने बरसात और अंदाज़ जैसी फिल्में कीं, जो हिट रही. बरसात से आरके फिल्म्स को उसका मशहूर लोगो मिला, जिसमें राज और नरगिस एक-दूसरे की बांहों में हैं. इस दौरान दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए.
भाई ने की पिटाई, गवाए कई मौके
नरगिस के लिए यह रिश्ता सिर्फ प्रोफेशनल नहीं रहा, वो इसमें पूरी तरह डूब गई थी. लेकिन राज कपूर कभी अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. नरगिस ने न सिर्फ अपना समय, बल्कि अपने करियर के कई सुनहरे मौके भी खो दिए. राज उन्हें फिल्मों के लिए कम फीस देते थे और चाहते थे कि वो सिर्फ आरके फिल्म्स में काम करें. उनके परिवार को यह रिश्ता कभी पसंद नहीं आया. नरगिस की मां और फिर भाई अख्तर ने इस रिश्ते को तोड़ने की पूरी कोशिश की. कई बार अख्तर ने नरगिस को पीटा भी, ताकि वो राज से अलग हो जाए. घर की परेशानियों और काम की दिक्कतों के बीच नरगिस ने अपना सब कुछ झोंक दिया था.
एक तरफ़ा प्यार में थी नरगिस
राज कपूर और नरगिस ने 'आवारा', 'श्री 420', 'जान पहचान', 'अह' जैसी कई फिल्में साथ में कीं, जिनमें उनकी केमिस्ट्री कमाल की थी. लेकिन धीरे-धीरे नरगिस को यह समझ आने लगा कि वो एकतरफा प्यार कर रही हैं. राज कपूर उन्हें सिर्फ अपने स्टूडियो तक सीमित रखना चाहते थे और कोई अधिकार नहीं देना चाहते थे. उनके नाम पर नरगिस ने बहुत कुछ त्याग दिया अपने सपने, करियर और आत्मसम्मान भी. 1956 में जब 'चोरी चोरी' रिलीज़ हुई, तब नरगिस को इस रिश्ते से बाहर निकलने की ताकत मिली. यह उनकी राज कपूर के साथ आखिरी फिल्म थी. इसके बाद उन्होंने 'जागते रहो' में आखिरी बार राज के साथ फ्रेम शेयर किया और फिर आरके फिल्म्स से नाता तोड़ लिया.
'मदर इंडिया' से भरी करियर में उड़ान
इस समय तक नरगिस का करियर गिरावट की ओर था, पैसे की तंगी के चलते उन्होंने अपनी कारें, गहने तक बेच दिए. राज कपूर की वजह से उन्हें दूसरी फिल्मों में काम नहीं मिल रहा था. वो धीरे-धीरे ‘आदर्श भारतीय नारी’ के किरदारों तक सीमित होती जा रही थीं. फिर आया वह मोड़ जिसने उनकी ज़िंदगी बदल दी. महबूब खान की फिल्म 'मदर इंडिया' में उन्हें मुख्य भूमिका मिली, जो उनकी सबसे यादगार फिल्म बनी. इसी फिल्म के दौरान नरगिस की मुलाकात सुनील दत्त से हुई, जिन्होंने फिल्म में उनके बेटे का रोल निभाया था. जब सेट पर आग लगी, तो सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह किए बिना उन्हें बचाया. यह घटना नरगिस के दिल को छू गई और यहीं से उनकी नई जिंदगी की शुरुआत हुई.