Ranya Rao के खिलाफ गलतबयानी न करे मीडिया, कोर्ट ने क्यों जारी किया ये आदेश?
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अभिनेत्री हर्षवर्दिनी रान्या राव और उनके पिता के. रामचंद्र राव के खिलाफ किसी भी झूठे या अपमानजनक बयान को मीडिया में प्रसारित होने से रोकने के लिए उचित आदेश पारित करे.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अभिनेत्री हर्षवर्दिनी रान्या राव और उनके पिता के. रामचंद्र राव के खिलाफ किसी भी झूठे या अपमानजनक बयान को मीडिया में प्रसारित होने से रोकने के लिए उचित आदेश पारित करे. रामचंद्र राव को सोने की तस्करी से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया है और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. यह मामला तब सुर्खियों में आया जब बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनकी बेटी रान्या राव से कथित तौर पर ₹12.56 करोड़ मूल्य के सोने के बिस्कुट बरामद किए गए.
अदालत ने क्यों दिया आदेश?
रामचंद्र राव की गिरफ्तारी के बाद मीडिया में कई तरह की रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें कुछ झूठी या अपमानजनक बयानबाजी होने का आरोप लगाया गया. इसी के चलते राव परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने और मीडिया को अनावश्यक बयानबाजी से रोकने के लिए उचित कदम उठाने को कहा.
12 मार्च को, अभिनेत्री हर्षवर्दिनी रान्या राव की मां एच.पी. रोहिणी द्वारा दायर एक मुकदमे में सिविल कोर्ट ने एकपक्षीय आदेश पारित करते हुए मीडिया को 2 जून तक उनके खिलाफ बयान देने से रोक दिया था. इसी तरह, रान्या के पिता के. रामचंद्र राव द्वारा दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने भी ऐसा ही आदेश पारित किया.
मीडिया की भूमिका पर सवाल, हाईकोर्ट का सख्त रुख हालांकि, रान्या राव के माता-पिता का आरोप है कि इन आदेशों के बावजूद मीडिया संस्थान संयम नहीं बरत रहे हैं और अदालत के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे. उनकी याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्टिंग में जांच की सही जानकारी साझा करने के बजाय, आरोपी के चरित्र को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है.
कब होगी अगली सुनवाई?
सुनवाई के दौरान अदालत का ध्यान अभिनेता दर्शन हत्या मामले की ओर भी गया, जहां मीडिया को आरोपी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री प्रसारित करने से रोका गया था.इस संदर्भ में भारत संघ के उप-सॉलिसिटर जनरल एच. शांति भूषण ने अदालत को बताया कि सरकार पहले भी ऐसे मामलों में मीडिया को न्यायिक आदेशों के उल्लंघन से रोकने के लिए कदम उठा चुकी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.