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Jaat Movie Review: रणदीप हुड्डा कमाल, सनी पाजी का वही धमाल; 'जाट' देखने जाओ तो लॉजिक भूल जाओ

फिल्म की शुरुआत होती है रणदीप हुड्डा के कैरेक्टर से, जो कोस्टल आंध्र के 25-30 गांवों को ऐसे कब्जे में ले चुका है जैसे घर में टीवी का रिमोट पकड़ लिया हो — और अब कोई दूसरा छू नहीं सकता. अब उसी सेटअप में हीरोइक एंट्री होती है सनी पाजी की — फुल स्लो मोशन में, डस्ट उड़ती है, लोग "ओओओय" करते हैं और...

Jaat Movie Review: रणदीप हुड्डा कमाल, सनी पाजी का वही धमाल; जाट देखने जाओ तो लॉजिक भूल जाओ
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तो जाट देख के निकला हूं भाई, और सीधा ये बोलने का मन कर रहा है कि अगर साउथ की मास मसाला मूवीज़ का बायोलॉजिकल बच्चा और 90s के सनी देओल का डीएनए मिल जाए — तो कुछ-कुछ वैसा ही वाइब है इस फिल्म का.

फिल्म की शुरुआत होती है रणदीप हुड्डा के कैरेक्टर से, जो कोस्टल आंध्र के 25-30 गांवों को ऐसे कब्जे में ले चुका है जैसे घर में टीवी का रिमोट पकड़ लिया हो — और अब कोई दूसरा छू नहीं सकता. वो हर विलेज पे ऐसा कहर बरपाता है जैसे नेटफ्लिक्स पर "स्किप इंट्रो" का ऑप्शन हट गया हो. कारण क्या है? पता नहीं, फिल्म भी नहीं बताती शुरुआत में — बस बोलती है कि डरना चाहिए, क्योंकि ये बंदा काफी खतरा है.

अब उसी सेटअप में हीरोइक एंट्री होती है सनी पाजी की — फुल स्लो मोशन में, डस्ट उड़ती है, लोग "ओओओय" करते हैं और बैकग्राउंड स्कोर ऐसा बजता है जैसे पूरा ऑर्केस्ट्रा जिम करके आया हो. सनी देओल यहां किसी क्रांतिकारी देवता की तरह आते हैं — लेकिन ओपनिंग डायलॉग में बस एक ही चीज़ रिपीट होती है: "सॉरी बोल." भाई, पहले तो लगा कि किसी रिलेशनशिप एक्सपर्ट की एंट्री हो गई है.

अब बीच में उर्वशी रौतेला आती हैं, और यहां फिल्म अपनी ओरिजिनल डायरेक्शन से थोड़ा इधर-उधर निकल जाती है. एक आइटम सॉन्ग है — फुल ग्लैम, फुल ग्लिटर, और बस उसी में उर्वशी का काम निपट जाता है. ऑनेस्टली, ये गाना न होता तो शायद वो फिल्म में होती ही नहीं. लेकिन जो भी स्क्रीन टाइम मिला, उसमें उन्होंने पूरी जान डाल दी — और शायद यही वजह है कि कई लोग फिल्म देखने ही उर्वशी के लिए जाएंगे.

विलेन और हीरो की टक्कर — यानी रणदीप vs सनी — ये फिल्म का मेन यूएसपी है. रणदीप का कैरेक्टर जेन्युइनली स्केरी है, और जिस कॉन्फिडेंस से वो नेगेटिव शेड प्ले करते हैं — वो चीज़ कुछ देर तक सीरियसली इम्प्रेस करती है. लेकिन फिर क्लाइमैक्स आते-आते कैरेक्टर को ऐसे लुढ़का दिया गया जैसे फिल्म ने अचानक राइटर बदल लिया हो.

इमोशनल एंगल डाला गया है — ओप्रेशन दिखाने के लिए कुछ ब्रूटल सीन हैं. सिर काटे जा रहे हैं, खून दिख रहा है, डर फैलाया जा रहा है — लेकिन इमोशनल कनेक्ट ज़ीरो. क्यों? क्योंकि कैरेक्टर बिल्डअप ज़ीरो है. ऑडियंस को फर्क ही नहीं पड़ता कि किसे बचाना है — क्योंकि किसके साथ जुड़ने का मौका ही नहीं दिया.

अब फिल्म की टोन की बात करें — तो भाई इसने इमोशनल सीन के ठीक बाद कॉमेडी डाल दी जैसे बिरयानी के बाद मिश्री रख दी हो. विनीत कुमार सिंह जैसे एकदम शेर टाइप एक्टर को भी ऐसा कैरेक्टर दिया गया है कि वो हर सीन में बस "उउउउउ" करके कौवा बने घूम रहे हैं. पहले "छावा" में जो कविताएं सुनाई थीं, अब यहां बस हवाई बातें हैं.

डायलॉग्स? सनी देओल का हर डायलॉग ऐसे गूंजता है जैसे किसी पुराने गड्ढे वाले बाथरूम में ईको मार रहे हों. टेक्निकली वो हीरो हैं, लेकिन डबिंग इतनी वीयर्ड है कि लगा जैसे किसी ने वॉशरूम में बैठ के रिकॉर्ड किया हो. और हां, फिल्म 2 बार वो क्लासिक मास्सी मोमेंट रीक्रिएट करने की कोशिश करती है — “वो तूफान है… वो शेर है… उसके पैर पड़ते ही धरती कांप जाती है…” — लेकिन वो इम्पैक्ट आता ही नहीं, क्योंकि हम ऑलरेडी ओवरस्टिम्युलेटेड हैं.

सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, बैकग्राउंड स्कोर लाउड है, लेकिन ओवरपॉवरिंग भी है. दो गाने हैं, दोनों फोर्सफुली डाले गए हैं — एक में उर्वशी हैं, दूसरा भूल जाने लायक.

वर्डिक्ट ये है भाई:

जाट एक ऐसी मूवी है जो आपको एंटरटेन करने की कोशिश तो बहुत करती है, लेकिन उसका तरीका ऐसा है कि आपको खुद को लॉजिक से डिस्कनेक्ट करना पड़ेगा. सनी देओल के फैंस और रणदीप के इंटेंसिटी वाले एक्सप्रेशन्स पसंद करने वालों के लिए ये टाइमपास हो सकती है. बाकी लोगों के लिए — ये फिल्म वैसी ही है जैसे बिना इंटरनेट के वाईफाई — दिख तो रहा है, पर काम कुछ खास नहीं कर रहा.

हां रेटिंग! कैसे भूल गया... बिना रेटिंग के तो रिव्यू अधूरा ही लगेगा.. तो

रेटिंग: 2.5/5

1 स्टार रणदीप हुड्डा के घबराने वाले निगाहों के लिए

0.5 स्टार सनी देओल की गुर्राहट और उनके मास्सी डायलॉग्स के लिए

0.5 स्टार उर्वशी रौतेला के गाने में एक्स्ट्रा स्पार्कल के लिए

और बचा हुआ 0.5 गया उस भटकते हुए स्क्रिप्ट के नाम जो खुद भी कन्फ्यूज़ थी कि होना क्या है

अगर आप लॉजिक से जुड़कर फिल्म देखने जाते हैं, तो आपकी इमोशनल हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है.

अगर "ओए सॉरी बोल!" जैसे डायलॉग से एंटरटेन हो जाते हैं, तो भाई फिर टिकट ले लो, पॉपकॉर्न लाओ और Enjoy the desi maar-dhaad ride.

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