सेक्सुअल हेल्थ और अवेयरनेस पर क्या सोचती हैं Prajakta Koli, कैसे सोशल मीडिया कर रहा है हेल्प
प्राजक्ता ने बताया था कि कैसे उन्हें पहली बार मीडिया के ज़रिए इंटिमेसी और सेक्स के बारे में विचार मिले. वह बताती हैं कि स्कूल के दिनों में वह 'राजा हिंदुस्तानी' और 'क्या कहना' जैसी फिल्मों से इन्फ्लुएंस थी.
हाल ही में ड्यूरेक्स पॉडकास्ट के एपिसोड 3 में बॉलीवुड एक्ट्रेस प्राजक्ता कोली एक्टर आदर्श गौरव के साथ दिखाई दीं, जिसे अभय देओल होस्ट करते हैं. प्राजक्ता कोली जिन्हें नेटफ्लिक्स की सीरीज 'मिसमैच्ड' और वरुण धवन स्टारर फिल्म 'जुग जुग जियो' के लिए जाना जाता है. यह एपिसोड, जो आज की हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में प्यार, सेक्स और रिश्तों पर फोकस है. वह इंटिमेसी के अलग अलग पहलुओं के बारे में एक स्पष्ट चर्चा शामिल है, जिसमें यह भी शामिल है कि लोग सेक्स के बारे में कैसे सीखते हैं.
हालांकि पॉडकास्ट खुद बातचीत को 'सेक्स एजुकेशन' के रूप में सख्ती से नहीं बताता है, लेकिन प्राजक्ता अपने पर्सनल एक्सपेरिएंसेस शेयर किया है. अब प्राजक्ता कोली इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि कैसे सोशल मीडिया हमें सेक्स, अवेयरनेस और इनसे जुड़ी हर चीज़ को समझने में मदद कर रहा है.
सेक्स पर काफी बातचीत होती है
जब उनसे अभय ने पूछा कि आपको क्या लगता है इंटरनेट ने लोगों के सेक्स लाइफ को कैसे प्रभावित किया है?. जिसके जवाब में एक्ट्रेस ने कहा, ' मुझे लगता है कि सोशल मीडिया पर सेक्स के बारे में बहुत अधिक बातचीत होती है, जितना कि हम सोचते हैं कि हम पहले कभी नहीं करते थे अब इंटरनेट उसे बहुत आसान बना दिया है. उदाहरण के लिए, इंटरनेट एक जरिया है जिससे आपके पास किसी भी चीज़ के बारे में जानने का मौका है, आपके पास जो भी सवाल है उसका जवाब दिया जाएगा, आप इंटरनेट के जरिए से लोगों से कॉन्टैक्ट कर सकते हैं या ऐसे पेज मौजूद हैं जहां लोग केवल सेक्सुअल हेल्थ और अवेयरनेस के बारे में बात करते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि इससे भ्रम या किसी भी तरह के डाउट को कम करने के कई अवसर खुलते हैं जो यंग लोगों के बारे में सोचते हैं, इसलिए एक तरह से यह बहुत अच्छा है.'
ऐसी जगी थी जिज्ञासा
इसके पहले एपिसोड के दौरान, प्राजक्ता ने बताया था कि कैसे उन्हें पहली बार मीडिया के ज़रिए इंटिमेसी और सेक्स के बारे में विचार मिले. वह बताती हैं कि स्कूल के दिनों में वह 'राजा हिंदुस्तानी' और 'क्या कहना' जैसी फिल्मों से इन्फ्लुएंस थी, जहां कुछ खास सीन रोमांटिक या सेक्सुअल मोमेंट्स का हिंट देते थे, जिससे उनकी जिज्ञासा शुरू हुई.
पहली बार देखी पोर्न
वहीं जब अभय देओल ने पोर्नोग्राफी से मिली सीख के बारे में पूछा, तो प्राजक्ता ने बताया कि पहली बार पोर्नोग्राफी देखने के बाद वह बहुत परेशान हो गई थीं. वह याद करती हैं कि एक दोस्त के साथ पोर्नोग्राफी देखने के बाद उन्हें डर लगा था, उन्हें लगा कि पोर्नोग्राफी पुरुषों के लिए बनाई गई है और इसमें महिला के लिए कोई मज़ा नहीं दिखाया गया है. जिसने उनके ऊपर काफी निगेटिव असर डाला था.
खुली चर्चा पर मिला बढ़ावा
प्राजक्ता इस बात पर जोर देती हैं कि वह ऐसे घर में पली-बढ़ी हैं जहां खुली चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है, जिसने इन टॉपिक्स को पर उन्हें खुले तौर पर बोलने पर कम्फर्ट शेप दिया है. हालांकि यह सेक्स एजुकेशन पर एक फॉर्मल लेक्चर नहीं है, लेकिन पॉडकास्ट में उनका योगदान इस बात पर एक भरोसेमंद, व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है कि डिजिटल युग में यंगर्स सेक्स के बारे में कैसे सीखते हैं.





