Jitendra से होते-होते रह गई Hema Malini की शादी, Dharmendra की मोहब्बत ने यूं पलट दी थी बाजी
कहा जाता है कि 1970 के दशक की शुरुआत में हेमा मालिनी और जितेंद्र की शादी लगभग तय हो गई थी. परिवार के लोग, रिश्तेदार और फिल्म इंडस्ट्री के कुछ करीबी लोग तक इस बारे में जानते थे. यहां तक कि दोनों चेन्नई पहुंच चुके थे और शादी की रस्में शुरू होने वाली थी. लेकिन उसी समय कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी कहानी बदल दी.

हेमा मालिनी… हिंदी सिनेमा की वो चमकता सितारा, जिसे लोग आज भी 'ड्रीम गर्ल' कहकर पुकारते हैं. उनकी स्माइल, अदाएं और शालीनता ने न सिर्फ लाखों दिलों को जीता बल्कि उन्हें बॉलीवुड की सबसे सम्मानित और सफल एक्ट्रेस में शामिल कर दिया. लेकिन उनके करियर और पर्सनल लाइफ में कई दिलचस्प किस्से हैं खासकर उनका फिल्मों में आने का सफर और जितेंद्र के साथ उनकी अधूरी शादी की कहानी.
हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को तमिलनाडु के श्रीरंगम में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता वी.एस. चक्रवर्ती एक सरकारी कर्मचारी थे, जबकि मां जया लक्ष्मी एक फिल्म निर्माता और एम्बिशयस महिला थी. हेमा बचपन से ही नृत्य (भरतनाट्यम) में बहुत रुचि रखती थी. उन्होंने छोटी उम्र में ही शास्त्रीय नृत्य की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक इवेंट्स में परफॉर्म करने लगी. उनकी मां चाहती थीं कि बेटी को फ़िल्मों में जगह मिले. उन्होंने हेमा को 1961 में एक तमिल फिल्म 'पांडव वनवासम' में बतौर डांसर काम दिलवाया. हालांकि वह फिल्म में सिर्फ कुछ सेकंड के लिए दिखाई दीं, लेकिन उसी से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई.
बॉलीवुड में पहला कदम और बनी ड्रीम गर्ल
हेमा मालिनी की खूबसूरती और गरिमा ने जल्द ही बॉलीवुड के फिल्ममेकर्स का ध्यान खींचा. निर्देशक विजय आनंद ने सबसे पहले उन्हें देखा, लेकिन कहा, 'यह लड़की बहुत नाज़ुक है, हमारी हिंदी फिल्मों के लिए फिट नहीं.' पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था. 1968 में मशहूर प्रोड्यूसर बी.आर. चोपड़ा और डायरेक्टर शक्ति सामंता ने उन्हें देखा और फिल्म 'सपनों का सौदागर' में राज कपूर के अपोजिट कास्ट कर लिया. यह उनकी पहली हिंदी फिल्म थी और इसी फिल्म से उन्हें मिला 'ड्रीम गर्ल' का खिताब. पहली ही फिल्म के बाद हेमा मालिनी की अदाकारी और सादगी की चर्चा चारों तरफ फैल गई. धीरे-धीरे उन्होंने अपने दम पर बॉलीवुड में वह मुकाम हासिल किया, जहां पहुंचना किसी एक्ट्रेस के लिए सपना होता है.
जितेंद्र और हेमा की नज़दीकियां
अब कहानी आती है उस दौर की, जब हेमा मालिनी बॉलीवुड की टॉप हीरोइन बन चुकी थीं और जितेंद्र उस समय इंडस्ट्री के सबसे चुलबुले और सफल एक्टर्स में से एक थे. दोनों ने साथ में कई फिल्मों में काम किया, जैसे 'हमजोलियां', 'दिल्लगी', 'खुशियों का घर', 'प्रेम नगर' आदि. इन फिल्मों की शूटिंग के दौरान दोनों के बीच दोस्ती और फिर नज़दीकियां बढ़ीं. हेमा की मां को जितेंद्र बहुत पसंद थे क्योंकि वे संस्कारी और परिवार वाले थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, जितेंद्र ने हेमा को शादी के लिए प्रपोज़ किया, और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि दोनों परिवारों ने शादी की तैयारी तक कर ली थी.
जितेंद्र से होते-होते रह गई शादी
कहा जाता है कि 1970 के दशक की शुरुआत में हेमा मालिनी और जितेंद्र की शादी लगभग तय हो गई थी. परिवार के लोग, रिश्तेदार और फिल्म इंडस्ट्री के कुछ करीबी लोग तक इस बारे में जानते थे. यहां तक कि दोनों चेन्नई पहुंच चुके थे और शादी की रस्में शुरू होने वाली थी. लेकिन उसी समय कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी कहानी बदल दी. जब धर्मेंद्र को इस बात का पता चला, तो वह बेहद परेशान हो गए. उस वक्त धर्मेंद्र और हेमा कई फिल्मों में साथ काम कर रहे थे, जैसे 'सीता और गीता', 'शोले', 'ड्रीम गर्ल', 'चरस' आदि, और धर्मेंद्र के दिल में हेमा के लिए फीलिंग्स पहले से थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धर्मेंद्र सीधे चेन्नई पहुंच गए. वहां उन्होंने हेमा से खुलकर बात की और अपने दिल की बात कह दी, कहा जाता है कि हेमा भी धर्मेंद्र के प्रति आकर्षित थीं, इसलिए उन्होंने जितेंद्र से शादी न करने का फैसला कर लिया. इस तरह, हेमा और जितेंद्र की शादी होते-होते रह गई, और धर्मेंद्र के प्यार ने कहानी की दिशा बदल दी.
धर्मेंद्र और हेमा की शादी
धर्मेंद्र उस वक्त पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बेटे (सनी देओल और बॉबी देओल) थे. लेकिन हेमा से उनका रिश्ता बेहद गहरा था. समाज और परिवार के विरोध के बावजूद, दोनों ने 1980 में शादी कर ली. उन्होंने शादी करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल किया, ताकि धर्मेंद्र को तलाक की ज़रूरत न पड़े. शादी के बाद हेमा और धर्मेंद्र दो बेटियों ईशा देओल और अहाना देओल के माता-पिता बने. आज भी हेमा मालिनी और धर्मेंद्र का रिश्ता बॉलीवुड की सबसे चर्चित और सम्मानित जोड़ियों में गिना जाता है.