Dhadak 2 X Review : जात-पात की बेड़ियों में उलझा विधि और नीलेश का प्यार, जानिए कितनी दमदार है कहानी
सिद्धांत चतुर्वेदी ने नीलेश के किरदार में जान फूंक दी है. उनकी आंखों में भटकाव, दर्द और जुनून सब एक साथ झलकते हैं. खासकर जब वो खुद से और सिस्टम से लड़ता है, तो वो दर्शकों का दिल तोड़ता भी है और उम्मीद भी जगाता है. तृप्ति डिमरी पूरी फिल्म में कॉन्फिडेंस से भरी दिखती हैं.

2018 में आई जहान्वी कपूर और ईशान खट्टर की फिल्म 'धड़क' ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी. इस रोमांटिक ड्रामे ने बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार प्रदर्शन किया और लोगों को एक ऐसी प्रेम कहानी दी, जो दिल को छू गई. अब, सात साल बाद, मेकर्स लेकर आए हैं इसका दूसरा चैप्टर 'धड़क' 2, जो 1 अगस्त 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है.
इस बार कहानी नई है, किरदार नए हैं, लेकिन स्वाद वही 'धड़क' वाला है. प्यार, संघर्ष और समाज के बंधनों का मिश्रण. फिल्म में तृप्ति डिमरी (विधि) और सिद्धांत चतुर्वेदी (नीलेश) लीड रोल में हैं, और यह कहानी जाति, अपमान और सम्मान के इर्द-गिर्द घूमती है. तो आइए, डाइव करते हैं इस रिव्यू में और जानते हैं कि धड़क 2 कैसी है, क्या खास है, और क्या रह गया अधूरा.
कहानी में क्या है खास?
धड़क 2 की कहानी वही बॉलीवुड स्टाइल की लव स्टोरी है, जिसे हम बार-बार स्क्रीन पर देखते आए हैं. एक लड़की, जो अमीर और ऊंची जाति के परिवार से है, और एक लड़का, जो गरीब और निचली जाति से ताल्लुक रखता है. लेकिन इस बार मेकर्स ने अमीर-गरीब के ट्रॉप को थोड़ा पीछे रखकर जातिगत भेदभाव को कहानी का मुख्य आधार बनाया है. फिल्म की कहानी विधि (तृप्ति डिमरी) और नीलेश (सिद्धांत चतुर्वेदी) के इर्द-गिर्द घूमती है. विधि एक मॉडर्न, खुले विचारों वाली लड़की है, जो एक पढ़े-लिखे और रसूखदार परिवार से आती है. दूसरी तरफ, नीलेश एक साधारण परिवार का इकलौता बेटा है, जो अपनी मेहनत से पढ़ाई कर रहा है और वकील बनने का सपना देखता है. उसे कोटा के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में दाखिला मिलता है, जहां वह बीए एलएलबी की पढ़ाई शुरू करता है. संयोग से, विधि भी उसी कॉलेज में पढ़ रही होती है, एक ही क्लास में पढ़ते-पढ़ते दोनों के बीच दोस्ती होती है, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है.
जातिवाद को छूती फिल्म
लेकिन प्यार का यह रास्ता इतना आसान नहीं है. विधि के लिए जाति कोई मायने नहीं रखती, लेकिन उसके परिवार और समाज के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा है. जब विधि के घरवालों को इस रिश्ते की भनक लगती है, तो नीलेश को न सिर्फ अपमान सहना पड़ता है, बल्कि उसे बार-बार उसकी हैसियत याद दिलाई जाती है. नीलेश को समाज, परिवार और कॉलेज में हर कदम पर जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है. फिल्म कोटा के उस माहौल को भी दिखाती है, जहां छोटे शहरों से आए स्टूडेंट्स को अपनी जगह बनाने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है. कहानी का टर्निंग पॉइंट तब आता है, जब नीलेश को विधि से दूर रहने की धमकियां मिलती हैं. अब सवाल यह है कि क्या नीलेश इस दबाव के आगे झुक जाएगा? क्या वह अपने प्यार और अपने सपनों को छोड़ देगा? या फिर वह समाज के खिलाफ खड़ा होकर अपनी लड़ाई लड़ेगा? इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा.
एक्टिंग की बात करें तो…
सिद्धांत चतुर्वेदी ने नीलेश के किरदार में जान फूंक दी है. उनकी आंखों में भटकाव, दर्द और जुनून सब एक साथ झलकते हैं. खासकर जब वो खुद से और सिस्टम से लड़ता है, तो वो दर्शकों का दिल तोड़ता भी है और उम्मीद भी जगाता है. तृप्ति डिमरी पूरी फिल्म में कॉन्फिडेंस से भरी दिखती हैं. उनका किरदार एक ऐसी लड़की का है जो अपने मन की सुनती है, लेकिन अपने परिवार और समाज के दबाव से अनजान नहीं है. उन्होंने जिस नजाकत और निडरता से ‘विधि’ को जिया है, वह काबिल-ए-तारीफ है. सौरभ सचदेवा, स्क्रीन पर कम वक्त के लिए आते हैं, लेकिन जब आते हैं, तो पूरी ऊर्जा के साथ, उनका प्रभावशाली एक्टिंग कहानी में गहराई जोड़ता है.
एक्स यूजर्स का रिएक्शन
एक यूजर ने चार स्टार की रेटिंग देते हुए अपने एक्स हैंडल पर लिखा, 'सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्म में दो गुण होने चाहिए, कहानी कहने में साहस और एक्टिंग में ईमानदारी! #धड़क2दोनों ही बेहतरीन हैं, सब कुछ जमता है! एक्टिंग, डायलॉग, इमोशनली गहराई, बदले की भावना के गुस्सा और मैसेज!.
गांव के बैकग्राउंड में बनी एक इमोशनल लव स्टोरी जो जात-पात और समाज की बंदिशों से जूझती है. नीलेश और विधि की लव स्टोरी दिल को छूती है. पहला हाफ लव और यंग मोमेंट्स से भरा है, जबकि दूसरा हाफ इमोशनल ड्रामा और फैमिली विरोध पर टिका है. टाइटल ट्रैक पहले से ही ट्रेंड कर रहा है, निर्देशक ने कुशलता से रोमांस और ड्रामा को बैलेंस किया है.
लगता है धड़क फ्रैंचाइज़ी और भी ज़्यादा प्रेम कहानियों के साथ आगे बढ़ेगी. तृप्ति, तुम्हें ढेर सारी शुभकामनाएं लड़कियों, मैं तुमसे प्यार करता हूं तुमने बहुत कुछ झेला है अब तुम्हारे चमकने का समय है. मेरी दोनों लड़कियां दुनिया की हक़दार हैं.
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
शाजिया इकबाल का निर्देशन शांत और सटीक है, उन्होंने ना सिर्फ रोमांस को, बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी बड़ी संवेदनशीलता से छूआ है. कहानी भले ही क्लिच लगे, लेकिन उसकी प्रेजेंटेशन में ईमानदारी है. फिल्म का पहला हिस्सा आपको साथ लेकर चलता है, लेकिन दूसरा भाग थोड़ी रफ्तार खो देता है. हां, क्लाइमैक्स में फिल्म दोबारा उठती है और एक मजबूत अंत देती है. बैकग्राउंड स्कोर काफ़ी प्रभावशाली है और भावनाओं को मजबूती से उभारता है. लेकिन गानों में वह पकड़ नहीं है जो 'धड़क' के गानों में थी. अगर म्यूज़िक थोड़ा और मजबूत होता, तो यह अनुभव और गहरा हो सकता था.
क्यों देखनी चाहिए?
अगर आपने धड़क को पसंद किया था, तो धड़क 2 आपको इमोशनली रूप से जोड़ेगी. फिल्म जातिगत भेदभाव जैसे गंभीर विषय को ड्रामेटिक तरीके से, लेकिन बिना जरूरत से ज़्यादा उपदेश दिए पेश करती है. तृप्ति और सिद्धांत की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री सच्ची लगती है ना ओवरडोज़, ना बनावटी.
बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट
फिल्म ने अपने पहले दिन ₹7.2 करोड़ की ओपनिंग की है, जो एक सोशल रोमांटिक ड्रामा के लिए अच्छा आंकड़ा है. वीकेंड तक यह आंकड़ा ₹25 करोड़ के पार जा सकता है अगर वर्ड-ऑफ-माउथ मजबूत बना रहता है.
क्या रह गया अधूरा?
कहानी में कुछ भी नया नहीं है; यह एक घिसा-पिटा लव स्टोरी फॉर्मूला फॉलो करती है. सेकंड हाफ का स्लो पेस, जो फिल्म को थोड़ा बोरिंग बनाता है. म्यूजिक में दम की कमी, जो फिल्म को और यादगार बना सकता था. कुछ प्रेडिक्टेबल ट्विस्ट्स, जो सरप्राइज का मजा किरकिरा करते हैं. धड़क 2 उन लोगों के लिए है, जो रोमांटिक ड्रामे और इमोशनल लव स्टोरीज पसंद करते हैं. अगर आपको धड़क या सैराट जैसी फिल्में अच्छी लगी थी, तो यह फिल्म भी आपको एंटरटेन करेगी. यह एक फैमिली एंटरटेनर है, जिसे आप अपने दोस्तों या परिवार के साथ देख सकते हैं. उनकी परफॉर्मेंस के लिए यह फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए।