Guru Dutt के 100 साल! छह दशक के बाद थिएटर में लौटेंगी 'प्यासा', 'साहिब बीबी और गुलाम' समेत ये क्लासिक फिल्में
इस फेस्टिवल में गुरु दत्त के परिवार के सदस्य भी शामिल हुए, जिनमें उनकी पोतियां गौरी और करुणा दत्त, दिवंगत हास्य कॉमेडियन जॉनी वॉकर के बेटे नासिर, फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा, एक्टर अक्षय ओबेरॉय, और एक्ट्रेस दिव्या दत्ता भी मौजूद थे. गुरु दत्त की जिन छह आइकॉनिक फिल्मों को इस फेस्टिवल के तहत सिनेमाघरों में फिर से दिखाया जा रहा है.

भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जिनका प्रभाव वक़्त के साथ और गहराता जाता है. गुरु दत्त ऐसा ही एक नाम हैं. एक महान फिल्म डायरेक्टर, एक्टर और प्रोड्यूसर के रूप में उनकी पहचान आज भी उतनी ही योग्य है, जितनी उनके ज़माने में थी. भले ही आज उनके निधन को 60 साल से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन उन्होंने जो सिनेमाई दुनिया में जोड़ा, वह अब भी दर्शकों और फिल्मकारों को प्रेरित करता है.
साल 2025 में, गुरु दत्त के जन्म के 100 साल पूरे हो रहे हैं, इस खास अवसर को सिनेमा की दुनिया एक फेस्टिवल की तरह मना रही है. इस मौके पर उनकी कुछ सबसे आइकॉनिक और टाइमलेस फिल्मों को नए रूप में सिनेमाघरों में फिर से दिखाया जा रहा है. इसके साथ ही मुंबई में ऑर्गनाइज एक स्पेशल इवेंट में उनके जीवन, कला और योगदान को याद किया गया.
'प्यासा' के साथ फेस्टिवल की शुरुआत
इस फेस्टिवल की शुरुआत उनकी सबसे फिल्म 'प्यासा' (1957) के प्रीमियर से हुई, जिसे नए सिरे से बहाल कर सिनेमाघरों में दोबारा दिखाया जा रहा है. फिल्म में गुरु दत्त ने एक असफल और संवेदनशील कवि की भूमिका निभाई थी, जो समाज के दिखावे और स्वार्थ से संघर्ष करता है. यह री-रिलीज इवेंट अल्ट्रा मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ग्रुप, नेशनल फ़िल्म विकास निगम (NFDC) और राष्ट्रीय फ़िल्म अभिलेखागार (NFAI) के सहयोग से आयोजित किया गया.
जावेद अख्तर को इस बात का अफ़सोस
इस कार्यक्रम में कई मशहूर फिल्म निर्देशक, राइटर और कलाकार शामिल हुए. इनमें हंसल मेहता, आर. बाल्की, सुधीर मिश्रा, गीतकार जावेद अख्तर, और फिल्म क्रिटिक भावना सोमैया जैसे बड़े नाम शामिल थे. जब जावेद अख्तर से पूछा गया कि उन्होंने पहली बार गुरु दत्त को कब देखा, तो उन्होंने बहुत ही भावुक लहज़े में बताया, 'मैंने कॉलेज के दिनों में सोच लिया था कि एक दिन गुरु दत्त का असिस्टेंट बनूंगा लेकिन अफसोस, मैं 4 अक्टूबर 1964 को बॉम्बे आया, और ठीक 6 दिन बाद यानी 10 अक्टूबर को उनका निधन हो गया... मैं कभी उनसे मिल ही नहीं सका.'
इन डायरेक्टर्स ने शेयर की यादें
जावेद अख्तर ने यह भी कहा, 'महबूब खान और बिमल रॉय जैसे महान निर्देशक भी थे, लेकिन गुरु दत्त पहले ऐसे निर्देशक थे जिन्होंने कैमरे और सीन के ज़रिये भावनाओं को व्यक्त करना सिखाया.' फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा ने भी अपने बचपन की यादें शेयर की. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी दादी के साथ 'साहिब बीबी और गुलाम' जैसी फिल्में कई बार देखी.' उन्होंने कहा, 'मेरे जीवन में शायद ही कोई फिल्म, सीन या गाना हो जो गुरु दत्त से प्रभावित न हो. मैंने जो भी बनाया, कहीं न कहीं उस पर उनका असर ज़रूर रहा.'
हंसल मेहता ने भी एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में पुणे स्थित एफटीआईआई में पढ़ाई के दौरान उन्होंने एक म्यूजिक वीडियो बनाया था जो गुरु दत्त की फिल्म ‘कागज़ के फूल’ के एक सीन की 'चोरी' जैसा था। मजाक में उन्होंने कहा कि अच्छा हुआ वो वीडियो नष्ट हो गया, नहीं तो मैं आज शर्मिंदा होता!.'
गुरु दत्त का परिवार रहेगा मौजूद
इस फेस्टिवल में गुरु दत्त के परिवार के सदस्य भी शामिल हुए, जिनमें उनकी पोतियां गौरी और करुणा दत्त, दिवंगत हास्य कॉमेडियन जॉनी वॉकर के बेटे नासिर, फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा, एक्टर अक्षय ओबेरॉय, और एक्ट्रेस दिव्या दत्ता भी मौजूद थे. गुरु दत्त की जिन छह आइकॉनिक फिल्मों को इस फेस्टिवल के तहत सिनेमाघरों में फिर से दिखाया जा रहा है, वे हैं- 'प्यासा' (1957), आर-पार (1954), 'चौदहवीं का चांद' (1960), मिस्टर एंड मिसेज़ 55 (1955) 'साहिब बीबी और गुलाम' (1962), 'बाज़' (1953). इन फिल्मों को 8 से 14 अगस्त तक देशभर के चुनिंदा सिनेमाघरों में दिखाया जाएगा. इन फिल्मों को डिजिटल रूप से रीस्टोरेड करने का काम NFDC, NFAI और अल्ट्रा मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ग्रुप ने मिलकर किया है, जिनके पास इन फिल्मों के राइट्स भी हैं.