क्या है वियना संधि, जिसे लेकर भारत ने लगाई पाक की क्लास, क्या पाकिस्तान रोक सकता है पानी, गैस और अखबार की सप्लाई?
पाकिस्तान ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों और परिवारों को पानी, गैस, और अखबार की सप्लाई बंद कर दी है. स्थानीय विक्रेताओं को धमकाया जा रहा है ताकि वे राजनयिकों को सेवाएं न दें. यह कार्रवाई वियना कन्वेंशन का साफ उल्लंघन है, जिससे भारत-पाक कूटनीतिक तनाव और बढ़ा है.;
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के खिलाफ एक नया दबाव अभियान शुरू कर दिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों और कर्मचारियों को निशाना बनाते हुए उनकी बुनियादी जरूरतों जैसे पानी और गैस की आपूर्ति रोक दी है. खास बात यह है कि भारतीय उच्चायोग में पाइपलाइन द्वारा मिलने वाली गैस सप्लाई को बंद कर दिया गया है, जिससे अधिकारियों को महंगे दामों पर ओपन मार्केट से गैस खरीदनी पड़ रही है.
राजनयिकों के घरों में स्थानीय विक्रेता पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और अखबार पहुंचाने से भी इनकार कर रहे हैं. यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा वियना कन्वेंशन के स्पष्ट उल्लंघन के समान है, जिसमें दूतावासों और उनके कर्मियों की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी दी गई है.
पाक अधिकारियों की धमकी से डरे व्यापारी
स्थानीय LPG सिलेंडर विक्रेताओं को भी पाकिस्तानी अधिकारियों ने धमकी दी है कि वे भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों को गैस सिलेंडर न बेचें. इसके चलते राजनयिकों को महंगे दामों पर खुले बाजार से गैस खरीदनी पड़ रही है, जो न केवल आर्थिक बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी एक तरह का उत्पीड़न है.
क्या है वियना संधि?
वियना कन्वेंशन 1961 में बनी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है. यह राजनयिकों और दूतावासों की सुरक्षा, सम्मान और कार्य संचालन के नियम निर्धारित करती है. इसके तहत मेजबान देश को विदेशी राजनयिकों को विशेष अधिकार देने होते हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है. इस संधि पर 191 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं और यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की बुनियाद मानी जाती है.
क्या-क्या मिलते हैं अधिकार?
- मेजबान देश में रहने वाले राजनयिकों को विशेष संरक्षण मिलता है.
- राजनयिकों को गिरफ्तारी या किसी कानूनी प्रक्रिया से बचाया जाता है.
- राजनयिकों पर मेजबान देश में कस्टम टैक्स नहीं लगता.
- दूतावास परिसर की सुरक्षा मेजबान देश की जिम्मेदारी होती है.
- राजनयिकों के सामान और दूतावास की सामग्री पर भी विशेष सुरक्षा होती है.
- मेजबान देश दूतावास में बिना अनुमति प्रवेश नहीं कर सकता.
- राजनयिकों को आराम और कार्य के लिए सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.
- विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी पर तुरंत संबंधित दूतावास को सूचना देना आवश्यक है (विएना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस, 1963 के तहत).
कब हुआ था भारत-पाक का समझौता?
1963 में संयुक्त राष्ट्र ने ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ लागू की, जिसमें दूतावास की सुरक्षा और विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी की सूचना देने के नियम शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच 2008 में भी एक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों (जासूसी, आतंकवाद) में गिरफ्तार विदेशी नागरिकों को राजनयिक पहुंच देने या न देने के नियम तय किए थे. यह समझौता विशेष परिस्थितियों में कंसुलर अधिकारों को सीमित करने के लिए बनाया गया था ताकि दोनों देशों के बीच सुरक्षा और कूटनीतिक मसलों को नियंत्रित किया जा सके.