6 महीने में देखना असर... ट्रंप ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर लगा दिया बैन, भारत को कितना नफा-नुकसान?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. ट्रंप ने पुतिन को चेतावनी दी है कि छह महीने में प्रतिबंधों का असर स्पष्ट होगा. रूस ने अमेरिकी कदमों की आलोचना की, जबकि वैश्विक तेल बाजार में कीमतों में उछाल देखा गया. विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था और यूक्रेन युद्ध के भविष्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 अक्टूबर 2025 को रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. यह कदम रूस पर दबाव बनाने और यूक्रेन युद्ध को रोकने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. ट्रंप ने कहा कि छह महीने में इस कदम का वास्तविक असर स्पष्ट होगा.

ट्रंप ने पुतिन की प्रतिक्रिया को खारिज करते हुए कहा कि अगर उन्हें लगता है कि इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा, तो ठीक है. उन्होंने साफ कहा कि छह महीने के भीतर अमेरिका इस कदम के परिणाम देखेगा. यह ट्रंप की तरफ से रूस को दी गई स्पष्ट और डायरेक्ट चेतावनी मानी जा रही है, जो यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की नीतियों को लेकर पुतिन को एक संदेश है.

वैश्विक तेल बाजार पर क्या होगा असर?

रूस पर प्रतिबंध की खबर से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 5% की बढ़ोतरी हुई. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है. यूरोप, एशिया और अमेरिका में तेल की कीमतों पर सीधा प्रभाव देखने को मिलेगा. विशेष रूप से यूरोपीय देशों में गैस और पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हो सकते हैं.

ट्रंप की रणनीति में किया बदलाव

पहले ट्रंप प्रशासन ने कूटनीतिक माध्यमों से रूस पर दबाव डालने की कोशिश की थी. रूस के साथ बुडापेस्ट में बैठक तय हुई थी, लेकिन अमेरिका ने इसे अचानक रद्द कर दिया. ट्रंप ने कहा कि बैठक उस दिशा में नहीं जा रही थी, जो अमेरिका चाहता था. उन्होंने भविष्य में रूस के साथ बातचीत और मुलाकात की संभावना बनी रहने का संकेत दिया.

क्या बोले पुतिन?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी प्रतिबंधों को स्वीकार किया और कहा कि कोई भी स्वतंत्र देश बाहरी दबाव में निर्णय नहीं बदलता. पुतिन के अनुसार, रूस किसी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा. पुतिन की यह प्रतिक्रिया अमेरिका की कार्रवाई के खिलाफ प्रतिकार की नीति को दर्शाती है.

भारत पर क्या होगा असर?

रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध भारत के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं. भारत रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता क्रूड तेल आयात करता है. अमेरिकी प्रतिबंध के बाद भारत और चीन की तेल कंपनियों के लिए रूसी तेल का भुगतान मुश्किल हो सकता है. इसका कारण यह है कि अधिकांश अंतरराष्ट्रीय तेल लेनदेन अमेरिकी डॉलर में होते हैं, और अमेरिका वित्तीय चैनलों पर नियंत्रण रखता है.

रूसी अर्थव्यवस्था पर दबाव

विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस प्रतिबंध से रूस की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालीन दबाव पड़ेगा. रूसी तेल कंपनियों के आय में गिरावट होगी, जिससे बजट घाटा बढ़ सकता है और विदेशी निवेशकों का विश्वास कमजोर होगा. इसके अलावा, वैश्विक निवेशक रूस की आर्थिक गतिविधियों पर नज़र रखेंगे, जो युद्ध के खर्च को बढ़ा सकता है.

यूक्रेन युद्ध और रणनीतिक परिणाम

अमेरिकी प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को युद्ध रोकने के लिए मजबूर करना है. अगर छह महीने में रूस पर असर दिखाई दिया, तो ट्रंप इसे अपने विदेश नीति की बड़ी सफलता मानेंगे. दूसरी ओर, रूस अगर दबाव झेलने में सफल रहता है, तो यूक्रेन युद्ध लंबित समय तक जारी रह सकता है.

तेल और गैस की कीमतों में आएगी अस्थिरता

प्रतिबंधों के चलते वैश्विक तेल और गैस की कीमतों में अस्थिरता बढ़ सकती है. यह स्थिति विशेष रूप से यूरोप और एशियाई देशों को प्रभावित कर सकती है, जो रूसी तेल पर निर्भर हैं. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ सकती है, जिससे शेयर बाजार और मुद्रा बाजार पर भी प्रभाव पड़ेगा.

ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अगले छह महीने में रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का वास्तविक असर दिखाई देगा. इसके साथ ही वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, भारत की तेल आपूर्ति और यूरोप की आर्थिक स्थिरता इस रणनीति के सीधे प्रभाव में आ सकती हैं. यूक्रेन युद्ध और रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध, दोनों ही वैश्विक राजनीति और आर्थिक नीतियों के लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकते हैं.

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