Trump के सामने झुकेगा India, कहना पड़ेगा Sorry... अमेरिकी अधिकारी ने कहा- डॉलर का सपोर्ट करो, वरना 50% टैरिफ झेलो
अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक ने कहा है कि अगले एक-दो महीनों में भारत को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फिर से बातचीत करनी पड़ेगी और 'सॉरी' कहना होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत को अमेरिका और डॉलर का समर्थन करना होगा, वरना 50% टैरिफ झेलना पड़ेगा. लुटनिक ने भारत के रूस से तेल आयात को भी मुद्दा बनाया और कहा कि पहले 2% खरीदते थे, अब 40% ले रहे हैं. वहीं, भारत का कहना है कि तेल खरीद पूरी तरह ऊर्जा सुरक्षा और बाज़ार की स्थिति पर आधारित है.;
US Commerce Secretary Howard Lutnick on India: अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक ने शुक्रवार को दावा किया कि आने वाले एक-दो महीनों में भारत को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फिर से बातचीत की मेज़ पर आना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि BRICS समूह में भारत 'रूस और चीन के बीच का स्वर (vowel)' है.
ब्लूमबर्ग से बातचीत में लुटनिक ने कहा, “मुझे लगता है, हां, एक या दो महीने में भारत टेबल पर होगा और वो कहेंगे कि हमें माफ़ कीजिए, और वे डोनाल्ड ट्रंप के साथ डील करने की कोशिश करेंगे. फिर ये ट्रंप पर निर्भर करेगा कि वो प्रधानमंत्री मोदी के साथ कैसे व्यवहार करना चाहते हैं."
लुटनिक की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, “लगता है हमने भारत और रूस को चीन की गोद में खो दिया है. उन्हें साथ में लंबा और समृद्ध भविष्य मुबारक.” ट्रंप ने पीएम मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की एक पुरानी तस्वीर भी साझा की.
'भारत को अमेरिका और डॉलर का समर्थन करना होगा'
अमेरिकी अधिकारी ने चेतावनी दी कि भारत को अमेरिका और डॉलर का समर्थन करना होगा या फिर रूस-चीन के साथ खड़ा होना पड़ेगा. उन्होंने कहा, “आप रूस और चीन के बीच का vowel हैं. अगर आप वहीं रहना चाहते हैं, तो जाइए.”
“या तो डॉलर का समर्थन करो, या फिर टैरिफ भरो”
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत को तय करना होगा कि वह अमेरिका के उपभोक्ताओं के साथ खड़ा रहेगा या 50% टैरिफ का सामना करेगा. उन्होंने जोड़ा, “या तो डॉलर का समर्थन करो, अमेरिका का समर्थन करो, अपने सबसे बड़े ग्राहक का समर्थन करो, या फिर टैरिफ भरो और देखो यह कितने दिन चलता है.”
'अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा ग्राहक है'
लुटनिक ने दोहराया कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा ग्राहक है. उन्होंने कहा, “हमारी 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी पूरी दुनिया की खपत करती है. अंततः सबको ग्राहक के पास लौटना पड़ता है, क्योंकि ग्राहक हमेशा सही होता है.”
“पहले भारत सिर्फ 2% तेल रूस से लेता था, अब वो 40% खरीद रहा है”
अमेरिकी अधिकारी ने भारत के रूस से कच्चे तेल आयात पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “रूस-यूक्रेन संघर्ष से पहले भारत सिर्फ 2% तेल रूस से लेता था, अब वो 40% खरीद रहा है.”
'भारत की नीति को घरेलू दबाव बदल देगा'
लुटनिक ने कहा कि फिलहाल भारत की यह नीति महज़ दिखावे के लिए है, लेकिन घरेलू दबाव इसे बदल देगा. उन्होंने कहा, “शुरुआत में सबसे बड़े ग्राहक से लड़ना अच्छा लगता है, लेकिन आखिरकार बिज़नेस दबाव बनाएंगे कि अब अमेरिका से डील करो.” उधर, भारत का कहना है कि उसके कच्चे तेल की खरीद ऊर्जा सुरक्षा और बाज़ार की परिस्थितियों पर आधारित है. फरवरी 2022 में रूस पर पश्चिमी पाबंदियों के बाद भारत ने सस्ते दाम पर रूसी कच्चा तेल आयात करना शुरू किया.