सोशल मीडिया पर की ये हरकत तो नहीं मिलेगी अमेरिका में Entry! राष्ट्रपति Trump का नया फरमान

Trump Government On VISA: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोई यहूदियों और आकंतवाद का समर्थन करते नजर आया तो उसे अमेरिका में एंट्री नहीं दी जाएगी. इसके वीजा आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा. अब तक 300 छात्रों के वीजा रद्द हो चुके हैं. प्रशासन ने कहा, अमेरिका के पास आतंकवाद के समर्थकों को अपने देश में रखने की कोई जगह नहीं है.;

Trump Government On VISA: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता में आने के बाद अपनी कड़े नियमों के लिए सुर्खियों में बने हुए हैं. ट्रम्प सरकार ने वीजा से जुड़े नियमों को भी सख्त कर दिया है. बुधवार को विदेशी छात्रों और अन्य लोगों को अमेरिका में एंट्री से बैन करना शुरू कर दिया है. प्रशासन ने कहा, जो भी सोशल मीडिया पर यहूदी विरोधी गतिविधि में शामिल पाया गया, उसे वीजा नहीं दिया जाएगा.

नए नियमों के अनुसार, अगर किसी अप्रवासी के सोशल मीडिया पोस्ट में यहूदी-विरोधी आतंकवाद का सपोर्ट करने जैसा कुछ दिखा तो उनका छात्र वीजा या ग्रीन कार्ड आवेदन रद्द किया जा सकता है. यह नया नियम तुरंत लागू कर दिया गया है. पहले भी कुछ छात्रों के वीजा कैंसिल किए जा चुके हैं.

क्यों रद्द हो रहे वीजा?

इस संबंध में होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) की असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रिशा मैकलॉफलिन ने कहा, अमेरिका के पास आतंकवाद के समर्थकों को अपने देश में रखने की कोई जगह नहीं है. हम उन्हें अपने देश में आने या रहने देने के लिए बाध्य नहीं हैं. DHS सचिव क्रिस्टी नोएम ने साफ कहा कि अगर कोई सोचता है कि वह अमेरिका आकर पहले संशोधन का सहारा लेकर यहूदी-विरोधी हिंसा और आतंकवाद का समर्थन कर सकता है, तो वह गलत है. ऐसे लोगों के लिए अमेरिका में कोई जगह नहीं है.

विदेश मंत्री मार्को रुबियो का बयान

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा था कि वे हर दिन लगभग 300 लोगों के वीजा रद्द कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि गैर-अमेरिकी नागरिकों को वही अधिकार नहीं मिलते जो अमेरिकी नागरिकों को मिलते हैं, और यह वीजा देना या रद्द करना जजों का नहीं बल्कि उनका फैसला होगा.

न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शन आयोजित करने वाले महमूद खलील को अमेरिका से निकाला गया. वह अमेरिका के स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड धारक) थे, लेकिन फिर भी उन्हें लुइसियाना भेज दिया गया ताकि उनके निर्वासन की सुनवाई हो सके. दावा किया गया है कि अमेरिकी सरकार फिलिस्तीन समर्थक छात्रों की पहचान करने के लिए कैच एंड रिवॉक नाम का कार्यक्रम भी चला रही है. इसके लिए AI की मदद से पहचान की जा रही है.

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