कभी-कभी लेनी पड़ती है कड़वी दवा... टैरिफ से ही ठीक होगा बिजनेस बैलेंस, 50 से ज्यादा देश करेंगे ट्रंप से बातचीत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और यूरोपीय संघ के साथ अमेरिका के बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए टैरिफ को एकमात्र समाधान बताया है. उन्होंने बाइडेन प्रशासन की व्यापार नीतियों की आलोचना करते हुए 9 अप्रैल से कई देशों पर उच्च आयात शुल्क लागू करने की घोषणा की. ट्रंप का दावा है कि यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मज़बूती देगी.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 7 April 2025 7:20 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर टैरिफ को अमेरिका की आर्थिक नीति के केंद्र में रखते हुए उसे राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा का सवाल बना दिया है. उनका कहना है कि चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे को केवल टैरिफ के ज़रिये ही संतुलित किया जा सकता है. ट्रम्प इसे न केवल राजस्व का स्रोत मानते हैं, बल्कि अमेरिका की आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा कि किसी दिन लोगों को एहसास होगा कि टैरिफ़, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, एक बहुत ही सुंदर चीज़ है.

ट्रंप ने जो बाइडेन की नीतियों की आलोचना करते हुए उन्हें 'नींद में डूबा राष्ट्रपति' करार दिया और आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में चीन और यूरोपीय संघ के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा और बढ़ गया है. ट्रम्प का दावा है कि बाइडेन की नरम व्यापार नीति ने विदेशी प्रतिस्पर्धियों को फायदा पहुंचाया, जिससे अमेरिकी उद्योग कमजोर पड़ा. उन्होंने वादा किया कि वे दोबारा सत्ता में आने पर इस घाटे को तेजी से उलट देंगे'.

अमेरिका की बिगड़ती व्यापार स्थिति

संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटा 295.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 5.8% अधिक है. यूरोपीय संघ के साथ स्थिति और भी चिंताजनक रही, जहां 2024 में व्यापार घाटा 235.6 बिलियन डॉलर रहा. यह 2023 की तुलना में 12.9% की वृद्धि है. ये आंकड़े ट्रंप के दावों को बल देते हैं कि मौजूदा व्यापार व्यवस्था अमेरिका के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है.

टैरिफ फैसलों से पीछे नहीं हटेंगे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वे अपने टैरिफ फैसलों से पीछे नहीं हटेंगे, चाहे बाजारों में गिरावट क्यों न हो रही हो. उन्होंने टैरिफ को 'दवा' बताते हुए कहा कि कभी-कभी कुछ ठीक करने के लिए कड़वी दवा ज़रूरी होती है. वैश्विक व्यापार पर प्रभाव और मंदी की आशंकाओं के बावजूद ट्रंप का कहना है कि जब तक देश अमेरिका के साथ व्यापार में संतुलन नहीं बनाते, तब तक यह नीति जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि यूरोप, एशिया सहित 50 से अधिक देशों के नेताओं से बातचीत हुई है, जो टैरिफ हटाने को लेकर उत्सुक हैं, लेकिन अमेरिका अब घाटे को स्वीकार नहीं करेगा.

टैरिफ अब सिर्फ शुल्क नहीं, रणनीति का हिस्सा

2 अप्रैल को ट्रम्प ने उन देशों पर विशेष टैरिफ लगाने की घोषणा की जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे अधिक है. इसमें भारत, चीन, वियतनाम, जापान और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देश शामिल हैं. उदाहरण के तौर पर, भारत के सभी निर्यातों पर 26% का टैरिफ लगाया गया है. ट्रंप के अनुसार, यह कदम पारस्परिकता के सिद्धांत पर आधारित है, "जैसा वे हमारे साथ करें, वैसा ही हम उनके साथ करें."

चुनावी रणनीति या आर्थिक दूरदृष्टि?

ट्रंप की टैरिफ नीति को कई लोग आगामी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनज़र एक सख्त, राष्ट्रवादी आर्थिक रुख के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन उनके समर्थकों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है, "अमेरिका अब अन्य देशों के रहमोकरम पर नहीं रहेगा." ट्रंप के शब्दों में कहा जाए तो किसी दिन लोग समझेंगे कि टैरिफ अमेरिका के लिए एक बहुत ही खूबसूरत चीज़ है. यह बयान उनके अभियान की दिशा को दर्शाता है कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए कड़े फैसले लेने से नहीं हिचकता.

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