कौन थे जर्नलिस्ट तुर्की अल-जासिर?, एक पोस्ट कैसे बनी जान की दुश्मन, सऊदी अरब सरकार ने फांसी पर लटकाया

Saudi Arabia News: तुर्की अल-जासिर सऊदी अरब के एक स्वतंत्र पत्रकार और ब्लॉगर थे, जिन्होंने 2018 में गिरफ्तारी के बाद 2025 में फांसी की सजा पाई. वे शाही परिवार और सरकार की आलोचना करने वाले ट्वीट्स के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी गिरफ्तारी पर कई मानवाधिकार संगठन और लोगों ने सवाल भी उठाए थे, लेकिन फिर भी सरकार ने उनकी कोई बात नहीं सुनी.;

( Image Source:  @abdullah_0mar )

Saudi Arabia News: सऊदी अरब में एक पत्रकार के साथ इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. जर्नलिस्ट तुर्की अल-जासिर ने शाही परिवार को लेकर एक पोस्ट किया था, जो उनकी जान का दुश्मन बन गया. जासिर को 14 जून 2025 को फांसी दे दी गई. वह पिछले 7 साल से जेल में बंद थे.

2018 में अल-जासिर को आतंकवाद और राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कई लोगों का कहना है कि ये आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित और निराधार थे. उन्हें झूठे आरोपों में दंड का पात्र बनाया गया था. इस घटना के बाद दुनिया भर में फिर सऊदी अरब के सख्त कानूनों को लेकर चर्चा होने लगी है.

कौन थे पत्रकार अल-जासिर?

तुर्की अल-जासिर 40 साल के ज्यादा के थे, जब उन्हें फांसी पर लटकाया गया. वह एक पत्रकार और ब्लॉगर थे. उनका जन्म 1970 के दशक में सऊदी अरब में हुआ था. जासिर ने 2013 से 2015 तक 'कशकूल' नाम के ट्विटर अकाउंट चलाया, जिसमें उन्होंने सऊदी शाही परिवार की भ्रष्टाचार, महिलाओं के अधिकारों और क्षेत्रीय राजनीति पर आलोचनात्मक पोस्ट की थीं.

सऊदी अधिकारियों ने उन्हें इस अकाउंट का संचालक मानते हुए गिरफ्तार किया. कुछ रिपोर्टों के अनुसार, ट्विटर के दुबई कार्यालय से मिली जानकारी के आधार पर उनकी पहचान की गई थी. 15 मार्च 2018 को रियाद में उनके घर पर छापे के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था.

7 साल बाद सजा

पत्रकार को साल 2018 में गिरफ्तार करने के बाद जेल में बंद रखा. उनकी गिरफ्तारी पर कई मानवाधिकार संगठन और लोगों ने सवाल भी उठाए थे, लेकिन फिर भी सरकार ने उनकी कोई बात नहीं सुनी. फरवरी 2020 में उन्हें अल-हायर जेल में रखा गया था, लेकिन इसके बाद से उनके मामले की कोई जानकारी नहीं मिली. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि उनका मुकदमा गुपचुप तरीके से चलाया गया और उन्हें उचित कानूनी सहायता नहीं दी गई.

CPJ के डायरेक्टर ने की निंदा

न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने इस मामले की आलोचना की है. प्रोग्राम डायरेक्टर कार्लोस मार्टिनेज डे ला सेरना ने कहा, वॉशिंगटन पोस्ट के एक कॉलमनिस्ट की साल 2018 में इस्तांबुल स्थित सऊदी के वाणिज्य दूतावास में हत्या पर चुप्पी की वजह से आज भी वहां पत्रकारों को सजा देने का सिलसिला जारी है.

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