रियल मिलियनेयर... 175 मिलियन डॉलर की नेटवर्थ, फिर भी उबर चलाता है ये शख्स… वजह जानकर सिर झुक जाएगा | Video

फिजी का 86 वर्षीय करोड़पति बिजनेसमैन सोशल मीडिया पर चर्चा में है, जो 175 मिलियन डॉलर के कारोबार का मालिक होने के बावजूद रोज़ उबर चलाता है. वजह भी दिल छू लेने वाली है. अपनी कमाई से वह हर साल भारत की 24 लड़कियों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाता है. ज्वेलरी, रेस्टोरेंट और सुपरमार्केट चेन चलाने वाले इस बुजुर्ग ने साबित किया है कि असली अमीरी पैसे में नहीं, इंसानियत में होती है. उनकी कहानी करोड़ों लोगों को प्रेरणा दे रही है.;

( Image Source:  Instagram/financewithnav/ )
Edited By :  नवनीत कुमार
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दौलत की ऊंचाई इंसान को अक्सर समाज से दूर कर देती है, लेकिन फिजी के 86 वर्षीय शख्स ने साबित किया है कि असली अमीरी बैंक बैलेंस नहीं, दिल की उदारता होती है. करोड़ों डॉलर के बिजनेस साम्राज्य के मालिक होने के बावजूद यह बुजुर्ग हर दिन स्टीयरिंग पकड़कर उबर चलाते हैं, वो भी अपने लिए नहीं, बल्कि भारत की लड़कियों के भविष्य के लिए.

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो दिखाता है कि यह शख्स 175 मिलियन डॉलर (करीब 1,400 करोड़ रुपये) की संपत्ति रखने के बावजूद साधारण उबर ड्राइवर की तरह लोगों को सफर कराता है. वजह? उसकी हर राइड एक बेटी की शिक्षा में बदल जाती है. साल में 24 लड़कियों की पूरी पढ़ाई का खर्च वही उठाता है, वो भी अपनी कमाई से. यही कहानी लोगों के दिलों को झकझोर रही है.

उबर ड्राइवर… या करोड़ों का कारोबारी?

इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए वीडियो में एंटरप्रेन्योर नव शाह बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें यह बुजुर्ग एक साधारण राइड ड्राइवर लगे. लेकिन बातचीत के बाद पता चला कि उनके पास ज्वेलरी, सुपरमार्केट और रेस्टोरेंट की बड़ी चेन है, जिसका सालाना टर्नओवर 175 मिलियन डॉलर से ज्यादा है.

इतनी दौलत के बाद भी गाड़ी क्यों चलाते हैं?

जब उनसे पूछा गया कि क्या जरूरत है उबर चलाने की, उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “मेरी हर सवारी से एक लड़की स्कूल जाती है.” वे 10 सालों से हर साल 24 भारतीय लड़कियों की शिक्षा का खर्च उठाते हैं, स्कूल से कॉलेज तक की सारी जिम्मेदारी वे खुद लेते हैं.

बेटियों से मिली प्रेरणा, दुनिया की बेटियों तक बढ़ाया हाथ

उनके तीनों अपनी बेटियां उच्च शिक्षित और सफल हैं, और वहीं से उन्हें यह एहसास हुआ कि शिक्षा किसी लड़की की जिंदगी बदल सकती है. उन्होंने ठान लिया, “अगर मैं अपनी बेटियों को पढ़ा सकता हूं, तो औरों की बेटियां क्यों पीछे रहें?”

विरासत सिर्फ धन की नहीं, सोच की भी

उन्होंने बताया कि उनके पिता 1929 में भारत से सिर्फ 5 पाउंड लेकर फिजी पहुंचे थे और वहीं से परिवार का बिजनेस खड़ा हुआ. यही वजह है कि वे धन को शोहरत या शान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी मानते हैं.

लोगों ने कहा- ‘रियल मिलियनेयर’

वीडियो वायरल होते ही लोग कहने लगे, "असली अमीरी दिल की होती है." एक यूजर ने लिखा, “ये आदमी नहीं, प्रेरणा है.” वहीं, एक और ने लिखा, “दुबई में टावर खड़े हैं, लेकिन असली ऊंचाई इनके दिल में है."

अमीरी सबसे बड़ा लक्ष्य नहीं

86 साल की उम्र में भी वे काम कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है, “सक्सेस वो नहीं है जो आपने कमाया, सक्सेस वो है जो आपने बांटा.” उनकी कहानी याद दिलाती है कि उम्र, पैसा और पद कभी भी इंसानियत से बड़ा नहीं हो सकता.

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