जेल में सेक्‍स करने को किया मजबूर, नंगा कर पीटा - फिलीस्तीनी कैदियों पर इजरायली सेना के टॉर्चर की खौफनाक दास्‍तां

इजराइल-हमास युद्धविराम के दौरान रिहा किए गए पांच फिलीस्तीनी बंदियों ने इजरायली सेना द्वारा की गई अमानवीय यातनाओं का खुलासा किया है. इन लोगों को गाज़ा से हमास के हमले के बाद गिरफ़्तार किया गया था, जिसमें लगभग 1,200 इजरायली नागरिक मारे गए थे.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
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इजराइल और हमास के बीच हुए युद्धविराम के दौरान रिहा किए गए पांच फिलीस्तीनी बंदियों ने इजरायली सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि उन्हें बिना किसी आरोप के महीनों तक कैद में रखा गया और इस दौरान उन्हें बुरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया.

इन लोगों को गाज़ा से गिरफ्तार किया गया था, जहां हमास के एक हमले में लगभग 1,200 इजरायली नागरिकों की मौत हुई थी. इन बंदियों को इजरायल के 'अनलॉफ़ुल कॉम्बैटेंट्स लॉ' के तहत हिरासत में लिया गया था, जिसके तहत किसी व्यक्ति को लंबे समय तक बिना मुकदमा चलाए जेल में रखा जा सकता है.

जेल में बुरी तरह से टॉर्चर किया गया

बीबीसी से बातचीत में सभी बंदियों ने कहा कि जेल में उन्हें कपड़े उतरवाकर, आंखों पर पट्टी बांधकर और हथकड़ी लगाकर पीटा गया. कुछ ने आरोप लगाया कि उन्‍हें बिजली के झटके दिए गए और कुत्तों से डराया गया.

मोहम्मद अबू तवीलह नाम के एक बंदी ने कहा कि उनके ऊपर किसी तरह का केमिकल डालकर आग लगा दी गई. उन्‍होंने बताया कि वे बुरी तरह जल गए और डेढ़ दिन तक उसी हालत में रहे. वहीं अब्दुल करीम मुश्ताहा नाम के एक और बंदी ने कहा कि उन्हें न पीने के लिए पानी दिया गया और न ही कोई इलाज. उन्होंने बताया कि कैद के दौरान उन्हें लगातार पीटा गया.

गालियां और धमकियां

एक तीसरे बंदी, जिसे ओमर नाम दिया गया, ने कहा कि जेल में सैनिक उन्हें गालियां देते थे और थूकते थे. उन्हें एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनाई जाती थी जिसमें धमकी दी जाती थी कि 'जैसा तुमने हमारे बच्चों के साथ किया, वैसा हम तुम्हारे बच्चों के साथ करेंगे.'

यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप

ओमर ने यह भी दावा किया कि कुछ कैदियों को जबरन एक-दूसरे के साथ यौन गतिविधियां करने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने इसे 'शर्मनाक और जबरदस्ती किया गया कृत्य' बताया.

बच्चों के साथ भी नहीं की कोई रियायत

अहमद अबू सैफ, जो गिरफ्तारी के वक्त केवल 17 साल के थे, ने बताया कि जेल में उन्हें भी आंसू गैस से बार-बार परेशान किया गया. उन्होंने कहा कि उन्हें बच्चों जैसा नहीं, बल्कि दुश्मन जैसा व्यवहार मिला.

इजरायली सेना ने आरोपों को खारिज किया

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना (IDF) ने इन आरोपों का सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि “हम बंदियों के साथ किसी तरह के व्यवस्थित दुर्व्यवहार में शामिल नहीं हैं.'' IDF ने यह भी कहा कि अगर किसी अधिकारी के खिलाफ शिकायत मिलती है तो उस पर जांच की जाती है और ज़रूरत होने पर अनुशासनात्मक या कानूनी कार्रवाई भी की जाती है.

इन आरोपों ने एक बार फिर इजरायली जेलों में बंद फिलीस्तीनी नागरिकों की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह घटना बताती है कि युद्ध के बीच आम नागरिकों और बंदियों को किस हद तक मानसिक और शारीरिक यातनाएं सहनी पड़ती हैं.

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