POK में नेपाल की तरह बगावत? फायरिंग के बाद जेन Z का हिंसक प्रदर्शन, छात्रों ने सरकार-सेना के खिलाफ खोला मोर्चा

पाकिस्तान सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ पाक अधिकृत कश्मीर में वहां की सेना और सरकार के खिलाफ जेन जेड यानी छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है. इसका केंद्र अभी मुजफ्फराबाद है. इस प्रदर्शन की शुरुआत कुछ प्रमुख मांगों को लेकर शांतिप्रिय मंच से शुरुआत हुई थी, लेकिन जब सरकार-सेना ने फायरिंग की, तो यह आंदोलन हिंसक हो गया.;

( Image Source:  The Wonk @thewonkin )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 6 Nov 2025 3:14 PM IST

नेपाल की तर्ज पर अब पाकिस्तान के पीओके में जेन जेड (Gen Z) प्रोटेस्ट सरकार के खिलाफ शुरू हो गया है. पाकिस्तान के POK में  जेन जेड (Gen Z) आंदोलन सिर्फ एक स्थानीय विरोध नहीं बल्कि वहां की सरकार और सेना के लिए बड़ी राजनीतिक चेतावनी बनता जा रहा है. जेन Z और युवा मतदाता खुलेआम सरकार-सेना के खिलाफ सड़कों पर आ गए हैं. प्रदर्शनकारी अपनी 38 मांगों को पूरा करने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों की इन मांगों को दशकों से टाला जाता रहा है. पहले यह आंदोलन शांतिपूर्ण था लेकिन फायरिंग, इंटरनेट बैन और सख्त सुरक्षा व्यवस्था ने पूरे इलाके में अराजकता को बढ़ावा देने का काम किया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हिंसक अशांति के कुछ सप्ताह बाद इस क्षेत्र में विरोध प्रदर्शनों की एक और लहर चल पड़ी है. इस बार शैक्षिक सुधारों को लेकर जेनरेशन जैड, जिसमें ज्यादा छात्र हैं. छात्रों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हालांकि, यह प्रदर्शन बढ़ती फीस और मूल्यांकन प्रक्रिया के खिलाफ एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ था, जो शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में बदल गया. प्रोटेस्ट की वजह से जनरेशन जेड के बीच गहराता असंतोष उजागर हो रहा है.


फायरिंग ने आग में घी डालने का किया काम

नवंबर के शुरुआत में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण है, लेकिन कथित तौर पर एक अज्ञात बंदूकधारी द्वारा छात्रों के एक समूह पर गोलीबारी करने और एक के घायल होने के बाद यह अराजक हो उठा है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मुजफ्फराबाद में एक व्यक्ति प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाता हुआ दिखाई दे रहा है, जिससे इलाके में दहशत फैल गई. रिपोर्टों के अनुसार यह घटना पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुई है.

कई शहरों में आगजनी और तोड़फोड़

जेन जेड आंदोलन में यह घटना महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है. अब आक्रोशित छात्रों ने टायर जलाए, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया है. पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं. यह बहुत हद तक दक्षिण एशियाई देश नेपाल और बांग्लादेश में जेनरेशन जेड के विरोध प्रदर्शनों की तरह है.

इंटरनेट पर बैन

जैसे ही आंदोलन ने गति पकड़ी, प्रशासन ने तुरंत विश्वविद्यालय में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया. जनवरी 2024 में भी ऐसा ही एक आंदोलन हुआ था. छात्रों ने आरोप लगाया था कि सेमेस्टर फीस के नाम पर हर 3 या 4 महीने में लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं. फिर, पीओके में शिक्षण और प्रशासनिक कर्मचारी भी अपने लंबे समय से लंबित वेतन वृद्धि की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए.


जेन Z की क्या हैं मांगें?

इस बार इंटरमीडिएट के छात्र भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. उनकी शिकायत नए शैक्षणिक वर्ष में मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर पर एक नई ई-मार्किंग या डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत है.

30 अक्टूबर को छह महीने की देरी के बाद पीओके में इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष की परीक्षाओं के नतीजे घोषित किए गए. हालांकि, स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार छात्रों ने अप्रत्याशित रूप से कम अंक दिए जाने की शिकायत की, जिससे आक्रोश फैल गया. उन्होंने इसकी वजह ई-मार्किंग प्रणाली बताई.

फीस बढ़ोतरी से फैला असंतोष

कुछ मामलों में छात्रों को उन विषयों में भी पास कर दिया गया जिनकी परीक्षा उन्होंने दी ही नहीं थी. हालांकि, सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है. मीरपुर के शिक्षा बोर्ड ने ई-मार्किंग प्रक्रिया का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया है.ं

प्रदर्शनकारियों ने पुनर्मूल्यांकन शुल्क में छूट की भी मांग की है, जो प्रति विषय 1,500 रुपये निर्धारित किया गया है. इस प्रकार, जो छात्र अपने सभी सात विषयों के पेपरों की पुनर्मूल्यांकन करवाना चाहते हैं, उन्हें 10,500 रुपये देने होंगे.

POK से लाहौर तक फैला आंदोलन

यह मुद्दा लाहौर जैसे पाकिस्तानी शहरों में भी गूंजा है, जहाँ इंटरमीडिएट के छात्रों ने पिछले महीने लाहौर प्रेस क्लब के बाहर धरना दिया था. चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंदोलन अब छात्रों की शिकायतों की सूची कक्षाओं से कहीं आगे निकल गई है. खस्ताहाल बुनियादी ढांचा, खराब स्वास्थ्य सेवा और परिवहन की कमी ने युवाओं की हताशा को और बढ़ा दिया है.

अवामी एक्शन कमेटी ने किया समर्थन देने का एलान

जेन जेड आंदोलन को प्रभावशाली संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) का समर्थन मिला है, जो अक्टूबर में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे थी.


अक्टूबर में पाकिस्तान में फैली थी अशांति

पाकिस्तान में कर राहत, आटे और बिजली पर सब्सिडी और विकास परियोजनाओं को पूरा करने सहित 30 मांगों को लेकर शुरू हुए इस आंदोलन में 12 से ज्यादा नागरिक मारे गए थे. जैसे ही पाकिस्तानी सरकार ने गोलीबारी करके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की, यह सेना प्रमुख असीम मुनीर के नेतृत्व में सेना की ज्यादतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया, जिससे क्षेत्र में थम-सा गया.शरीफ सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने और उनकी कुछ प्रमुख मांगों पर सहमति जताने के बाद अंततः यह अशांति समाप्त हो गई.

नेपाल में हुआ था इससे बड़ा आंदोलन

पाकिस्तान के पीओके में ताजा विरोध प्रदर्शन अलग है. अब जेनरेशन जेड ने मोर्चा संभाल लिया है. जबकि पिछले महीने हुए विरोध प्रदर्शन राजनीतिक वर्ग और कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए थे. यह समय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पड़ोसी देश नेपाल में युवाओं के नेतृत्व में हुए विद्रोह के कुछ हफ्ते बाद केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी. नेपाल में भी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध के रूप में शुरू हुआ यह आंदोलन गहरे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया.

नेपाल में जेड जेड आंदोलन के दौरान वहां के मंत्रियों के घरों में तोड़फोड़ और आग लगा दी गई बल्कि संसद को भी जला दिया गया था. साल 2024 में बांग्लादेश में भी ऐसा ही हुआ, जिसके परिणामस्वरूप शेख हसीना सरकार गिर गई और 2022 में श्रीलंका में भी, जहां घरेलू मुद्दों पर जनता का गुस्सा तेजी से भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गया. अब चर्चा यह है कि पीओके में अशांति क्या नेपाल की तरह क्या पूरे देश में फैलेगी? क्या इससे शरीफ-मुनीर की जोड़ी सरकार पर कोई फर्क पड़ेगा या नहीं

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