सिंध बनाम पंजाब: पानी के बंटवारे ने भड़काई आग, सरकार के खिलाफ गुस्सा चरम पर; प्रदर्शन में दो की मौत, गृह मंत्री का घर जलाया गया

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इंडस नहर परियोजना के विरोध में उग्र प्रदर्शन भड़क उठे, जिसमें दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और गृह मंत्री जियाउल हसन लांजार का घर जला दिया गया. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह परियोजना सिंध के पानी के अधिकारों का उल्लंघन करती है और किसानों की आजीविका को खतरे में डालती है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं और राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया। यह विरोध पाकिस्तान में जल संसाधनों को लेकर प्रांतीय असंतोष और संघीय सरकार की नीतियों पर गहराते विवाद को उजागर करता है।;

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By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 21 May 2025 8:17 PM IST

Sindh water protests, Pakistan Indus canal project controversy: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंचाई परियोजनाओं को लेकर हालिया विरोध प्रदर्शनों ने क्षेत्र में तनाव और असंतोष को उजागर किया है. नौशहरो फिरोज जिले के मोरो तालुका में प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लांजार के आवास को आग के हवाले कर दिया, जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं. इन झड़पों में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और कई अन्य, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, घायल हो गए.

प्रदर्शनकारी 'ग्रीन पाकिस्तान' पहल के तहत सिंध में प्रस्तावित नहरों और कॉर्पोरेट खेती परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि ये परियोजनाएं सिंध के पानी के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं और स्थानीय किसानों की आजीविका को खतरे में डालती हैं. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया, जिससे स्थानीय परिवहन और सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई.

जियाउल हसन लांजार ने की घटना की निंदा 

सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लांजार ने इस घटना की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया. उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी और क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया.  

यह विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान में जल संसाधनों के प्रबंधन, प्रांतीय अधिकारों और संघीय सरकार की नीतियों के प्रति बढ़ती असंतोष की भावना को दर्शाता है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये परियोजनाएं 1991 के जल समझौते का उल्लंघन करती हैं और सिंध के किसानों के हितों के खिलाफ हैं. 

बिलावल भुट्टो की हो रही आलोचना

सिंध और पंजाब पाकिस्तान के चार प्रांतों में से हैं.  पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी को सिंधी राष्ट्रवादी पार्टी जेय सिंध मुत्तहिदा महाज (जेएसएमएम) की ओर से नहर विरोध प्रदर्शनों पर अपने अस्थिर रुख के लिए तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.  पीपीपी इस्लामाबाद में शाहबाज शरीफ के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. वह सिंध में सत्ता पर काबिज है. जेएसएमएम के अध्यक्ष शफी बुरफत ने पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान पर अपने भू-राजनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और नहर विरोध को दबाने के लिए 'अपरिपक्व, सत्ता-लोलुप और अगंभीर' बिलावल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

उत्तरी सिंध कैसे युद्धक्षेत्र में बदल गया?

मंगलवार को सिंधी राष्ट्रवादी पार्टी जेय सिंध मुत्ताहिदा महाज (JSMM) के कार्यकर्ता जाहिद लघारी की पुलिस द्वारा गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद तनाव बढ़ गया, जिसके जवाब में उत्तरी सिंध के नौशहरो फिरोज जिले में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए. नौशहरो फिरोज जिले के मोरो शहर में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में 15 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हो गए, जिनमें से कम से कम पांच की हालत गंभीर है.

19 मई से फिर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन

संघीय सरकार द्वारा सिंधु नहर परियोजना को स्थगित करने का दावा करने के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन स्थलों को कभी नहीं छोड़ा. उनका आरोप था कि निर्माण गतिविधियां गुप्त रूप से जारी रहीं. 19 मई को पुनः आक्रामक विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसमें हिंसा भी शामिल थी. कराची स्थित समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों में से अधिकांश अशफाक मलिक के नेतृत्व वाली सिंध सबा पार्टी से जुड़े थे, जिन्होंने कॉर्पोरेट खेती और नहरों के प्रस्तावित निर्माण के विरोध में मोरो बाईपास रोड को अवरुद्ध कर दिया.

फरवरी में नहर परियोजना की हुई शुरुआत

  • फरवरी 2025 में पाकिस्तान की सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने एक बड़ी नहर परियोजना की शुरुआत की, जिसे 'ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव' के नाम से जाना जा रहा है.
  • इस परियोजना का उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के माध्यम से पंजाब और सिंध के कुछ क्षेत्रों में लाखों एकड़ बंजर जमीन को सिंचित करना बताया गया. सेना और प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ की सरकार सहित इसके समर्थकों ने इस योजना को देश की खाद्य सुरक्षा के संकट का समाधान बताया.
  • हालांकि, यह परियोजना जैसे ही सिंध पहुंची, वहां अप्रैल 2025 से व्यापक असंतोष और विरोध की लहर फैल गई. सिंध के लोगों का मानना है कि यह नहरें दरअसल सिंधु नदी से पानी हटाने की साजिश हैं. 
  • सिंधु नदी सिंध की कृषि, संस्कृति और पहचान की आत्मा मानी जाती है. इसलिए सिंधी राष्ट्रवादी संगठनों, राजनीतिक दलों और नागरिक समूहों ने इस योजना की तीखी आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका लाभ मुख्य रूप से पंजाब के सामंती जमींदारों और कॉर्पोरेट कृषि कंपनियों को मिलेगा, जबकि सिंध के किसानों और आम जनता को इससे नुकसान होगा. इससे सिंध में जल संकट और भी गहरा हो सकता है.
  • यह परियोजना सिंध और पंजाब के बीच पहले से ही मौजूद जल अधिकारों को लेकर चली आ रही ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता को फिर से सतह पर ले आई. हालात तब और बिगड़े, जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिससे सूखे से जूझ रहे सिंध में पानी की और भी किल्लत की आशंका बढ़ गई. इस विवाद के चलते इस्लामाबाद और रावलपिंडी की संघीय सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा.
  • अप्रैल में सिंध में हुए विरोध प्रदर्शनों ने कई सप्ताह तक पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया. प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों को जाम कर दिया, जिससे कराची पोर्ट तक माल ढुलाई प्रभावित हुई.  इस दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने 24 अप्रैल 2025 को घोषणा की कि जब तक कॉमन इंटरेस्ट्स काउंसिल (CCI) की बैठक में आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक परियोजना को स्थगित किया जाएगा, लेकिन प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट नहीं हुए और परियोजना को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहा.

सिंधी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता उस्ताद राही सूमरो सहित कई अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा काम रोकने की बात केवल दिखावा है. 18 मई को सूमरो ने कहा, "नहर परियोजना बंद नहीं हुई है. आधुनिक मशीनों से काम जारी है. अब छह विवादास्पद नहरों के साथ तीन और नहरें जोड़ दी गई हैं, जिससे कुल संख्या नौ हो गई है."  इस बयान ने सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं और संकेत दिया है कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ, बल्कि सिंध-पंजाब जल विवाद एक नए और अधिक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है.

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