सफल बैंकर और मंदी के समय कनाडा को उबारने वाले मार्क कार्नी कौन? जो बनेंगे देश के नए प्रधानमंत्री
मार्क कार्नी कनाडा के नए लिबरल पार्टी नेता और प्रधानमंत्री बने. वे जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे और आगामी चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करेंगे. पूर्व केंद्रीय बैंकर कार्नी ने बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड का सफल नेतृत्व किया. वे अर्थशास्त्री, निवेश बैंकर और संयुक्त राष्ट्र जलवायु दूत भी रह चुके हैं.;
कनाडा की पॉलिटिक्स में अब नया मोड़ आ गया है. मार्क कार्नी को लिबरल पार्टी का नया नेता और देश का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. वे जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे, जिनके नेतृत्व को हाल ही में बढ़ते असंतोष और पार्टी के आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ा था. कार्नी अब आगामी आम चुनावों में पार्टी की कमान संभालेंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से निपटने की रणनीति बनाएंगे.
लिबरल पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में कार्नी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की, उन्हें 85.9 प्रतिशत वोट मिले. इस दौड़ की शुरुआत तब हुई जब ट्रूडो ने जनवरी में अपने इस्तीफे की घोषणा की. उनका यह निर्णय तब आया जब उप-प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी अपने पद से हटने का फैसला किया, जिससे सरकार के भीतर अस्थिरता और अधिक बढ़ गई. कार्नी की जीत को पार्टी के भीतर स्थिरता लाने और नए नेतृत्व की दिशा में एक ठोस कदम के रूप में देखा जा रहा है.
ट्रंप की नीतियों का करते हैं विरोध
कार्नी ने खुद को डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और व्यवधानों के खिलाफ एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया है. उन्होंने बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड का नेतृत्व करते हुए आर्थिक संकटों के दौरान कुशल प्रबंधन की अपनी क्षमता साबित की है. अपने अभियान के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रंप की नीतियां कनाडा की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर सीधा प्रभाव डाल रही हैं. उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "हम अपने जीवनकाल के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं, और मेरे जीवन की हर चीज ने मुझे इस क्षण के लिए तैयार किया है."
हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड से की है पढ़ाई
कार्नी का सफर बेहद प्रभावशाली रहा है. 59 वर्षीय यह अनुभवी अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय बैंकर हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड से शिक्षित हैं. कनाडा के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में एक छोटे से शहर में जन्मे कार्नी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की. दिलचस्प बात यह है कि वे हार्वर्ड की क्रिमसन हॉकी टीम में बैकअप गोलकीपर भी रहे थे, जो उनके प्रतिस्पर्धात्मक स्वभाव को दर्शाता है.
मंदी के समय देश को उबारा
उन्होंने निवेश बैंकिंग के क्षेत्र में भी कार्य किया और बाद में बैंक ऑफ कनाडा तथा बैंक ऑफ इंग्लैंड के प्रमुख बने. 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के दौरान उन्होंने कनाडा को अपेक्षाकृत कम नुकसान के साथ उबरने में मदद की. इसके बाद, वे बैंक ऑफ इंग्लैंड का नेतृत्व करने वाले पहले गैर-ब्रिटिश गवर्नर बने, जहां उनके नेतृत्व की व्यापक रूप से प्रशंसा हुई. 2020 में बैंक ऑफ इंग्लैंड से हटने के बाद, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन दूत के रूप में भी कार्य किया.
सामने है कई चुनौतियां
अब, कार्नी के सामने नई राजनीतिक चुनौतियां हैं. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने कभी कोई निर्वाचित पद नहीं संभाला है, लेकिन उनके आर्थिक और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए लिबरल पार्टी उन्हें एक प्रभावी नेता मान रही है. आने वाले दिनों में, वे प्रधानमंत्री पद की औपचारिक जिम्मेदारी संभालने के लिए कनाडा की गवर्नर जनरल मैरी साइमन से मुलाकात करेंगे, जो सरकार गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगी.