हमास विरोधी-फिलिस्तीन की सपोर्टर, जानें कौन हैं ब्रिटिश होम सेकेट्ररी की कमान संभालने वालीं पाकिस्तानी मूल की शबाना महमूद

ब्रिटेन की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है. प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने शबाना महमूद को देश की होम सेक्रेटरी (गृह मंत्री) नियुक्त किया है. यह पद न सिर्फ़ शक्ति और प्रतिष्ठा से जुड़ा है बल्कि इससे सीधे तौर पर ब्रिटेन की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और माइग्रेशन नीतियों का भविष्य तय होता है. महमूद की यह नियुक्ति ऐतिहासिक है क्योंकि वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली मुस्लिम महिला हैं.;

( Image Source:  x-@TRobinsonNewEra )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 7 Sept 2025 12:47 PM IST

ब्रिटेन की सियासत में नया इतिहास रचते हुए पाकिस्तानी मूल की बैरिस्टर शबाना महमूद को देश की पहली मुस्लिम महिला गृह मंत्री बनाया गया है. लेकिन उनकी ताजपोशी सिर्फ़ पद और पहचान की वजह से सुर्खियों में नहीं है, बल्कि उनके राजनीतिक रुख़ और बेबाकी ने भी उन्हें चर्चा के केंद्र में ला दिया है.

शबाना महमूद खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन करती रही हैं और हमास की नीतियों की आलोचना करने से भी पीछे नहीं हटीं. अब जब वे ब्रिटेन की आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था की बागडोर संभाल रही हैं, तो दुनिया की नज़रें इस पर टिकी हैं कि उनकी नीतियां ब्रिटेन की विदेश और घरेलू राजनीति पर किस तरह असर डालेंगी.

कौन है शबाना महमूद?

शबाना का जन्म 17 सितंबर 1980 को बर्मिंघम में हुआ. उनके माता-पिता पाकिस्तानी मूल के हैं, जिनकी जड़ें मीरपुर, आज़ाद कश्मीर से जुड़ी हैं. बचपन का कुछ हिस्सा उन्होंने सऊदी अरब के ताइफ़ शहर में बिताया, जहां उनके पिता डिसेलिनेशन प्रोजेक्ट पर इंजीनियर थे. बाद में परिवार बर्मिंघम लौट आया, जहां उनकी मां ने छोटा-सा कॉर्नर शॉप संभाला और पिता स्थानीय लेबर पार्टी में एक्टिव हो गए. राजनीति का बीज यहीं बोया गया, जब छोटी शबाना चुनाव प्रचार में पर्चे बांटने और दरवाज़े-दरवाज़े जाने लगीं.

कानून की पढ़ाई और बैरिस्टर का सफ़र

शबाना ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी (लिंकन कॉलेज) से कानून की पढ़ाई की. वह कॉलेज के जूनियर कॉमन रूम (JCR) की अध्यक्ष बनीं. साल 2003 में उन्होंने Inns of Court School of Law से Bar Vocational Course पूरा किया और Gray’s Inn से स्कॉलरशिप भी पाया. पेशे से वह बैरिस्टर बनीं और professional indemnity law में विशेषज्ञता हासिल की.  उनका बचपन से सपना कानूनी दुनिया में नाम बनाना था.

पहली मुस्लिम महिला सांसदों में से एक

2010 में जब क्लेयर शॉर्ट ने बर्मिंघम लेडीवुड से चुनाव लड़ने से इनकार किया, तो लेबर पार्टी ने शबाना को टिकट दिया. यह चयन विवादों में घिरा, लेकिन बाद में जांच ने उनके सेलेक्शन को वैध ठहराया. चुनाव जीतकर वह ब्रिटेन की पहली मुस्लिम महिला सांसदों में से एक बनीं, रुखसाना अली और यास्मिन कुरैशी के साथ. उनकी जीत सिर्फ़ बर्मिंघम की गलियों की गूंज नहीं थी, बल्कि यह मैसेज था कि ब्रिटेन की राजनीति में विविधता अब सिर्फ नारा नहीं, हकीकत है.

उतार-चढ़ाव और सियासी जद्दोजहद

लेबर पार्टी के विपक्ष में रहने के दौरान शबाना ने शैडो फाइनेंशियल सेकेट्ररी टू द ट्रेजरी और कई अहम पद संभाले. लेकिन 2015 में जब जेरेमी कॉर्बिन लेबर लीडर बने, तो उन्होंने उनकी टीम में काम करने से इनकार कर दिया. यह उनका सियासी जोखिम था, लेकिन उन्होंने अपने विश्वास से समझौता नहीं किया. कुछ वर्षों तक बैकबेंच पर रहने के बाद 2021 में वह National Campaign Coordinator बनकर लौट आईं. यहीं से उनकी वापसी शुरू हुई और 2023 में वह Shadow Secretary of State for Justice बनीं.

न्याय मंत्री से गृह मंत्री तक

2024 के लेबर चुनावी विजय के बाद, शबाना महमूद को Lord Chancellor और Justice Secretary बनाया गया. यह पद हजार साल पुरानी परंपरा से जुड़ा है और शबाना इसे संभालने वाली पहली मुस्लिम बनीं. उन्होंने जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों की जल्दी रिहाई योजना लागू की, दंगों पर सख़्त बयान दिए और न्याय प्रणाली के सुधार पर काम शुरू किया. सितंबर 2025 में, जब उन्हें होम सेक्रेटरी बनाया गया, तो वह ब्रिटेन के कानून और व्यवस्था की सबसे बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाली पहली मुस्लिम महिला बन गईं. अब उनकी इमिग्रेशन सुधार, अवैध प्रवास पर नियंत्रण, पुलिस सुधार और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई दिशा देने पर हैं. 

सियासत और निजी विश्वास

शबाना अपने राजनीतिक सफ़र में हमेशा साफ़ कहती रही हैं कि उनके फैसले कॉमन सेंस और उनके विश्वास पर आधारित होते हैं. उन्होंने फिलिस्तीनी अधिकारों के समर्थन में प्रदर्शन किए, लेकिन हमास के आतंकी हमलों की खुलकर निंदा भी की. यही उनका संतुलित और ईमानदार रवैया है,जहां न्याय और इंसानियत को तरजीह मिलती है. 

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