क्या जनरल मुनीर को खुश करने की कोशिश? बांग्लादेश के नक्शे में दिखा भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा! इस तस्वीर पर मचा बवाल

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में पाकिस्तान के चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को उपहार में दी गई कलाकृति ‘आर्ट ऑफ ट्रायंफ’ (Art of Triumph) को खुफिया एजेंसियां केवल एक ‘तोहफा’ नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक राजनीतिक और रणनीतिक संदेश के रूप में देख रही हैं.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 27 Oct 2025 5:45 PM IST

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में पाकिस्तान के चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को उपहार में दी गई कलाकृति ‘आर्ट ऑफ ट्रायंफ’ (Art of Triumph) को खुफिया एजेंसियां केवल एक ‘तोहफा’ नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक राजनीतिक और रणनीतिक संदेश के रूप में देख रही हैं. सूत्रों का कहना है कि इस तोहफे का मकसद सिर्फ सांस्कृतिक कूटनीति नहीं है, बल्कि भारत के उत्तर-पूर्वी इलाकों (North East) को लेकर एक गहरी भूराजनीतिक रणनीति (Geopolitical Strategy) का हिस्सा भी हो सकता है.

'भारत के खिलाफ साजिश में उत्तर-पूर्व बना ‘गेटवे टू साउथईस्ट एशिया'

इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, “उत्तर-पूर्व (NE) उन सभी देशों के लिए साउथईस्ट एशिया का प्रवेश द्वार (Gateway) है जो भारत के खिलाफ किसी न किसी साजिश में शामिल हैं.” उन्होंने बताया कि यह इलाका भारत के सबसे समृद्ध संसाधन क्षेत्रों (Richest Resource Zones) में से एक है, जहां करीब 1.1 बिलियन टन कोयला, मुख्यतः असम और मेघालय में मौजूद है.

सर्वे रिपोर्टों के अनुसार, इस क्षेत्र में 158 मिलियन टन कच्चा तेल, 23 बिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस और लगभग 65 गीगावॉट की जलविद्युत क्षमता मौजूद है, जो अभी तक उपयोग में नहीं लाई गई है. इसके अलावा यहां 1,400 मिलियन टन चूना पत्थर, और रेयर अर्थ, ग्रेफाइट, वैनाडियम, लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिज भी पाए जा रहे हैं. “ये प्राकृतिक संसाधन उत्तर-पूर्व को न सिर्फ आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट बना देते हैं,” सूत्रों ने कहा.

भारत का उत्तर-पूर्व- चीन और ASEAN के बीच रणनीतिक कड़ी

भारत का उत्तर-पूर्व चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से सटा हुआ है. सूत्रों ने बताया, “कालादान प्रोजेक्ट और त्रिपक्षीय हाईवे कॉरिडोर के जरिये यह इलाका सीधे आसियान (ASEAN) देशों से जुड़ता है. पश्चिमी देशों और चीन को बखूबी पता है कि इस क्षेत्र पर प्रभाव जमाना भविष्य के व्यापार और ऊर्जा मार्गों को नियंत्रित करने जैसा है- क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है.”

बाहरी ताकतें और प्रॉक्सी प्रोजेक्ट्स

रिपोर्टों के मुताबिक, कई विदेशी तत्व लंबे समय से इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच बनाने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार में प्रॉक्सी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स चला रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस इलाके की सबसे बड़ी चुनौती यहां की जातीय विविधता और पुरानी बगावतें (Ethnic Insurgencies) हैं. कई बार एक साल का जातीय संघर्ष पूरे क्षेत्र के विकास को दस साल पीछे धकेल देता है. यही कारण है कि यह इलाका बाहरी सूचना युद्ध (Information Operations) और विदेशी फंडिंग के लिए संवेदनशील हो जाता है.”

“मानचित्रों में बदलाव एक सॉफ्ट वॉर है”

इंटेलिजेंस सूत्रों ने चेताया, “मानचित्रों पर क्षेत्र को गलत ढंग से दिखाना राष्ट्रवादी प्रतिक्रियाओं को परखने या अलगाववादी भावनाओं को जगाने का सस्ता तरीका हो सकता है.” उन्होंने कहा, “बंगाल की खाड़ी अब भारतीय और प्रशांत महासागर के बीच एक रणनीतिक ‘चोक प्वाइंट’ बनकर उभर रही है. बांग्लादेश का समुद्री तट गहरे जल तक पहुंच देता है, और पश्चिमी देशों को यह मालूम है कि भारत के उत्तर-पूर्व पर दबाव डालना उसकी नौसैनिक ताकत को चुनौती देना है.”

“यूनुस का संदेश: भारत की सीमाएं ‘नेगोशिएबल’ हैं”

सूत्रों ने कहा, “मानचित्रों, बयानों या ‘अकादमिक आर्ट’ के जरिये उत्तर-पूर्व को किसी और देश का हिस्सा दिखाना सॉफ्ट वॉर (Soft Act of War) है. यूनुस पाकिस्तान के जरिये यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत की सीमाएं बातचीत से तय की जा सकती हैं, और बाहरी ताकतों को इसमें शामिल किया जा सकता है.”

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