केवल रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर नहीं लगा टैरिफ... अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी ने कहा- दोनों देश फिर साथ आएंगे
अमेरिका ने भारत पर 50% व्यापार टैरिफ लगाते हुए कहा कि यह केवल रूस से तेल खरीद का मुद्दा नहीं, बल्कि लंबे समय से खिंच रही व्यापार वार्ताओं की वजह से भी है. अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने माना कि भारत और अमेरिका के रिश्ते जटिल हैं, लेकिन अंततः दोनों देश साथ आएंगे. भारत ने कृषि और छोटे उद्योगों पर अपनी 'रेड लाइन' साफ कर दी है, जबकि हालिया दौर की वार्ताएं टल गईं. इसके बावजूद दोनों पक्ष मानते हैं कि सबसे बड़ी लोकतंत्र और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच समझौता संभव है.;
India US Tariff Dispute: अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद, अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह केवल रूस से तेल खरीदने का मुद्दा नहीं है, बल्कि लंबे समय से खिंच रही ट्रेड डील वार्ताओं की धीमी रफ्तार भी इसकी बड़ी वजह है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने बातचीत के लिए दरवाज़े खुले रखे हैं, लेकिन कृषि और छोटे मैन्युफैक्चरिंग जैसे कुछ सेक्टरों पर अपनी 'रेड लाइन' साफ़ कर दी हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बेसेंट ने स्पष्ट किया, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था. अंत में हम दोनों साथ आएंगे.” उन्होंने यह भी कहा, “यह रिश्ता जटिल है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे संबंध हैं, लेकिन वार्ता की गति अमेरिका की अपेक्षा से धीमी रही.”
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने रद्द कर दी नई दिल्ली की यात्रा
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने इस हफ्ते नई दिल्ली की यात्रा रद्द कर दी, जहां छठे दौर की बातचीत होनी थी. बेसेंट ने कहा कि भारतीय प्रतिनिधि 'लिबरेशन डे' (2 अप्रैल, जिसे ट्रंप ने अमेरिकी आर्थिक स्वतंत्रता की नई शुरुआत कहा था) के तुरंत बाद ही बातचीत के लिए आगे आए थे, जिससे अमेरिका को उम्मीद थी कि समझौता अब तक हो जाएगा. मार्च में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने वॉशिंगटन का दौरा कर अपने समकक्ष हॉवर्ड लुटनिक से मुलाकात की थी. उसी महीने अमेरिकी अधिकारी दिल्ली आए थे. अप्रैल में, उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय वार्ता के लिए रूपरेखा तय की थी.
अमेरिका-भारत व्यापार विवाद: 50% टैरिफ से भारतीय निर्यातकों पर बड़ा असर
बता दें कि अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर अब 50% तक का भारी टैरिफ लगा दिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूसी तेल खरीदने को लेकर 'सज़ा' के तौर पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने का ऐलान किया था, जो बुधवार से लागू हो गया है. हालांकि स्मार्टफोन, दवाइयां और ऊर्जा क्षेत्र को इस दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन भारत के कई पारंपरिक निर्यात उद्योगों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. इनमें हीरे-गहने, टेक्सटाइल्स, ऑटो पार्ट्स और सीफ़ूड प्रमुख हैं, जो अमेरिकी बाज़ार पर सबसे ज़्यादा निर्भर रहते हैं.
भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार रहा है अमेरिका
अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार रहा है. भारत का बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा कमाई का अमेरिका से आता है. मार्च-अप्रैल 2025 में भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बातचीत हुई थी, लेकिन समझौता आगे नहीं बढ़ सका. अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल खरीद कम करे. भारत का कहना है कि बातचीत के दरवाज़े खुले हैं, लेकिन खेती और छोटे उद्योग जैसे संवेदनशील सेक्टर में समझौता नहीं किया जा सकता
विशेषज्ञों का कहना है कि इन टैरिफ़ से भारत के निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा घट सकती है, मुनाफा कम होगा और रोज़गार पर भी असर पड़ेगा. वहीं, अमेरिका ने साफ संकेत दिया है कि जब तक व्यापार वार्ता तेज़ी से आगे नहीं बढ़ती, दबाव की यह नीति जारी रह सकती है.