सीरिया में कैसे हुआ बशर अल असद के 24 साल के शासन का अंत? आजादी के नारों से गूंजा दमिश्क

Bashar Al Asad: सीरिया में बशर अल असद सरकार के 24 साल के शासन का अंत हो गया है. विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. असद के देश छोड़कर भागने की खबरें आ रही हैं. आइए, पूरे घटनाक्रम को विस्तार से जानते हैं...;

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Bashar Al Asad Syria: सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के 24 साल के शासन का अंत हो गया है. रविवार को तड़के विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. कहा जा रहा है कि असद देश छोड़कर भाग गए हैं. वे कहां गए इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.

सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी जलाली ने कहा कि वे विद्रोहियों और विपक्ष को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं. उन्होंने सीरियाई नागरिकों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने का आह्वान किया है.

सुनसान पड़ा पुलिस मुख्यालय

न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, दमिश्क के बाहरी इलाके में सड़क के किनारे हथियारबंद लोगों के समूह देखे गए हैं. इस दौरान गोलियों की आवाज भी सुनाई दी. शहर का पुलिस मुख्यालय भी सुनसान दिखाई दिया. वहां कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था. मस्जिदों से अल्लाह हू अकबर के नारे गूंज रहे थे.

साल 2018 के बाद यह पहली बार था, जब विपक्षी सेनाएं दमिश्क तक पहुंची हैं. दमिश्क एयरपोर्ट को खाली करा लिया गया है. सभी उड़ानों को रोक दिया गया है. विद्रोहियों ने राजधानी के उत्तर में स्थित कुख्यात सैदनाया सैन्य जेल में घुसकर वहां बंद कैदियों को रिहा कर दिया है. इससे पहले, विद्रोहियों ने सीरिया के तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स पर कब्जा कर लिया था. यह शहर दमिश्क और सीरिया के तटीय प्रांतों लताकिया और टारटस के बीच एक चौराहे पर स्थित पर है, जो रूसी रणनीति नौसैनिक अड्डे का घर है.

27 नवंबर से तेज किए हमले

विद्रोहिया ने 27 नवंबर से तेज हमले करने शुरू किये थे. उन्होंने पहले अलेप्पो और फिर हामा शहरों के साथ दक्षिण के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद उन्होंने होम्स को भी अपने नियंत्रण में ले लिया. दमिश्क में विद्रोही तब घुसे, जब सीरियाई सेना दक्षिणी हिस्से से हट कई थी. इससे कई प्रांतीय राजधानियों समेत अधिक क्षेत्र विपक्षी लड़ाकों के नियंत्रण में आ गए. दमिश्क के विद्रोहियों के कब्जे में जाने से अब 14 प्रांतीय राजधानियों में से केवल 2 पर ही सरकारी बलों का नियंत्रण रह गया है.

विद्रोहियों का नेतृत्व हयात तहरीर अल-शाम संगठन कर रहा है. इसकी उत्पति अलकायदा से मानी जाती है, जिसे अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन घोषित किया है. समूह के दमिश्क में नियंत्रण के बाद हजारों लोग देश छोड़कर जाने लगे हैं. वे लेबनान से सटे बॉर्डर पर चले गए हैं. लेबनान की तरफ से बॉर्डर क्रॉसिंग को बंद करने से कई लोग वहां फंस गए हैं. सीरिया के सरकारी मीडिया के मुताबिक, असद देश छोड़कर नहीं भागे हैं. वे दमिश्क में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं.

असद के शासन का कैसा हुआ अंत?

असद को इस बार अपने सहयोगियों हिजबुल्लाह, रूस. ईरान और अमेरिका से कोई सहायता नहीं मिली. रूस यूक्रेन के साथ जंग में बिजी है. हिजबुल्लाह भी इजरायल के साथ जंग में बिजी है. एक समय पर उसे हजारों लड़ाकों को असद की सेना को मजबूत करने के लिए भेजे थे. ईरान भी इजरायल के साथ जंग से कमजोर पड़ गया है. अमेरिका ने भी साफ कह दिया कि उसका सीरिया में दखल देने का कोई इरादा नहीं है. यही वजह है कि असद के परिवार के 50 साल के शासन का अंत हो गया.ॉ

हयात तहरीर अल-शाम उत्तरी पश्चिमी सीरिया के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण रखता है. उसने 2017 में मुक्ति सेना की स्थापना की. उसके नेता अबू मोहम्मद अलग-गोलानी ने समूह की छवि को फिर से बनाने की कोशिश की. उन्होंने बहुलवाद और धार्मिक सहिष्णुता को अपनाने की कसम खाई.

हमला 27 नवंबर को शुरू हुआ. सबसे पहले बंदूकधारियों ने सीरिया के सबसे बड़े उत्तरी शहर अलेप्पो और देश के चौथे सबसे बड़े शहर हामा पर कब्जा कर लिया. मार्च 2011 में संघर्ष शुरू होने के बाद से सीरिया की सरकार विपक्षी बंदूकधारियों को आतंकवादी कहती रही है.

असद का पता बताने वालों को मिलेगा 10 मिलियन डॉलर

विद्रोहियों ने राष्ट्रपति बशर अल असद का लोकेशन बताने वालों को 10 मिलियन डॉलर इनाम देने की घोषणा की है. असद के देश छोड़कर भागने की खबरें हैं. विद्रोहियों के साथ आम जनता भी है. उन्होंने असद को तानाशाह बताया.

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