क्‍यों हो रहा Honda और Nissan का मर्जर, चीन से क्‍या है कनेक्‍शन?

जापान की दो बड़ी कंपनियां होंडा और निसान एक होने जा रही हैं. दोनों कंपनियों के एक होने के कारण ऑटो सेक्टर में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. दरअसल दोनों कंपनियों ने मर्जर को लेकर बड़ा एलान किया है. दोनों के बीच हुई ये डील नए रिकॉर्ड बना सकती है.;

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Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 24 Dec 2024 1:48 PM IST

होंडा और निसान कार कंपनी अब एक होने वाली हैं. दरअसल पिछले कई दिनों से दोनों कंपनियों के मर्जर को लेकर कई जानकारियां सामने आ रही थी. जिसपर अब खुद कंपनी ने मुहर लगा दी है. वहीं इस मर्जर के पीछे का उद्देश्‍य चीनी कार इंडस्ट्री से मुकाबला करना है. दोनों कंपनियों को बाजार में चीनी कार कंपनियों से कड़ी टक्‍कर मिल रही है, जिससे निपटने के लिए दोनों ने एक होने का फैसला लिया है.

इन दोनों कंपनियों के एक हो जाने से जो नई कंपनी बनेगी वो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार कंपनी होगी जिसका सीधा मुकाबला टोयोटा, वोक्सवैगन, जनरल मोटर्स और फोर्ड जैसी कंपनियों से होगा. वहीं होंडा के चीफ एक्जीक्यूटिव तोशीहिरो मिबे ने कहा कि ऑटो क्षेत्र में चीन की पावर से निपटने के लिए ये फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि साल 2030 तक उन्हें इस पर काम करना होगा और अपने कंपीटीटर से मुकाबला करना होगा

क्यों हो रहा मर्जर?

इस मर्जर के पांच बड़े कारण हैं, पहला कारण है, इकोनोमिकल स्केल. ये मर्जर दुनियाभर में कई कंपनियों को टक्कर देने वाला है. इस मर्जर से खुद जापान में टोयोटा मोटर्स कॉर्प को टक्‍कर देने में मदद मिलेगी. मर्जर के बाद कारों के बिकने की संख्‍या के लिहाज से नई कंपनी टोयोटा और फॉक्सवैगन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी.

दूसरा कारण ऑटो सेक्टर में खासतौर पर ईवी सेक्टर में चीन का अच्छा प्रदर्शन किया है. चीनी की सबसे बड़ी ईवी मेकर BYD, जिसे एलन मस्‍क की टेस्‍ला का सस्‍ता विकल्‍प भी माना जाता है, ने कई शानदार कारें पेश कर ग्लोबल मार्केट में अपनी उपस्थिति मजबूत की है. ऐसे में जापानी कार कंपनियों पर इसका दबाव बढ़ा है. इस कारण अब दोनों कंपनियां नई राह तलाश रही हैं. वहीं ऑटो सेक्टर में इलेक्ट्रिक कार की बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए कंपनियों के बीच कड़ा मुकाबला होना शुरू हो चुका है. इसमें निसान और होंडा जैसी कंपनियां भी शामिल हैं. ऐसे में इलेक्ट्रिक सेगमेंट में कहीं चीनी कंपनियों से पिछड़ न जाएं, इस वजह से भी दोनों ने ये फैसला लिया है.

तीसरा कारण कंपनी के एक होने का ये भी है कि दोनों ब्रांड का लक्ष्य लागत में कमी लाना है, और साथ ही मिलकर नई नई हाईब्रिड और इलेक्ट्रिक कारें तैयार करना है. रिसर्च और डेवलेपमेंट फैसिलिटी को भी एक कर दोनों कंपनियां साझा रूप से शानदार नई इलेक्ट्रिक कारें और उनके लिए सॉफ्टवेयर तैयार करने की तैयारी कर रही हैं.

चौथा कारण ये है इस समय निसान कंपनी की फाइनेंशियल कंडिशन ठीक नहीं है. इस कारण से पिछले ही महीने कंपनी ने 9 हजार नौकरियों तक कटौती की है. ये कटौती कंपनी के ग्लोबल वर्कफोर्स का लगभग 6 प्रतिशत तक है.

वहीं दोनों कंपनियों की दुनिया भर के बाजारों में अलग पहचान है. दोनों का एक होना एक शानदार तालमेल और बेहतरीन टेक्नोलॉजी पेश करने की उम्मीद की ओर इशारा करता है. उदहारण के तौर पर निसान की पहचान यूरोप मार्केट में काफी मजबूत है. लेकिन वहीं होंडा ने यूरोप में अपनी कारों को बनाना बंद कर दिया है. अब क्योंकी दोनों कंपनियों ने एक होने का फैसला किया है तो कहीं न कहीं ये दोनों की छवी पर खासा असर डालेगा.

भारत पर पड़ेगा इसका असर?

भारतीय बाजार में दोनों ही कंपनियों ने एक अलग मुकाम और सक्सेस हासिल की है. हालांकि इस पहचान को बनाए रखने में दोनों ही कंपनियों को काफी स्ट्रगल देखना पड़ा. बात करें होंडा कंपनी की तो भारतीय बाजार में लगातार मिड लेवल सेडान कार सेगमेंट में एक टॉप स्लॉट बनाए रखने में कंपनी कामियाब हुई है. लेकिन अन्य क्षेत्र में शायद अपनी पहचान कायम नहीं कर पाई. बात की जाए निसान की तो निसान ने भी भारत में अच्छी सक्सेस देखी है. लेकिन ये सक्सेस मिनि एसयूवी मैग्नाइट के साथ मिली है. हालांकि इस मर्जर से दोनों कंपनियों की लोगों के बीच एक नई पहचान बनने की उम्मीद है.

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